प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 32 करोड़ रुपये से अधिक नकदी बरामद करने के बाद झारखंड के मंत्री आलमगीर आलम के निजी सचिव के साथ ही निजी सचिव के घरेलू सहायक को भी गिरफ्तार कर लिया है. अधिकारियों ने बताया कि ईडी आज दोनों को कोर्ट में पेश कर रिमांड पर लेगी. वहीं आज दूसरे दिन भी ईडी कई लोगों के ठिकानों पर छापेमारी कर रही है. ईडी ने सोमवार को आलमगीर आलम के सचिव से कथित रूप से जुड़े एक घरेलू सहायक के कई परिसर की तलाशी के दौरान 35.23 करोड़ रुपये की 'बेहिसाबी' नकदी और कई आधिकारिक दस्तावेज बरामद करने का दावा किया.
32 करोड़ रुपये से अधिक की नकदी जब्त
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि मंत्री से जुड़े स्थान से 32 करोड़ रुपये से अधिक की नकदी जब्त की गई वहीं केंद्रीय एजेंसी ने कुछ अन्य परिसर में की गई तलाशी में अलग से तीन करोड़ रुपये से अधिक की नकदी बरामद की. ईडी पिछले साल से इस मामले की जांच कर रही है और उसने राज्य ग्रामीण विकास विभाग के एक पूर्व मुख्य अभियंता को गिरफ्तार किया है.
नकदी में मुख्य रूप से 500 रुपये के नोट
सूत्रों द्वारा साझा किए गए वीडियो और तस्वीरों में एजेंसी के अधिकारी यहां गाड़ीखाना चौक पर स्थित 2बीएचके फ्लैट में बड़े बैग से नोटों की गड्डियां खाली करते हुए दिखाई देते हैं. ईडी के सूत्रों के अनुसार, नकदी गिनने के लिए नोट गिनने वाली आठ मशीन लगाई गईं. सूत्रों ने कहा कि बरामद की गई नकदी में मुख्य रूप से 500 रुपये के नोट हैं. केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवान उस इमारत पर पहरा देते नजर आए जहां फ्लैट स्थित है.
जिस परिसर में नकदी मिली, उसकी चाबियां...
सूत्रों ने कहा कि जिस स्थान से नकदी बरामद की गई है, वहां कथित तौर पर झारखंड के ग्रामीण विकास मंत्री आलम के निजी सचिव संजीव लाल का एक घरेलू सहायक रहता है. उन्होंने बताया कि जिस परिसर में नकदी मिली, उसकी चाबियां लाल के फ्लैट से जब्त की गई थीं. सूत्रों ने कहा कि ईडी द्वारा राज्य के मुख्य सचिव को लिखा गया एक आधिकारिक दस्तावेज और सिफारिशी स्थानांतरण तथा पदस्थापना पत्र भी परिसर में तलाशी के दौरान पाए गए.
रिश्वत के नाम पर अवैध कमाई!
यह छापेमारी ग्रामीण कार्य विभाग के पूर्व मुख्य अभियंता वीरेंद्र कुमार राम के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के मामले से जुड़ी है, जिसे ईडी ने पिछले साल गिरफ्तार किया था. एजेंसी ने पिछले साल जारी एक बयान में आरोप लगाया था, "रांची में ग्रामीण कार्य विभाग में मुख्य अभियंता के रूप में तैनात वीरेंद्र कुमार राम ने ठेकेदारों को निविदा आवंटित करने के बदले में उनसे रिश्वत के नाम पर अवैध कमाई की थी." एजेंसी ने अधिकारी की 39 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की थी. बयान में कहा गया, "इस प्रकार अपराध से अर्जित आय का उपयोग वीरेंद्र कुमार राम और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा 'आलीशान' जीवनशैली जीने के लिए किया जाता था." वीरेंद्र के खिलाफ धनशोधन का मामला झारखंड भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की एक शिकायत से जुड़ा है.
ये भी पढ़ें:- "देश में दान का एक महत्व, उसी भाव से ज़्यादा से ज़्यादा मतदान करें": अहमदाबाद में वोट डालने के बाद पीएम मोदी