भारत के पास क्षमता और उपयुक्त समय पर जवाब देने की इच्छाशक्ति : वायुसेना प्रमुख

चौधरी ने कहा कि स्वतंत्र सामरिक अभियान और थलसेना, नौसेना तथा राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जिम्मेदार अन्य एजेंसियों के साथ समन्वित अभियान संचालित करने की भारतीय वायुसेना के पास अनूठी क्षमता है.

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वायुसेना प्रमुख ने कहा कि हम तीनों सशस्त्र बलों के प्रयासों को समन्वित करने को उत्सुक हैं. (फाइल)
नई दिल्ली:

वायुसेना प्रमुख वी आर चौधरी ने मंगलवार को कहा कि भारत के पास क्षमता है और वह उपयुक्त समय पर किसी भी सुरक्षा चुनौती का जवाब देगा. उनकी यह टिप्पणी पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद और पाकिस्तान की सीमापार आतंकी गतिविधियों के बीच आई है. वायुसेना प्रमुख ने यह भी कहा कि पिछले दशकों में टकरावों ने लगभग सभी अभियानगत स्थिति में वायुसेना की शक्ति के महत्व को रेखांकित किया है. एक टीवी चैनल द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एयर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा कि भारतीय वायुसेना ने अपनी शक्तियों में इजाफा करने और संपूर्ण युद्ध क्षमताओं का दोहन करने के लिए एक खाका तैयार किया है. 

उन्होंने कहा, ‘‘भारत के पास क्षमता है और कहीं अधिक महत्वपूर्ण चीज उपयुक्त समय पर जवाब देने की इच्छाशक्ति है....'' उन्होंने कहा, ‘‘यह जवाब देने का हम कौशल रखते हैं. इसलिए यह जरूरी है कि हम इसे धार दें और यथासंभव घातक बनाएं.''

चौधरी ने कहा कि स्वतंत्र सामरिक अभियान और थलसेना, नौसेना तथा राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जिम्मेदार अन्य एजेंसियों के साथ समन्वित अभियान संचालित करने की भारतीय वायुसेना के पास अनूठी क्षमता है.

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उन्होंने कहा, ‘‘हम तीनों सशस्त्र बलों के प्रयासों को समन्वित करने को उत्सुक हैं.'' चौधरी ने कहा कि वायुसेना ने हाल में अपने अभियानगत सिद्धांत को अद्यतन और संशोधित किया है ताकि अगले दशक के लिए इसे प्रासंगिक रखा जाए.

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उन्होंने कहा, ‘‘अगला कदम हमारे सिद्धांतों और बखूबी प्रशिक्षित मानव बल का उपयोग करना होगा. इसके लिए संयुक्त रूप से योजना बनाने और योजनाओं के संयुक्त क्रियान्वयन की जरूरत होगी.''

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वायुसेना प्रमुख ने कहा कि पिछले कुछ दशकों में हुए टकरावों ने स्पष्ट रूप से यह प्रदर्शित किया है कि वायुसेना की शक्ति लगभग सभी अभियानगत स्थितियों में एक पसंदीदा औजार साबित होगी.

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उन्होंने कहा कि अकेले कोई भी सशस्त्र बल (वायुसेना या थलसेना या नौसेना) केवल अपने बूते युद्ध नहीं जीत सकता.

सशस्त्र बलों के ‘थियेटराइजेशन' पर वायुसेना की कुछ आपत्ति होने की धारणा के बीच उनकी यह टिप्पणी आई है.

उल्लेखनीय है कि ‘थियेटराइजेशन' योजना के तहत, प्रत्येक थियेटर कमान में थलसेना, वायुसेना और नौसेना की इकाइयां होंगी. सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए एक अभियानगत कमांडर के तहत तीनों सशस्त्र बल एकल इकाई के रूप में काम करेंगे.

उन्होंने कहा कि अजरबैजान-अर्मेनिया संघर्ष में लड़ाकू विमानों के साथ ड्रोन के इस्तेमाल और रूस-यूक्रेन संघर्ष में सशस्त्र ड्रोनों का अत्यधिक उपयोग भविष्य में आने वाली प्रणालियों का संकेत देता है.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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