यूनिटेक मामले में वर्चुअल सुनवाई के दौरान माहौल अचानक गरम हो गया. चंद्रा बंधुओं की पैरवी करते हुए सीनियर वकील विकास सिंह अचानक अदालत पर आरोप लगाने लगे और उनकी आवाज भी तेज होती गई. विकास सिंह ने चंद्रा परिवार की ओर से गुस्से में कहा कि कोर्ट एक तरफा सुनवाई कर रहा है. अदालत कितनी कंपनियां चलाएगा? कोर्ट आम्रपाली चला रहा है, सुपर टेक चला रहा है, यूनीटेक में भी हाथ डाल रखा है. चंद्रा के पिता और पत्नी को भी गिरफ्तार किया है. बच्चों को भी सलाखों के पीछे डाल दीजिए. कोर्ट में भेदभाव की वजह से हमारी कम्पनी एक लाख यूनिट बेच चुकी है. आखिर आम्रपाली मामले में भी तो कोर्ट ने घर खरीदारों को बकाया देने को कहा था. हमारे मामले में ऐसा ही क्यों नहीं किया कोर्ट ने!
ये सब बोलते हुए ऐसा लगा कि विकास सिंह ने अपना आपा खो दिया हो. इस पर कोर्ट ने उनको टोका. जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपना मास्क हटा लिया और लगभग डांटते हुए विकास सिंह को अपनी दलीलें बंद करने को कहा. जस्टिस चंद्रचूड़ ने तीन बार कड़ी आवाज में कहा, मिस्टर सिंह सुनिए.. लिसन टू मी! लिसन टू मी! लेकिन सिंह नहीं रुके और लगातार बोलते रहे. गुस्साए जस्टिस चंद्रचूड़ ने चेतावनी भरे अंदाज में कहा कि आप कोर्ट पर इल्जाम लगा रहे हैं और आपकी भाषा क्या है? ये कोर्ट में अपनी बात रखने का तरीका है? आपको पता है इसका परिणाम आपके पछतावे के रूप में भी हो सकता है. कोर्ट में अगर आप इस तरह बहस करेंगे तो भविष्य में कोर्ट के आदेश पर आपको पछताना होगा.
इसी बीच जस्टिस शाह ने भी कहा कि अपनी आवाज ऊंची ना करें. हमें आपसे इस तरह के बरताव की उम्मीद नहीं थी. जस्टिस चंद्रचूड़ फिर चुप हो गए और जस्टिस शाह ने कहा कि देश का यही कानून है कि जब जांच लंबित हो तो इसकी रिपोर्ट आरोपी को नहीं दी जा सकती.
दरअसल विकास सिंह का कहना था कि SFIO और ED जांच कर रही है और उन्हें कोई जांच रिपोर्ट नहीं दी जा रही है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सारी रिपोर्ट सील कवर में रहेंगी. दीवाली के बाद होगी सुनवाई.
यह भी पढ़ेंः