11 महीने पहले 16 साल के अतहर का हुआ था एनकाउंटर, कब्र खोदकर बैठे हैं पिता, अब तक नहीं मिला शव

मुश्ताक अहमद वानी कहते हैं कि उनका बेटा अतहर मुश्ताक 11वीं का स्टूडेंट था. वह बोर्ड की परीक्षा दे रहा था. अगली सुबह 11 बजे पुलिस कंट्रोल रूम में उसका शव पड़ा हुआ था.

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पिता ने 11 महीने पहले खोदी थी कब्र.
श्रीनगर:

पिछले 11 महीने से एक पिता अपने बेटे की मौत के बाद उसके शव का इंतजार कर रहा है. लेकिन लगातार कोशिशों के बावजूद भी निराशा ही हाथ लगी है. 29 दिसंबर, 2020 के बाद 16 साल का अतहर मुश्ताक घर वापस नहीं लौटा. पिता मुश्ताक अहमद वानी को बाद में पता चला कि बेटे को पुलिस ने एक एनकाउंटर में मार दिया है. तब से लेकर आज तक वानी अपने बेटे के शव की मांग को लेकर प्रयासरत हैं. अतहर के पिता ने एनकाउंटर की जानकारी मिलने के बाद 11 महीने पहले ही अपने बेटे के लिए कब्र खोदी थी, लेकिन वे आज भी बेटे के शव का इतंजार कर रहे हैं.

मुश्ताक अहमद वानी कहते हैं कि उनका बेटा अतहर मुश्ताक 11वीं का स्टूडेंट था. वह बोर्ड की परीक्षा दे रहा था. वह 29 दिसंबर तक अपने चार पेपर दे चुका था. परीक्षा के दौरान ही उसे दोपहर 2 बजे उठाया गया. वानी कहते हैं कि हमें नहीं पता कि उसके बाद क्या हुआ. अगली सुबह 11 बजे पुलिस कंट्रोल रूम में उसका शव पड़ा हुआ था. 

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परिजनों का कहना है कि अतहर अपनी बोर्ड परीक्षा के बीच में था, जब वह श्रीनगर के पास लवेपोरा में एक मुठभेड़ में दो अन्य युवाओं के साथ मारा गया. बोर्ड के रिजल्ट के अनुसार अतहर अपने आखिरी पेपर में अनुपस्थित रहा. परिवार का कहना है कि अपने घर से निकलने के तीन घंटे से भी कम समय में अतहर को एनकाउंटर में मार दिया गया.  

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पुलिस ने उसके शव को सोनमर्ग में दफनाया था. वानी का आरोप है कि परीक्षा के आखिरी पेपर के पहले ही उसकी हत्या कर दी गई. मैं उसके शव की मांग करते-करते थक गया हूं, पर कोई सुन नहीं रहा है. वानी का कहना है कि जब यह एनकाउंटर हुआ तो इसके सबंध में पुलिस के अलग-अलग बयान आए. पहले पुलिस ने कहा कि एनकाउंटर में मारे गए तीन लोगों को पुलिस रिकॉर्ड में आतंकवादी के रूप में लिस्टेड नहीं किया गया था. लेकिन दो दिन बाद ही पुलिस ने दावा किया कि तीनों "आतंकियों के सहयोगी" थे.

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हालांकि, मृतकों के परिवार ने आरोप लगाया है कि एक सुनियोजित तरीके से पुलिस ने एनकाउंटर में इनको मारा है. मारे गए तीन लोगों में एक पुलिसकर्मी का बेटा था. इस तरीके के और भी मामले सामने आये हैं, जिसमें मृतकों के परिवारों को शव मिलने में परेशानी हुई है. आज भी कई परिवार शवों के मिलने का इंतजार कर रहे हैं, ताकि उनका दाह संस्कार किया जाए.

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