- जल शक्ति मंत्रालय ने जल संचयन जन भागीदारी अभियान से जुड़े पुरस्कारों पर स्पष्टीकरण दिया है
- बाड़मेर और उदयपुर जिलों के अधिकारियों ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर आरोपों के खिलाफ तथ्य स्पष्ट किए हैं
- केंद्र सरकार ने संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए और पोर्टल पर डेटा अपलोडिंग रोक दी है
जल शक्ति मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि जल संचयन, जन भागीदारी अभियान से जुड़े पुरस्कारों में गड़बड़ी के बारे में सोशल मीडिया पर किए जा रहे दावे गलत हैं. मंत्रालय का कहना है कि एक दूसरे पोर्टल पर एआई से बनाए गए फोटो और शादी के कार्ड को इस अभियान से जोड़ना गलत है क्योंकि दोनों पूरी तरह से अलग हैं. विवाद के केंद्र में आए उदयपुर और बाड़मेर जिले के अधिकारियों ने इस बारे में केंद्र सरकार के चिट्ठी भी लिखी है. बाड़मेर की कलेक्टर टीना डाबी ने इस बारे में केंद्र को सारे तथ्यों से अवगत कराया है. उधर, उदयपुर जिला परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी रिया डाबी ने जिले के कलेक्टर को इस बारे में पूरी जानकारी दी है.
सरकार का सख्त रुख
हालांकि दूसरे पोर्टल से जुड़े जिन मामलों में गड़बड़ी की शिकायत आई है, उनमें केंद्र सरकार ने कड़ा रुख अख्तियार किया है. सभी जिला कलेक्टरों को ईमेल के जरिए भेजे पत्र में कहा गया है कि संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और सोशल मीडिया पर इन अवार्ड को लेकर चल रही भ्रामक जानकारियों को लेकर सही तथ्य सामने रखे जाएं. पोर्टल पर डेटा अपलोडिंग अस्थायी रूप से रोक दी गई और जिलों को अधिकार दिए गए कि वे गलत तस्वीरें हटाएँ या उन्हें सुधारें। सूत्रों के अनुसार इन पूरे मामले का प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी संज्ञान लिया है जिसके बाद कड़ी कार्रवाई की गई है.
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क्या है मामला?
बाड़मेर और उदयपुर को जल संचयन, जन भागीदारी JSJB 1.0 के तहत हजारों जल संरक्षण संरचनाएं बनाने के लिए 18 नवंबर 2025 राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कार दिया गया था. बाड़मेर को दो करोड़ रुपए और उदयपुर को एक करोड़ रुपए का पुरस्कार दिया गया था. जहां बाड़मेर में टीना डाबी कलेक्टर हैं वहीं उदयपुर में उनकी बहन आईएएस रीया डाबी जिला परिषद उदयपुर की मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं. बाड़मेर ने 79 हजार से अधिक जल संरचनाएं बनाईं जो देश में सर्वाधिक हैं. उदयपुर ने भी न्यूनतम आवश्यकता से अधिक जल संरचनाएं बनाई थीं.
उदयपुर का अनोखा मामला
बाद में सोशल मीडिया पर कहा गया कि जल संचयन जन भागीदारी अवार्ड के लिए पोर्टल पर गलत फोटो डाले गए. इसमें उदयपुर का मामला बताया गया जहां शादी का निमंत्रण पत्र अपलोड कर दिया गया था. इसी तरह बाड़मेर में डुप्लीकेट फोटो से जल संरक्षण का काम दिखाया गया था. सोशल मीडिया पर आरोप लगाया गया था कि इस तरह से राष्ट्रपति के हाथों अवार्ड दिलाने में धांधली की गई. मध्य प्रदेश के खंडवा को लेकर भी इसी तरह की शिकायतें की गईं थीं जिसे पहला स्थान मिला है. उसके बारे में कहा गया कि एआई जनरेटेड फोटो पोर्टल पर लगा कर अवार्ड ले लिया गया.
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टीना डाबी का केंद्र को चिट्ठी
हालांकि सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया है कि उदयपुर और बाड़मेर जिलों के जिन मामलों के लेकर सोशल मीडिया पर आरोप लगाए गए वे जल संचयन, जन भागीदारी कार्यक्रम से जुड़े नहीं हैं जिसका अपना अलग पोर्टल है. जिन मामलों में गड़बड़ी की बात कही जा रही है, वे दरअसल जल शक्ति अभियान- कैच द रेन पोर्टल से जुड़े हैं. बाड़मेर की कलेक्टर टीना डाबी ने केंद्र सरकार को लिखे पत्र में स्पष्ट किया है कि इस पोर्टल पर प्राय: नमूने के तौर पर फोटो अपलोड किए जाते हैं जो प्रतीकात्मक होते हैं. यह बात सही है कि कुछ तहसीलों में कुछ फोटो एक से अधिक बार अपलोड कर दिए गए हैं और इस मामले में संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. टीना डाबी ने यह भी लिखा है कि इन फोटो का जल संचयन, जन भागीदारी अवार्ड से कोई संबंध नहीं है.
उदयपुर कलेक्टर को रिया डाबी की सफाई
इसी तरह उदयपुर कलेक्टर ने भी शादी का कार्ड अपलोड होने के मामले में स्थिति स्पष्ट की है. उन्होंने लिखा है कि यह जेएसए-सीटीआर (जल शक्ति अभियान- कैच द रेन) पोर्टल पर ग्राम पंचायत के कनिष्ठ सहायक की ओर से भूलवश अपलोड कर दिया गया था. यहां पर भी उदयपुर जिले को मिले जल संचयन जन भागीदारी को लेकर मिले अवार्ड से इसका संबंध नहीं है. कलेक्टर ने कहा कि इस मामले में उक्त कार्मिक को निलंबित कर दिया गया है। गौरतलब है कि उदयपुर जिले को एक करोड़ रुपए का यह सम्मान बाड़मेर कलेक्टर टीना डाबी की आईएएस बहन रिया डाबी की टीम के जरिए मिला था. उदयपुर जिला परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी रिया डाबी ने भी उदयपुर कलेक्टर को लिखे अपने पत्र में कहा कि इस फोटो का उदयपुर को मिले अवॉर्ड से संबंध नहीं है.
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मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से भी खंडन
इस बीच मध्य प्रदेश सरकार ने डिजिटल मीडिया में आई उन खबरों का खंडन किया है जिसमें कहा गया था कि जल संचयन जन भागीदार अभियान में राज्य के खंडवा में गड़बड़ियां हुई हैं. जल संचयन जन भागीदारी पहल की शुरुआत गुजरात के सूरत से छह सितंबर 2024 को हुई थी. इसके तहत लोगों की भागीदारी से बारिश के पानी को इकट्ठा करना, ग्राउंड वाटर को रिचार्ज करना और उसका स्टोरेज करना है. प्रोत्साहन के लिए जिलों और नगर निगमों को दो, एक करोड़ रुपए और 40 लाख से 25 लाख रुपए तक के पुरस्कार दिए जाते हैं. इसके लिए जेएसजेबी डैशबोर्ड पर फोटो और लोकेशन टैगिंग से निगरानी होती है. इसके सत्यापन के लिए केंद्रीय मंत्रालय के 339 नोडल अधिकारी नियुक्त हैं. इसमें 1 प्रतिशत भौतिक सत्यापन और 99 प्रतिशत डिजिटल सत्यापन का प्रावधान है। इस बार 67 जिले, 6 नगर निगम और 1 ULB को शॉर्टलिस्ट किया गया था. इनमें कुल 100 पुरस्कार दिए गए थे.














