रामलीला रुकवाने वाले को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमकर फटकार, इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर लगी रोक

रामलीला आयोजन समिति की ओर से कहा गया कि 80 साल से रामलीला चल रही है. स्कूल को भी कोई आपत्ति नहीं थी. अचानक इसे बंद कर दिया गया.  रामलीला उत्सव 14 सितंबर से ही शुरू हो चुका है.

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  • सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के टूंडला में 80 साल पुरानी रामलीला को स्कूल ग्राउंड में आयोजित करने की अनुमति दी है.
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि रामलीला के दौरान स्कूली बच्चों को किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होनी चाहिए.
  • इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रामलीला पर रोक लगाई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस रोक को फिलहाल स्थगित कर दिया है.
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यूपी के टूंडला में स्कूल ग्राउंड में चल रही 80 साल पुरानी रामलीला के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा दखल दिया है. परिषद के स्कूल में रामलीला उत्सव की इजाजत दी है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने शर्त लगाई कि स्कूली बच्चों को इससे कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए. इलाहाबाद हाईकोर्ट के रामलीला बंद करने के फैसले पर भी सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से कहा कि वो प्रशासन को रामलीला उत्सव को लेकर कोई वैकल्पिक जगह तलाशने को कहे. 

अचानक आप हाईकोर्ट क्यों गए?

जस्टिस सूर्य कांत ने शिकायतकर्ता पर सवाल उठाते हुए पूछा, "जब रामलीला 80 साल से चल रही थी तो अचानक आप हाईकोर्ट क्यों गए? रामलीला को लेकर स्कूल, बच्चों या पैरेंट्स को कोई परेशानी नहीं थी तो आपको क्या दिक्कत हुई? आप रामलीला से पहले शिकायत कर सकते थे.  आपको पहले से जाकर प्रशासन से व्यवस्था करने के लिए कहने से किसने रोका? आप छात्र या छात्र के अभिभावक नहीं हैं?  आप संपत्ति के मालिक नहीं हैं? हम स्कूल के खेल के मैदान का किसी भी तरह से इस्तेमाल करने की मंज़ूरी नहीं देते, लेकिन हमें इस बारे में की गई कोई भी शिकायत दिखाएं." 

शिकायतकर्ता के आरोप

वहीं रामलीला आयोजन समिति की ओर से कहा गया कि 80 साल से रामलीला चल रही है. स्कूल को भी कोई आपत्ति नहीं थी. अचानक इसे बंद कर दिया गया.  रामलीला उत्सव 14 सितंबर से ही शुरू हो चुका है. वहीं शिकायतकर्ता ने कहा कि बच्चों को वहां दिक्कत हो रही है. इसको लेकर शिकायतकर्ता ने हाईकोर्ट में दाखिल याचिका कर दावा किया था कि 18 दिनों तक रामलीला के मंचन के दौरान शिक्षण गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित होंगी. इसके अलावा बच्चों को खेल के मैदान से वंचित होना पड़ेगा.  इस पर हाईकोर्ट ने रामलीला पर रोक लगा दी थी. 

सुप्रीम कोर्ट क्यों पहुंचा मामला

इलाहाबाद हाईकोर्ट के रोक आदेश को चुनौती देने वाली रामलीला आयोजन समिति पहुंची थी. रामलीला आयोजन समिति की ओर से मामला उठाने वाले वकील ने कहा कि हाईकोर्ट ने बिना सुनवाई किए यह एकपक्षीय आदेश दिया. दरअसल, फिरोजाबाद के टूंडला में, हाई कोर्ट के आदेश के बाद प्रशासन ने शहर के 80 साल पुराने प्रसिद्ध श्री नगर रामलीला महोत्सव को बंद कर दिया.  रामलीला महोत्सव बंद होने से दर्शक नाराज हो गए. हिंदू संगठन भी इस फैसले से बेहद नाराज हैं. तब हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई.

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