"राज्यों को 'बुलडोजर विध्वंस' रोकने का दिया जाए निर्देश": जमीयत ने SC में दाखिल की याचिका

जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने जिस तरह 'बुलडोजर विध्वंस' मामले का खुद नोटिस लिया है, हम उसकी सराहना करते हैं.

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नई दिल्ली:

हरियाणा के नूंह में हिंसा के बाद बुलडोजर की कार्रवाई के खिलाफ जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है. जमीयत ने कोर्ट से उन लोगों के पुनर्वास के लिए निर्देश देने की मांग की है, जिनके घर प्रशासन ने तोड़ दिए. जमीयत ने अर्जी में कहा कि बुलडोजर ऑपरेशन के पीड़ितों को पुनर्वास और मुआवजा दिया जाए. साथ ही दोषी अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए.

सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर जमीयत ने अदालत से अनुरोध किया कि सभी राज्यों को बुलडोजर से अवैध तोड़फोड़ से बचने के निर्देश जारी किए जाएं या उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए.

अर्जी में जमीयत ने यह भी कहा कि बुलडोजर चलाना गैरकानूनी है, चाहे बुलडोजर किसी भी धर्म के लोगों की संपत्ति पर चले. कथित आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चलाना या सिर्फ इसलिए कि ऐसी इमारत से कथित तौर पर पथराव किया गया था, दोषसिद्धि से पहले की सजा के समान है, जो कानूनी रूप से गलत है. 

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जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने जिस तरह इस मामले का खुद नोटिस लिया है, हम उसकी सराहना करते हैं. नूंह में लोगों की संपत्ति पर 'बुलडोजर विध्वंस' पर पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. लेकिन अवैध रूप से ध्वस्त किए गए लगभग 650 कच्चे-पक्के मकानों के निवासियों का पुनर्वास, मुआवज़ा, ट्रांजिट शिविरों में रहने और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए कोई आदेश जारी नहीं किया है. हालांकि जस्टिस गुरमीत सिंह संधवालिया ने बुलडोज़र विध्वंस पर सुओ मोटो ऐक्शन लेते हुए हरियाणा सरकार से जवाब मांगा है.

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