अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज वर्तिका सिंह को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने अगले आदेश तक उनके खिलाफ दर्ज FIR पर गिरफ्तारी से संरक्षण दे दिया है. स्मृति ईरानी को बदनाम करने के आरोप में वर्तिका सिंह के खिलाफ 3 FIR दर्ज की गई हैं. बता दें कि वर्तिका सिंह ने आरोप लगाया था कि केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और दो अन्य ने उन्हें राष्ट्रीय महिला आयोग ( NCW) का सदस्य नियुक्त करने के लिए 25 लाख रुपये की मांग की थी. इस मामले में इलाहाबाद हाइकोर्ट ने 29 अप्रैल को हुई सुनवाई के दौरान उनकी गिरफ्तारी वारंट पर रोक लगा दी थी लेकिन 11 मई को हुई सुनवाई के दौरान उनकी अंतरिम सुरक्षा को हटा दिया गया था. वर्तिका ने इलाहाबाद हाइकोर्ट के इसी फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए इलाहाबाद के 11 मई वाले फैसले पर रोक लगा दी और 29 अप्रैल के पिछले आदेश को बहाल कर दिया, जिसमें उन्हें सुरक्षा दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और पीएस नरसिम्हा की बेंच ने ये आदेश दिया है. याचिकाकर्ता वर्तिका सिंह की ओर से वकील देवेश प्रताप सिंह ने कहा कि 11 मई को पुलिस से संरक्षण हटाने का फैसला वर्तिका सिंह को अपना पक्ष रखने का मौका दिए बिना लिया गया था. दरअसल 26 वर्षीय वर्तिका सिंह एक अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज हैं और उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार भी मिला है.
उनका दावा है कि NCW के सदस्य के रूप में उनकी नियुक्ति के लिए उन्हें ₹25 लाख रिश्वत के रूप में देने के लिए कहा गया था. रिश्वत देने से इनकार करने के बाद भी, डॉ. रजनीश सिंह और स्मृति ईरानी के सचिव विजय गुप्ता, कैबिनेट मंत्री आठ महीने तक 25 लाख रुपये की मांग करते रहे. इस दौरान वह नवंबर 2020 में, जब नई दिल्ली में ईरानी के आधिकारिक निवास पर गई और तीन पत्र दिखाए. ये वही पत्र हैं जो डॉ रजनीश सिंह द्वारा साझा किए गए थे. वर्तिका का कहना है कि उस समय स्मृति ईरानी ने तीनों पत्र वापस ले लिए और उन्हें को वापस जाने के लिए कहा था. वर्तिका ने स्मृति ईरानी पर भी धोखाधड़ी में शामिल होने का आरोप लगाया था.