रोम के एक जज ने सोमवार को दो इतालवी नौसैनिकों के खिलाफ हत्या की जांच को खारिज कर दया जिन्होंने केरल में वर्ष 2012 में दो मछुआरों की हत्या की थी. भारत के सुप्रीम कोर्ट की ओर से केस वापस लिए जाने के महीनों बाद ऐसा किया गया है. इटली के रक्षा मंत्री लोरेंजो गुरेइनी ने एक बयान में इसे दोनों नौसैनिकों साल्वेतोरे गिरोने और मासिमलियाने लातोरे के लिए सकारात्मक कदम बताते हुए इसका स्वागत किया है. न्यूज एजेंसी के अनुसार, इसने पिछले माह अभियोजन के इस आकलन का पालन किया कि ट्रायल के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं. गुरेइनी ने कहा, 'इससे सालभर चलने वाली उस प्रक्रिया का अंत हो जाता है जिसके दौरान रक्षा मंत्रालय ने दोनों नौसैनिकों और उनके परिवार को अकेले नहीं छोड़ा.'
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गौरतलब है कि गिरोने और लातोरे ने समुद्री डकैती रोधी अभियान में हिस्सा लेते हुए वर्ष 2012 में एक इटेलियन टैंकर की रक्षा करते हुए दक्षिण भारतीय तट पर दो निहत्थे मछुआरों की गोली मारकर हत्या कर दी थी. मामले के कानूनी पहलू को लेकर रोम और दिल्ली के बीच रिश्ते में करीब एक दशक तक कड़वाहट रही, बाद में भारत ने अप्रैल 2021 में 100 मिलियन रुपये (10 करोड़ रुपये) के मुआवजे को स्वीकार कर लिया था.
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पिछले साल जून माह में केस को खत्म करते हुए भारत के सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इटली गणराज्य की ओर से दस करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति दी गई है जो ‘‘उचित और पर्याप्त'' है. साथ ही कहा कि इस राशि में से, केरल के दोनों मछुआरों के वारिसों के नाम पर चार-चार करोड़ रु. जमा करवाए जाएं तथा बाकी के दो करोड़ रु. नौका मालिक को दिए जाएं.उल्लेखनीय है कि फरवरी 2012 में भारत ने आरोप लगाया था कि इटली के ध्वज वाले तेल टैंकर एमवी एनरिका लैक्सी पर सवार दो नौसैनिकों ने भारत के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र में मछली पकड़ रहे दो भारतीय मछुआरों को मार डाला. SC ने यह भी कहा था कि मामले की आगे की जांच इटली गणराज्य में की जाएगी और भारत, इटली और केरल को आपस में सहयोग करना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इटली गणराज्य की ओर से दस करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति की राशि को केरल हाईकोर्ट को ट्रांसफर किया जाना चाहिए.