2024 से पहले बड़ा दांव खेलेगी बीजेपी? Uniform Civil Code के मुद्दे पर आगे बढ़ने की तैयारी में केंद्र!

समान नागरिक संहिता बीजेपी की मूल विचारधारा से जुड़े तीन प्रमुख मुद्दों में से एक है. अन्य दो मुद्दे अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण और जम्मू कश्मीर से धारा 370 समाप्त करना था. ये दोनों वादे बीजेपी ने पूरे कर दिए हैं.

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नई दिल्ली:

क्या लोकसभा चुनाव 2024 से पहले केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार समान नागरिक सहिंता को लेकर कोई बड़ा फैसला लेने वाली है? सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार को समान नागरिक संहिता पर आगे बढ़ने से पहले उत्तराखंड में बनाई गई समिति की रिपोर्ट का इंतजार है.  सूत्रों के अनुसार अगले दो महीनों में उत्तराखंड की कमेटी की रिपोर्ट आने की संभावना है. उत्तराखंड में समिति की रिपोर्ट के आधार पर मॉडल कानून तैयार किया जाएगा. उसी मॉडल कानून को अन्य बीजेपी शासित राज्यों और बाद में पूरे देश में लागू किया जा सकता है. इस मामले को विधि आयोग भी देख रहा है.

उत्तराखंड में बनाए गए समिति में कौन-कौन हैं?

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज रंजना देसाई की अध्यक्षता में बनाई गई समिति में रिटार्यड जज प्रमोद कोहली, पूर्व मुख्य सचिव उत्तराखंड शत्रुघ्न सिंह, दून यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर सुरेखा डंगवाल और सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौर शामिल हैं. कमेटी ने हितधारकों से राज्य में व्यापक विचार विमर्श किया है. कमेटी को अभी तक उत्तराखंड में दो लाख चालीस हजार सुझाव मिले थे. सूत्रों के अनुसार बहु विवाह को छोड़ कर कोई भी प्रावधान धार्मिक आधार पर नहीं है. यह महिलाओं के समान अधिकार इत्यादि पर बात कर सकता है. साथ ही, समलैंगिता, लिव इन रिलेशनशिप जैसे मुद्दों पर भी एक समान कानून की वकालत कर सकता है. इसके दूरगामी परिणाम इसीलिए व्यापक विचार विमर्श किया जा रहा है. 

गुजरात सरकार भी कर रही है विचार

गुजरात में भी बीजेपी सरकार ने समान नागरिक संहिता के लिए कमेटी बनाने की बात कही है. वहां कैबिनेट ने मंजूरी दी है लेकिन अभी गठन नहीं हुआ है. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि राज्य में समान नागरिक संहिता लागू की जाएगी. उत्तराखंड की कमेटी की ड्राफ्ट रिपोर्ट आने के बाद अन्य राज्यों में भी उसी के आधार पर कानून बनाने में मदद मिलेगी. इसी तरह अगर बाद में केंद्र चाहे तो उस ड्राफ्ट रिपोर्ट के आधार पर पूरे देश के लिए समान नागरिक संहिता लाने पर विचार कर सकती है.

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बीजेपी के तीन प्रमुख मुद्दों में से एक है यह

समान नागरिक संहिता बीजेपी की मूल विचारधारा से जुड़े तीन प्रमुख मुद्दों में से एक है. अन्य दो मुद्दे अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण और जम्मू कश्मीर से धारा 370 समाप्त करना था. ये दोनों वादे बीजेपी ने पूरे कर दिए हैं. अब माना जा रहा है कि अगले लोक सभा चुनाव से पहले समान नागरिक संहिता पर भी केंद्र सरकार आगे बढ़ेगी.  केंद्र सरकार ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वह समान नागरिक संहिता के पक्ष में है और यह काम संसद का है, सुप्रीम कोर्ट का नहीं है. उत्तराखंड की कमेटी के गठन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया था. समान नागरिक संहिता का मतलब है विवाह, तलाक, गोद लेने और उत्तराधिकार जैसे व्यक्तिगत मामलों में एक जैसे कानून लागू होना था. 

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भारतीय संविधान में इसे लेकर क्या कहा गया है?

संविधान के अनुच्छेद 44 में वर्णित नीति निर्देशक सिद्धांतों में समान नागरिक संहिता की वकालत की गई है. लेकिन आजादी के बाद से ही विभिन्न सरकारों ने अलग-अलग धर्मों के आधारित नागरिक संहिता की अनुमति दी है. हालांकि 21 वें विधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि समान नागरिक संहिता न तो आवश्यक है और न ही वांछित है. कानून मंत्री किरेन रिजुजु ने संसद को बताया था कि 22वां विधि आयोग समान नागरिक संहिता के बारे में विचार करेगा, पिछले साल नवंबर में इसकी स्थापना की गई थी. यहां यह बता दें कि 21 वें विधि आयोग का विचार विमर्श का दायरा सीमित था. उसे देश भर से 78 हजार सुझाव ही आए थे. जबकि उत्तराखंड की समिति को छोटा राज्य होने का बावजूद दो लाख चालीस हजार सुझाव मिले हैं. 

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