बिहार की कई जेलों में कैदियों की संख्या क्षमता के मुकाबले दोगुनी या इससे भी अधिक

ताजा आंकड़ों के मुताबिक बिहार की जेलों में 61,891 कैदी बंद हैं जिनमें से 59,270 पुरुष और 2621 महिलाएं हैं. राज्य के केंद्रीय कारागारों में से आदर्श केंद्रीय कारागार, बेउर (पटना) में 2,360 कैदियों की स्वीकृत क्षमता के मुकाबले 5,841 कैदी हैं. इस जेल में क्षमता के मुकाबले ढाई गुना अधिक कैदी हैं.

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बिहार में दोषी ठहराए गए 27 कैदियों की रिहाई को लेकर जारी बहस के बीच राज्य की कई जेलों में क्षमता के मुकाबले दोगुना या इससे अधिक संख्या में कैदियों के होने का पता चला है. राज्य सरकार के गृह विभाग की ओर से जारी नवीनतम आंकड़े 59 जेलों में कैदियों की संख्या कम करने की जरूरत को रेखांकित करते हैं, जहां फिलहाल करीब 62,000 कैदी बंद है.

राज्य सरकार के गृह विभाग की ओर से अपनी वेबसाइट पर 31 मार्च तक अपलोड किये गए आंकड़ों के मुताबिक आठ केंद्रीय कारागारों समेत कुल 59 जेलों की क्षमता 47,750 थी, लेकिन इन जेलों में 61,891 कैदी हैं. इसका मतलब यह हुआ कि जेलों में क्षमता के मुकाबले 30 फीसदी अधिक कैदी हैं. सबसे खराब दशा जमुई जिला जेल की है जिसकी क्षमता 188 कैदियों की है, लेकिन वहां 822 कैदी रह रहे हैं. यानी जमुई जिला जेल में तय क्षमता के मुकाबले चार गुना से अधिक कैदी हैं.

गृह विभाग के सूत्रों के मुताबिक जमुई जिला जेल उन 38 जेलों में शामिल है जहां स्वीकृत क्षमता के मुकाबले दोगुना या इससे अधिक कैदी हैं. अधिकारियों ने कहा कि केवल जेल प्रबंधन में सुधारों की आवश्यकता को रेखांकित करने के लिए वे इस ओर इंगित कर रहे थे.

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गैंगस्टर से राजनेता बने आनंद मोहन सिंह की बृहस्पतिवार को सहरसा जेल से रिहाई की विपक्ष ने कड़ी आलोचना की. राज्य सरकार ने हाल ही में जेल नियमों में संशोधन करके 27 दोषियों की जल्द रिहाई की अनुमति दे दी. कैद की सजा में छूट के आदेश के तहत आनंद मोहन को जेल से रिहाई की अनुमति मिली.

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वर्ष 1994 में मुजफ्फरपुर के गैंगस्टर छोटन शुक्ला के अंतिम संस्कार के दौरान एक युवा आईएएस अधिकारी और गोपालगंज के तत्कालीन कलेक्टर जी कृष्णैया की हत्या में कथित भूमिका के लिए आनंद आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे. लेकिन नीतीश कुमार सरकार ने 10 अप्रैल को बिहार जेल नियमावली, 2012 में संशोधन किया और अन्य बातों के साथ-साथ उस खंड को भी हटा दिया, जिसमें कहा गया था कि ‘ड्यूटी पर तैनात एक लोक सेवक की हत्या' के लिए दोषी ठहराए गए लोगों को कैद की अवधि में छूट नहीं दी जा सकती है.

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बिहार सरकार के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अभयानंद ने ‘पीटीआई-भाषा' से कहा, ‘‘यह सत्य है कि राज्य की जेलों में कैदियों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही है. मुझे लगता है कि मामलों की सुनवाई में तेजी लाकर और कुछ विशिष्ट मामलों में आरोपियों को निश्चित अवधि के बाद जमानत प्रदान करके जेल में कैदियों की भीड़ को कम किया जा सकता है.''

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ताजा आंकड़ों के मुताबिक बिहार की जेलों में 61,891 कैदी बंद हैं जिनमें से 59,270 पुरुष और 2621 महिलाएं हैं. राज्य के केंद्रीय कारागारों में से आदर्श केंद्रीय कारागार, बेउर (पटना) में 2,360 कैदियों की स्वीकृत क्षमता के मुकाबले 5,841 कैदी हैं. इस जेल में क्षमता के मुकाबले ढाई गुना अधिक कैदी हैं.

क्षमता के मुकाबले कैदियों की संख्या केंद्रीय कारागार (पूर्णिया) में 140 फीसदी अधिक है, तो केंद्रीय कारागार (गया) में 130 फीसदी, शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारागार (मुजफ्फरपुर) में 120 फीसदी, केंद्रीय कारागार (मोतिहारी) में 120 फीसदी और शहीद जुब्बा साहनी केंद्रीय कारागार (भागलपुर) में 115 प्रतिशत अधिक है.

मधेपुरा जिला जेल में फिलहाल 742 कैदी हैं, जबकि इसकी क्षमता केवल 182 कैदियों की है. ‘पीटीआई-भाषा' की ओर से इस मामले में प्रतिक्रिया जानने के लिए बार-बार प्रयास किये जाने के बावजूद बिहार के कानून मंत्री शमीम अहमद से संपर्क नहीं हो पाया.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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