बेंगलुरु के कई धार्मिक स्थानों और व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने ध्वनि प्रदूषण को लेकर नोटिस भेजा है. हालांकि बेंगलुरु की एक पुरानी और बड़ी मस्जिद को नोटिस नहीं दिया गया है, क्योंकि यहां अज़ान के वक़्त एक विशेष यंत्र का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो ध्वनि प्रदूषण को अदालत की तरफ से तय मापदंड के अनुरूप रखता है. दरअसल, शहर के बीचो बीच बेंगलुरु की सबसे पुरानी मस्जिदों में से एक जामा मस्जिद से अज़ान दी जाती है. अज़ान जितनी ऊंची आवाज में दी जाए, डिवाइस के चलते मस्जिद की मीनारों पर लगे लाउडस्पीकर से तय मापदंडों के मुताबिक ही आवाज़ बाहर जाएगी और इसकी वजह है.
जामा मस्जिद के इमाम मौलाना मकसूद इमरान रशादी का कहना है कि यहां के नौजवानों ने इस डिवाइस को तैयार किया है. इसको एंपलीफायर से जोड़ देने के बाद चाहे जितनी भी जोर से अजान दी जाए, यह डिवाइस तयशुदा लिमिट के अंदर ही ट्रांसमिट करता है. इस डिवाइस का स्विच बाई तरफ करने से दिन का लिमिट अपने आप तय होता है और दाहिनी तरफ करने से रात का. यहां रात में 55 डेसिबल और दिन में 65 डेसिबल आवाज तय है. अलग-अलग जगहों पर अलग अलग लिमिट है. इस डिवाइस में लोकेशन के हिसाब से लिमिट तय कर दी जाती है.
गौरतलब है कि तक़रीबन 1700 रुपये कीमत वाले इस डिवाइस का प्रयोग मंदिरों और दूसरे प्रतिष्ठानों में भी किया जा सकता है. सरकार ने तक़रीबन 300 मस्जिदों के अलावा कई मंदिरों, कुछ गिरजाघरों और व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को नोटिस भेजकर निर्देश दिया गया है कि अदालत के आदेश के मुताबिक ध्वनि को नियंत्रित करें, नहीं तो कानूनी करवाई की जाएगी.
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