देश में बढ़ते साइबर अपराधों (Cyber Crimes) पर नकेल कसने और इंटरनेट और आईटी सेक्टर को सख्ती से रेगुलेट करने के लिए तैयार नए "डिजिटल इंडिया बिल" (Digital India Bill) का मसौदा इलेक्ट्रॉनिक्स एंड आईटी मिनिस्ट्री जल्द ही पब्लिक कंसल्टेशन के लिए सार्वजनिक करेगी. खबरों के मुताबिक नए प्रस्तावित कानून में नियमों के उल्लंघन पर 500 करोड़ रुपये तक की पेनाल्टी का प्रावधान शामिल किया जा सकता है. भारत को 2025-26 तक एक डिजिटल राष्ट्र बनाने के लक्ष्य के तहत डिजिटल सिटीजन्स के लिए ओपन इंटरनेट और ऑनलाइन सेफ्टी पर जोर होगा.
अब देश में 23 साल पुराने "इनफार्मेशन टेक्नालॉजी एक्ट- 2000" की जगह साइबर अपराधों से सख्ती से निपटने और इंटरनेट और डिजिटल प्लेटफॉर्मो को रेगुलेट करने के लिए सरकार जल्दी ही प्रस्तावित डिजिटल इंडिया बिल के स्वरूप को सार्वजनिक करने की तैयारी कर रही है.
सूत्रों के मुताबिक साल 2000 में जब IT Act बना, उस समय देश में 55-लाख इंटरनेट यूजर थे. आज इनकी संख्या बढ़कर 85 करोड़ से ज़्यादा हो गई है. इसके साथ ही, इंटरनेट का दुरुपयोग, ऑनलाइन फाइनेंसियल फ्रॉड के साथ-साथ कई प्रकार के साइबर अपराधों की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक सरकार की ओर से प्रस्तावित "डिजिटल इंडिया बिल" के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर दोषी संस्थाओं पर 500 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान शामिल किया जा सकता है. दोषी संस्था पर जुर्माना कितना हो, यह प्रस्तावित डिजिटल इंडिया अथॉरिटी तय करेगी.
सूत्रों के मुताबिक पिछले 23 साल में कई नए इंटरमीडिएटरी (Intermediaries) जैसे ई-कॉमर्स, डिजिटल मीडिया, सोशल मीडिया, एआई, ओटीटी और गेमिंग सामने आए हैं. इन इंटरमीडिएटरी को सख्ती से रेगुलेट करने के लिए प्रस्तावित बिल में नए प्रावधान शामिल किए जाएंगे.
प्रस्तावित कानून में साइबर क्राइम, साइबर सिक्योरिटी और हैकिंग के अलावा कैटफिशिंग, डॉक्सिंग, साइबर स्टाकिंग, साइबरट्रोलिंग, गेसलाइटिंग, फिशिंग जैसे साइबर-अपराधों के खिलाफ भी सख्त नियम शामिल करने की तैयारी है. रिवेंज पोर्न, साइबर फ्लेशिंग, डॉर्क वेब, डिफेमेशन, साइबर बुलिंग जैसे साइबर अपराधों के खिलाफ भी सख्त प्रावधान शामिल किए जाएंगे. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर बच्चों की प्राइवेसी और सुरक्षा, गेमिंग और बेटिंग ऐप से निपटने के लिए भी नए प्रावधान शामिल करने की तैयारी है.
साइबर कानून विशेषज्ञ पवन दुग्गल कहते हैं, यह साइबर क्राइम का गोल्डन युग है, हमें बिल में इनसे निपटने के लिए सख्त पनिशमेंट का प्रावधान करना होगा. पवन दुग्गल ने NDTV से कहा, "मौजूदा IT Act दो-तीन साइबर क्राइम को छोड़कर बाकी को जमानती अपराध मानता है. सोशल मीडिया क्राइम पूरी तरह से कवर कर नहीं है. पिछले दो दशकों में साइबर क्राइम के मामलों में हम ज्यादा कनविक्शन नहीं करा पाए हैं. भारत में साइबर क्राइम के मामलों में कनविक्शन का रेशियो 1% से भी काम है क्योंकि प्रॉसीक्यूशन के सामने यह चुनौती होती है कि किस तरह कोर्ट में इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस साइबर क्राइम के मामलों में पेश करें. ऑनलाइन फाइनेंशियल फ्रॉड, आईडेंटिटी फ्रॉड अच्छे से मौजूदा कानून में कवर नहीं होते. नए कानून में इफेक्टिव पनिशमेंट प्रावधान शामिल करना जरूरी होगा."
इस प्रस्तावित कानून का ड्राफ्ट ऐसे समय पर तैयार किया गया है जब देश में साइबर अपराध की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं. आईटी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने नौ अगस्त को संसद में दिए एक लिखित जवाब में खुलासा किया कि 2019 में देश में 44,735 साइबर अपराध के मामले दर्ज़ किए गए थे. साल 2020 में साइबर अपराध के मामले बढ़कर 50,035 पहुंच गए. एक साल बाद 2021 में यह और बढ़कर 52,974 तक पहुंच गए.
आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस का दुरुपयोग रोकना भी जरूरी
जानकारों के मुताबिक प्रस्तावित बिल में आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस (Artificial Intelligence) जैसी नई टेक्नोलॉजी के दुरुपयोग को रोकने के लिए भी प्रावधान शामिल करना जरूरी होगा. पवन दुग्गल कहते हैं, "साइबर अपराध के मामलों को निपटने के लिए देश में नया फास्ट ट्रैक कोर्ट सेटअप होना चाहिए. लोगों का न्याय व्यवस्था में विश्वास मजबूत करने के लिए फास्ट ट्रैक एडजुकेशन प्रक्रिया जरूरी है."
प्रधानमंत्री मोदी ने 2025-26 तक भारत को एक ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल इकॉनामी बनाने का लक्ष्य तय किया है. यह बिल इस लक्ष्य को ध्यान में रखकर तैयार किय गया है.