जाने माने अंतरिक्ष वैज्ञानिक और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पूर्व अध्यक्ष जी माधवन नायर ने जीएसएलवी रॉकेट से अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट EOS-03 को कक्षा में स्थापित करने में असफल होने पर हैरानी जताई है, लेकिन साथ ही कहा कि इसरो वापसी करने में सक्षम है.
इसरो ने बताया कि 51.70 मीटर लंबे रॉकेट जीएसएलवी-एफ10/ईओएस-03 ने 26 घंटे की उलटी गिनती के समाप्त होने के तुरंत बाद सुबह 5.43 बजे श्रीहरिकोटा के दूसरे लॉन्च पैड (प्रक्षेपण स्थल) से सफलतापूर्वक उड़ान भरी थी. पहले और दूसरे चरण में रॉकेट का प्रदर्शन सामान्य रहा था. ‘क्रायोजेनिक अपर स्टेज' तकनीकी खराबी के कारण पूर्ण नहीं हो पाई.मिशन उम्मीद के अनुसार सम्पन्न नहीं हो पाया.''
इसरो अध्यक्ष के रूप में नायर के 2003 से छह साल के कार्यकाल के दौरान 25 सफल मिशन पूरे किए गए थे. उन्होंने संकेत दिया कि इस तरह के झटके असामान्य नहीं हैं और उन्होंने कहा कि इसरो को हिम्मत नहीं हारनी चाहिए. नायर ने कहा, ‘‘यह एक बहुत ही जटिल मिशन है. आम तौर पर, क्रायोजेनिक चरण अन्य सभी रॉकेट प्रणोदन की तुलना में सबसे कठिन होता है.''
उन्होंने कहा कि इसरो ने पिछले कुछ वर्षों में क्रायोजेनिक तकनीक में महारत हासिल कर ली है और इस मामले में भारत का पुराना रिकॉर्ड यूरोपीय देशों और रूस की तुलना में उतना खराब नहीं है. नायर ने कहा, ‘‘क्रायोजेनिक चरण का यह आठवां प्रक्षेपण है. पहले प्रक्षेपण में समस्या (असफल) थी. इसके बाद, अन्य सभी प्रक्षेपण सटीकता के साथ सफल रहे. ऐसी किसी भी जटिल प्रणाली में विफलता की एक सीमित संभावना है. हमें निराश होने की जरूरत नहीं है लेकिन साथ ही, हमें (असफलता का) मूल कारण जानना चाहिए और उसे दुरुस्त करना चाहिए ताकि ऐसा फिर नहीं हो.''
उन्होंने कहा, ‘‘यह हम सभी के लिए एक झटका है, लेकिन हम जल्द ही इस झटके से उबर जाएंगे और पटरी पर लौट आएंगे. इसरो समुदाय ऐसी कठिनाइयों से उबरने में पूरी तरह सक्षम है.''भू-अवलोकन उपग्रह ईओएस-03 को कक्षा में स्थापित करने के इस मिशन का उद्देश्य नियमित अंतराल पर बड़े क्षेत्र की वास्तविक समय पर तस्वीरें उपलब्ध कराना, प्राकृतिक आपदाओं की त्वरित निगरानी करना और कृषि, वनीकरण, जल संसाधनों तथा आपदा चेतावनी प्रदान करना, चक्रवात की निगरानी करना, बादल फटने आदि के बारे में जानकारी प्राप्त करना था.