"ये कानून में संशोधन का मामला है", लड़कियों की शादी की उम्र की याचिका को SC ने किया खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये कानून संसोधन का मामला है. ऐसे में अदालत इस मामले में संसद को कानून लाने का आदेश नहीं दे सकता है.

Advertisement
Read Time: 10 mins
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सभी धर्मों में लड़कियों की शादी की उम्र लड़कों के समान करने की याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने इस याचिका की सुनवाई के दौरान कहा कि ऐसे मामले में सुप्रीम कोर्ट पहले ही एक याचिका खारिज कर चुकी है.लिहाजा इस याचिका को भी खारिज किया जाता है. इससे पहले ऐसे ही एक अन्य मामले की सुनवाई के दौरान Chief Justice of India (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि संविधान के रक्षक के तौर पर अदालत के पास ही विशेषाधिकार नहीं हैं.संसद के पास अधिकार है कि वो किसी भी कानून में संशोधन कर सकता है . 

सोमवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये कानून संसोधन का मामला है. ऐसे में अदालत इस मामले में संसद को कानून लाने का आदेश नहीं दे सकता है. अगर अदालत शादी की 18 साल की उम्र को रद्द कर देता है तो फिर शादी के लिए कोई न्यूनतम उम्र नहीं रह जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय को कहा कि ये कोई राजनीतिक मंच नहीं है. आप कोर्ट को ये मत सिखाइए कि संविधान के रक्षक के तौर पर हमे क्या करना चाहिए. आप जनहित याचिकाओं का मखौल मत बनाइए.

बता दें कि यह याचिका बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने दाखिल की थी. इससे पहले लड़के-लड़कियों के विवाह की न्यूनतम उम्र तय करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने पक्षकारों को नोटिस जारी किया था. 
कोर्ट में दाखिल जनहित याचिका के मुताबिक कोर्ट को इस बारे में तय करने को कहा गया था कि धार्मिक मान्यताओं से अलग हटकर कानून बने जिसमें विवाह की एक समान उम्र तय हो. विवाह की न्यूनतम उम्र भी तय की जाए जो सभी नागरिकों पर लागू हो.

Advertisement
Featured Video Of The Day
Exit Poll Results 2024 | नतीजों से पहले ही Jammu Kashmir में सरकार बनाने में जुटी BJP
Topics mentioned in this article