देश में मालगाड़ियों (Freight Trains) से ज्यादा से ज्यादा माल ढुलाई के लिए भारतीय रेलवे ने नया रास्ता निकाला है. रेलवे ने दक्षिण मध्य रेलवे (South Central Railway) में पहली बार दो लंबी दूरी की मालगाड़ियों “त्रिशूल” और “गरुड़” का सफलतापूर्वक संचालन किया है. यह लंबी दूरी की मालगाड़ियों की सामान्य संरचना से दोगुनी या कई गुना लंबी हैं. इस तरह की ट्रेनों के कई फायदे हैं, जिनमें एक ही बार में बहुत ज्यादा माल की ढुलाई शामिल हैं, जिससे क्षमता के कमी का समाधान करती हैं.
त्रिशूल की लंबाई का अंदाजा इसमें लगी बोगियों की संख्या से ही लगाया जा सकता है. दक्षिण मध्य रेलवे की यह ट्रेन तीन मालगाड़ियों के बराबर है और इसमें 177 वैगन शामिल हैं. ट्रेन को 7 अक्टूबर को विजयवाड़ा मंडल के कोंडापल्ली स्टेशन से पूर्वी तट रेलवे के खुर्दा मंडल के लिए रवाना किया गया था.
इसी तरह की एक और ट्रेन को दक्षिण मध्य रेलवे ने 8 अक्टूबर को गुंतकल डिविजन के रायचूर से सिकंदराबाद के मनुगुरु के लिए रवाना किया था. इसे गरुड़ नाम दिया गया.
इन दोनों ही ट्रेनों में थर्मल पावर स्टेशंस तक कोयला पहुंचाने के लिए खुले वैगन शामिल थे. दक्षिण मध्य रेलवे देश के पांच प्रमुख माल ढुलाई वाले रेलवे में शामिल हैं.
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