- SC ने विवादित कार्टून बनाने वाले हेमंत मालवीय को सोशल मीडिया पर माफी मांगने के बाद सशर्त अग्रिम जमानत दी है.
- अदालत ने हेमंत मालवीय को पुलिस जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया है, सहयोग न करने पर जमानत रद्द हो सकती है.
- हेमंत मालवीय पर PM मोदी और RSS का आपत्तिजनक कार्टून बनाने का आरोप है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भड़काऊ बताया था.
प्रधानमंत्री और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को लेकर विवादित कार्टून (Cartoonist Hemant Malviya) बनाने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने इंदौर के कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय को बड़ी राहत दी है. अदालत ने सोशल मीडिया पर जारी माफीनामे को मंजूर करते हुए उनको सशर्त अग्रिम जमानत दे दी है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मालवीय को पुलिस जांच में सहयोग करने को कहा है. अगर वह जांच में सहयोग नहीं करते हैं तो जमानत रद्द की जा सकती है.
ये भी पढ़ें- आरएसएस और पीएम मोदी पर कार्टून विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने कार्टूनिस्ट को 10 दिन में माफीनामा देने का दिया आदेश
हेमंत मालवीय ने सोशल मीडिया पर मांगी माफी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हेमंत मालवीय ने सोशल मीडिया-फेसबुक और इंस्टाग्राम पर माफी मांगी है और अदालत में हलफ़नामा दायर करने पर सहमति जताई. इसके बाद, अदालत ने 15 जुलाई को दी गई गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा को स्थायी बनाने पर सहमति जताई. उनको जमानत इस शर्त पर दी गई है कि वह जांच में सहयोग करेंगे.
अगर मालवीय जांच में सहयोग नहीं करते हैं तो सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने मध्य प्रदेश पुलिस को अग्रिम जमानत रद्द करने की मांग करने की छूट दी है. बता दें कि 19 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इजाजत दी थी कि प्रधानमंत्री और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को लेकर विवादित कार्टून बनाने के चलते FIR का सामना कर रहे इंदौर के कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर माफी मांगेंगे. जिसके बाद उन्होंने माफी मांग ली थी.
हेमंत मालवीय पर क्या है आरोप?
- हेमंत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का आपत्तिजनक कार्टून बनाने का आरोप है.
- सुप्रीम कोर्ट ने इसे अपरिपक्व और भड़काऊ करार दिया था.
- इससे पहले हेमंत ने 3 जुलाई को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी, जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था.
- हाईकोर्ट का कहना था कि हेमंत ने 'अभिव्यक्ति की आजादी' का गलत इस्तेमाल किया है. उनके कार्टून पर सवाल उठना स्वाभाविक है.
- हेमंत मालवीय का कहना है कि उन्होंने यह कार्टून कोरोना महामारी के दौरान बनाया था. उस समय पूरे देश में डर का माहौल था
- मगर, अब कुछ यूजर्स ने उसे फिर से सोशल मीडिया पर शेयर करना शुरू कर दिया है.
- हेमंत का पुराना कार्टून शेयर करते हुए यूजर्स केंद्र सरकार पर तंज कस रहे हैं कि सरकार वक्फ और पहलगाम जैसे मुद्दों को छिपाने के लिए जातिगत जनगणना लागू कर रही है.
गिरफ्तारी से बचने के लिए किया था सुप्रीम कोर्ट का रुख
मालवीय के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को इसकी जानकारी देते हुए कहा था कि वह फेसबुक, इंस्ट्राग्राम और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर माफीनामा जारी करेंगे. हेमंत मालवीय ने मध्यप्रदेश में दर्ज FIR में गिरफ्तारी से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. मध्य प्रदेश सरकार की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने कहा कि इस मामले में विवादित पोस्ट को डिलीट नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि जांच जारी है. इस दौरान हेमंत मालवीय को सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर माफी मांगने दी जाए. उनसे अंडरटेकिंग ली जानी चाहिए कि वह जांच में सहयोग देंगे और दूसरी कोई हरकत नहीं करेंगे.
कोर्ट ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल की इस दलील पर सहमति जताते हुए मालवीय को 10 दिनों में माफी मांगने को कहा था.कोर्ट ने इस बीच मालवीय की गिरफ्तारी पर लगी रोक को अगले आदेश तक बढ़ा दिया था. 15 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय को जोरदार फटकार लगाई थी.