"हम जानते हैं कि सरकार कितनी तेजी दिखाती है" इटली मरीन मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को लताड़ा

केरल में इटली के मरीन द्वारा दो मछुआरों की हत्या के ट्रायल को रद्द करने की केंद्र सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल एक हफ्ते के लिए सुनवाई टाल दी है.

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मछुआरों के परिवारों को मुआवजे के लिए दस करोड़ रुपये जमा नहीं होने पर यह सुनवाई टाली गई है (File Photo)
नई दिल्ली:

केरल में इटली के मरीन द्वारा दो मछुआरों की हत्या के ट्रायल को रद्द करने की केंद्र सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल एक हफ्ते के लिए सुनवाई टाल दी है. मछुआरों के परिवारों को मुआवजे के लिए दस करोड़ रुपये जमा नहीं होने पर यह सुनवाई टाली गई है. CJI एस ए बोबडे ने केंद्र से कहा कि वो पहले ही मामले को दो हफ्ते टालना चाहते थे लेकिन सरकार ने ही तीन दिन में सुनवाई करने को कहा, हम जानते हैं कि सरकार कितनी तेजी दिखाती है. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को मछुआरों के परिवारों को मुआवजे की दस करोड़ की राशि सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में जमा कराने को कहा था. कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट इस रकम को पीड़ितों को देगा, CJI एस ए बोबडे ने कहा था कि मरीन के खिलाफ ट्रायल तब तक रद्द नहीं होगा जब तक मुआवजे की रकम न मिले. 

वहीं इटली सरकार की ओर से बताया गया कि भारत और इटली के बीच पीड़ितों के लिए 21 मई 2020 को दस करोड़ रुपये मुआवजा तय किया गया है.  मामला ये है कि ये मुआवजा दिया कैसे जाए. भारत का विदेश मंत्रालय बैंक खाता बताए तो इसे जमा किया जा सकता है. वो तीन दिन में रकम जमा करा देंगे. केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वो आज ही बैंक खाता नंबर दे देंगे. इसके बाद सरकार तीन दिनों में सुप्रीम कोर्ट में ये रकम जमा करा देगी.  याचिकाकर्ताओं की ओर से मांग की गई कि ये मुआवजा सुप्रीम कोर्ट में जमा कराया जाए और फिर सुप्रीम कोर्ट पीड़ितों को मुआवजा बांटा जाएं. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की अर्जी पर सुनवाई की. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से सुनवाई बंद करने की मांग की है. SG तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले में आदेश का पालन हो चुका है. 

केंद्र ने कहा कि अदालत के आदेश के मुताबिक इटली पीड़ित परिवारों मुआवजा देने को तैयार हो चुका है. पीड़ित परिवार भी इससे सहमत हो चुके हैं.  उनका ट्रायल इटली में चलेगा लिहाजा लंबित याचिका का निपटारा कर दिया जाए. 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल केंद्र सरकार की केस को बंद करने की अर्जी पर आदेश जारी करने से इनकार कर दिया था. 

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भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) एस ए बोबडे ने कहा कि पीडित परिवारों को सुने बिना कोई आदेश जारी नहीं करेंगे.  सीजेआई ने कहा, 'पीड़ितों को पर्याप्त मुआवजा मिलना चाहिए. पीड़ित परिवार ट्रायल कोर्ट में भी पक्षकार हैं उन्हें भी जवाब देने का मौका मिलना चाहिए. सीजेआई ने कहा कि अदालत में मुआवजे के चेक और पीड़ित परिवारों को लेकर आएं, उनको पर्याप्त मुआवजा मिलेगा तो ही केस बंद करने की इजाजत होगी. सुप्रीम कोर्ट ने इटली की ओर से पेश वकील से कहा कि उन्हें पर्याप्त मुआवजा देना होगा. वकील ने कहा - वाजिब मुआवजा दिया जाएगा. इस पर सीजेआई ने कहा- 'वाजिब नहीं पर्याप्त मुआवजा'. 

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इससे पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर मामले की सुनवाई को बंद करने का अनुरोध किया था. केंद्र सरकार ने अदालत से कहा है कि भारत ने UN Convention on the Law of the Sea (UNCLOS) के फैसले को मानने का फैसला किया है क्योंकि इसके बाद कोई अपील नहीं हो सकती और ये अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता नियमों के मुताबिक बाध्यकारी है, लिहाजा अदालत इस मामले में ट्रायल कोर्ट में लंबित सुनवाई को बंद कर दे. सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में सरकार को UNCLOS के फैसले को रिकॉर्ड पर रखने को कहा था. 

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केंद्र सरकार ने उसके फैसले को दाखिल करते हुए कहा कि अदालत को केस का निपटारा कर देना चाहिए.  इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने ही दोनों मेरीन को शर्तों के आधार पर इटली जाने की इजाजत दी थी. दरअसल UN Convention on the Law of the Sea (UNCLOS) के ट्रायब्यूनल ने कहा है कि  UNCLOS के नियमों के तहत भारतीय अधिकारियों की कार्रवाई सही थी. इटालियन सैन्य अधिकारियों यानि इटली  UNCLOS Article 87(1)(a) और 90 के मुताबिक भारत के नेविगेशन के अधिकार को रोक रहा था. दोनों भारत और इटली को इस घटना पर कार्यवाई का अधिकार था और कानूनी अधिकार भी कि इटालियन नाविकों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करें. ट्रायब्यूनल ने इटली के दोनों नाविकों के हिरासत में रखने के लिए भारत से मुआवज़े की मांग को खारिज कर दिया.  लेकिन ये माना कि इन नाविकों को देश के लिए काम करने के कारण भारतीय अदालतों की कार्यवाई से इम्युनिटी थी, लेकिन भारत को जान माल के नुकसान के लिए हर्जाना बनता है.   ट्रायब्यूनल ने कहा कि भारत और इटली आपस में विचार कर हर्जाने की रकम तय कर सकते हैं. 

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ये मामला 2012 का है जब इटालियन नाविक सैलवाटोर गिरोन और मैसीमिलानो लैटोरे  केरल के पास समुद्र में दो भारतीय मछुआरों को गोली मारने का आरोप लगा.  इस मामले में सबसे बड़ा सवाल अधिकार क्षेत्र का था. इटली का कहना था कि यह घटना भारत की समुद्री सीमा के बाहर घटी लेकिन भारत ने इस पर सवाल उठाए. भारत ने ये भी कहा कि क्योंकि मारे गए मछुआरे भारतीय थे तो मामले को भारतीय कानूनों के तहत निबटा जाए. 

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