Exclusive: सिंधु जल संधि पर भारत के फैसले का पाकिस्तान पर कितना असर? इंडस के पूर्व आयुक्त ने बताया

सिंधु जल समझौता स्थगित होने के बाद पाकिस्तान बौखला गया है. वहां के नेता तरह की बयानबाजी कर रहे हैं. 10 वर्षों तक सिंधु जल संधि के तकनीकी सलाहकार रहे एके बजाज ने बताया कि सिंधु जल समझौता स्थगित होने से पाकिस्तान पर कितना असर होगा.

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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लिया. सरकार ने भारत-पाकिस्तान के बीच सिंधु जल समझौते को स्थगित कर दिया है. सिंधु जल समझौता स्थगित होने के बाद तरह-तरह की बहस हो रही है. भारत की ओर से यह समझौता स्थगित होने के बाद पाकिस्तान की बौखलाहट भी सामने आई. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान के नेता बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा कि सिंधु हमारी है और हमारी ही रहेगी. या तो हमारा पानी बहेगा या खून. अब सवाल है कि सिंधु जल संधि स्थगित होने से पाकिस्तान पर कितना असर पड़ेगा? 

2 साल पहले भारत ने शुरू किया काम

इस सवाल के लिए एनडीटीवी ने पूर्व आयुक्त (इंडस) और 10 वर्षों तक सिंधु जल संधि के तकनीकी सलाहकार रहे एके बजाज से बात की. पूर्व आयुक्त (इंडस) ने बताया कि सिंधु जल संधि को स्थगित करने के निर्णय से दो वर्ष पहले ही भारत सरकार ने सिंधु जल संधि की शर्तों पर पुनः बातचीत करने का काम शुरू कर दिया था.

सिंधु नदी प्रणाली पर भारत ने दो नए वाटर स्टोरेज प्रोजेक्ट्स- पाकुलदुल और बर्सर तैयार करने पर काम तेज कर दिया है. पाकुलदुल प्रोजेक्ट के कंस्ट्रक्शन का काम तेजी से चल रहा है, जबकि बर्सर प्रोजेक्ट फाइनल प्लानिंग स्टेज में है. सिंधु जल संधि के तकनीकी सलाहकार रहे एके बजाज का कहना है कि जब ये दोनों ने वाटर स्टोरेज प्रोजेक्ट्स तैयार हो जाएंगे.

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पाकिस्तान की 85 फीसदी निर्भरता

तब भारत सिंधु नदी प्रणाली से जुड़ी नदियों के पानी को न सिर्फ अपनी जरूरत के हिसाब से ज्यादा जमा कर सकेगा, बल्कि उसे राजस्थान पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में डायवर्ट करना भी संभव होगा. पाकिस्तान की 85 प्रतिशत कृषि अर्थव्यवस्था सिंधु जल प्रणाली पर पूरी तरह निर्भर है.

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ऐसे में सिंधु जल समझौता स्थगित होने पर पाकिस्तान की कृषि अर्थव्यवस्था पर लॉन्ग टर्म में बहुत बुरा असर पड़ेगा, क्योंकि खेती के लिए उसे जितने पानी की जरूरत है. वह नहीं मिल सकेगी. मॉनसून सीजन के दौरान बाढ़ पर पूर्वानुमान से जुड़ी कोई भी जानकारी भारत पाकिस्तान के साथ साझा नहीं करेगा. जिसके चलते मानसून सीजन में पाकिस्तान को बाढ़ की चेतावनी समय पर नहीं मिल सकेगी और उसे आपदा झेलना पड़ेगा.

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