कांग्रेस (Congress) ने सोमवार को जाति जनगणना (Caste Census) के निष्कर्ष जारी करने के बिहार सरकार (Bihar Government) के कदम का स्वागत किया और केंद्र से सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने और सामाजिक सशक्तिकरण कार्यक्रमों के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर तुरंत इसी तरह की कवायद करने का आह्वान किया.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने बिहार में जाति आधारित गणना के आंकड़े सामने आने के बाद सोमवार को कहा कि देश के जातिगत आंकड़े जानना जरूरी है और जिनकी जितनी आबादी है, उन्हें उनका उतना हक मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि बिहार की जाति जनगणना ने साबित कर दिया है कि राज्य में 84 फीसदी लोग ओबीसी, एससी और एसटी हैं और उनकी हिस्सेदारी उनकी आबादी के अनुसार होनी चाहिए.
राहुल गांधी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘बिहार की जातिगत जनगणना से पता चला है कि वहां ओबीसी, एससी और एसटी 84 प्रतिशत हैं. केंद्र सरकार के 90 सचिवों में से सिर्फ 3 ओबीसी हैं, जो भारत का मात्र 5 प्रतिशत बजट संभालते हैं!''
राहुल गांधी ने कहा, ‘‘इसलिए, भारत के जातिगत आंकड़े जानना ज़रूरी है. जितनी आबादी, उतना हक - ये हमारा प्रण है.''
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने जनगणना कराई थी लेकिन मोदी सरकार ने इसके नतीजे प्रकाशित नहीं किए.
जयराम रमेश ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "बिहार सरकार ने हाल ही में राज्य में किए गए जाति सर्वेक्षण के नतीजे जारी किए हैं. इस पहल का स्वागत करते हुए और कांग्रेस सरकारों द्वारा कर्नाटक जैसे अन्य राज्यों में इसी तरह के पहले के सर्वेक्षणों को याद दिलाते हुए, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अपनी मांग दोहराती है कि केंद्र सरकार जल्द से जल्द राष्ट्रीय जाति जनगणना कराए. “
जयराम रमेश ने यह भी कहा कि, "वास्तव में, यूपीए-2 सरकार ने इस जनगणना को पूरा किया था, लेकिन इसके नतीजे मोदी सरकार द्वारा प्रकाशित नहीं किए गए. सामाजिक सशक्तिकरण कार्यक्रमों के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करने और सामाजिक न्याय को गहरा करने के लिए ऐसी जनगणना आवश्यक हो गई है."
विपक्षी पार्टी ने कहा कि अगर मोदी सरकार जाति जनगणना नहीं कराती है तो कांग्रेस की सरकार बनते ही इसे कराया जाएगा ताकि हर वर्ग को उनका अधिकार मिल सके. कांग्रेस ने एक्स पर एक पोस्ट में यह भी कहा कि बिहार में जाति आधारित जनगणना के आंकड़े समाज में विभिन्न वर्गों की हिस्सेदारी का संकेत देने वाले हैं.
कांग्रेस ने कहा, ''आज देश को ऐसी जनगणना की जरूरत है ताकि किसी की आबादी के हिसाब से उनकी भागीदारी तय हो सके. यही कारण है कि राहुल गांधी जी पूरे देश में जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं.''
बिहार सरकार ने सोमवार को बहुप्रतीक्षित जाति आधारित गणना के निष्कर्ष जारी किए, जिसमें खुलासा हुआ कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) राज्य की कुल आबादी का 63 प्रतिशत हैं.
बिहार के विकास आयुक्त विवेक सिंह द्वारा यहां जारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य की कुल जनसंख्या 13.07 करोड़ से कुछ अधिक है, जिसमें से 36 प्रतिशत के साथ ईबीसी सबसे बड़ा सामाजिक वर्ग है. इसके बाद ओबीसी की आबादी 27.13 प्रतिशत है.