अग्निपथ योजना इस वक़्त सरकार के गले की फांस बनी हुई है. देश के ज्यादातर राज्यों में सरकार की इस योजना का जमकर विरोध हो रहा है. लेकिन सरकार फिलहाल तो पीछे हटने को राज़ी नहीं दिख रही है. ऐसे में उन युवाओं को अपना भविष्य खतरें में नज़र आ रहा है जो सेना की भर्ती के लिए जी तोड़-मेहनत कर रहे थे. पटना के नौबतपुर में एनडीटीवी ने उन युवाओं से बात की जो भर्ती की तैयारियों में जुटे हैं. तैयारी करने वाले एक युवा ने कहा कि ये नियम सरकार को हर हाल में वापस लेना पड़ेगा. इसके पीछे वजह ये है कि चार साल बाद 75 फीसदी युवा कहां जाएंगे. युवाओं का सवाल है कि असम राफइल्स में आखिरकार कितने लोगों की बहाली होगी और जो नया अभ्यर्थी रहेगा वो कहां जाएगा?
बीजेपी ऑफिस में गार्ड की नौकरी वाले ऑफर पर युवाओं ने नाराजगी जाहिर की. युवाओं ने कहा कि आर्मी में जाने वाले जवान क्या बीजेपी ऑफिस की निगरानी करेंगे? सेना की वर्दी पहनने का सपना संजोने वाले युवाओं ने कहा कि सरकार इस योजना को हम पर बिना सोचे समझे थोप रही है जो कि तानाशाही सरकार का रवैया है. जो बिल्कुल भी ठीक नहीं है. चार साल की सर्विस के बाद अग्निवीर को निष्कासित वीर कहकर उनका मज़ाक बनाया जाएगा. सेना की भर्ती का फिजिकल और टेस्ट पास करने वाले एक अभ्यर्थी सरकारी रवैये से बेहद खफा है. युवा ने कहा कि जिनका प्रोसेस आगे बढ़ चुका था, उनसे पूछिए कितना मुश्किल होता है टेस्ट, फिजिकल और मेडिकल पास करना.
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युवाओं को कहना है कि सेना में हम गरीब ही जाएंगे, नेताओं के बच्चे सेना में नहीं जाएंगे. क्या हम इतनी जी-तोड़ मेहनत सिर्फ चार साल के लिए कर रहे हैं. हमें अपना जुनून सिर्फ चार साल के लिए नहीं दिखाना है, सेना हमारे लिए कोई टूर नहीं है, ये नौकरी हमारे लिए जज्बा है, जिसे हम ताउम्र जीना चाहते हैं. मगर सरकार ने सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया. पुरानी भर्तियों को कैंसिल करना युवाओं के साथ एक तरह का धोखा है. जिन युवाओं को सेना का ज्वाइनिंग लेटर आना था अब उनका सेना से मोहभंग हो रहा है. साथ ही युवाओं ने सरकार के खिलाफ आक्रोशित होने की वजह भी बताई. युवाओं का कहना है कि देशभर में हुए हिंसक विरोध के लिए सिर्फ सरकार की जवाबदेही है.
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