माफियाओं के हौसले बुलंद, कोयले के अवैध खनन रोकने की जिम्मेदारी तीन एजेंसियों पर फिर भी तस्कर बेखौफ

कोयले की सबसे ज्यादा अवैध खनन बीसीसीएल सहित अन्य कोल कंपनियों की बंद और खुली छोड़ी खदानों से होती है. इसके अलावा एक्टिव खदानों से भी अवैध खनन का दावा है.

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अवैध कोयला तस्कर गरीब मजदूरों को चंद पैसे देकर अवैध खनन करवा रहे हैं.
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  • निरसा और पंचेट में अवैध खनन के दौरान 3 मजदूरों की मौत हो गई और कई मजदूरों के दबे होने की आशंका है
  • लगातार बारिश के कारण कोयले की सुरंग कमजोर हो रही है, फिर भी तस्कर मजदूरों को अवैध खनन के लिए मजबूर कर रहे हैं.
  • अवैध कोयला तस्करी रुकने की बजाय फलफूल रही है. अवैध खनन से सरकार को आर्थिक नुकसान हो रहा है.
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धनबाद:

धनबाद में धड़ल्ले से कोयले का काला धंधा चल रहा है. अवैध खनन व कोलडंपों से लूट के बाद कोयले को खुलेआम सड़क मार्ग के‌ जरिए बिहार, बंगाल और यूपी के मंडी में भेजा जा रहा है. इस गोरखधंधे को रोकने का जिम्मा कोल सेक्टर, सीआईएसएफ और पुलिस पर है. लेकिन हर कोई चुप है. शनिवार को जिले के निरसा और पंचेट में अवैध माइनिंग के दौरान एक हादसा हो गया. इस हादसे में 3 मजदूरों ने अपनी जान गवा दी. जबकि कुछ मजदूरों के दबे होने की बात कही जा रही है. इस घटना के बाद पुलिस की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है.

तस्करों में कोई खौफ नहीं

लगातार हो रही बारिश में भी अवैध कोयला तस्कर गरीब मजदूरों को चंद पैसे देकर अवैध खनन करवा रहे हैं. बारिश के कारण जमीन गिली है और ऐसे में कोयले की सुरंग कमजोर हो जाती. जिससे कोयले के चट्टान (चाल) धंसने से मजदूर अपनी जान गवा रहें हैं. संबंधित विभाग कार्रवाई करने के बजाय एक दूसरे पर फेंका-फेकी कर देते हैं. इसी कारण कोयला चोरों और तस्करों में कोई खौफ नहीं है.

निरसा के विधायक अरुप चटर्जी का साफ कहना है कि इस पूरे कोयला चोरी के सिंडिकेट में हर कोई हिस्सेदार है और इसे रोकना मुमकिन नहीं. कोयले की सबसे ज्यादा अवैध खनन बीसीसीएल सहित अन्य कोल कंपनियों की बंद और खुली छोड़ी खदानों से होती है. इसके अलावा एक्टिव खदानों से भी अवैध खनन का दावा है. बीसीसीएल पर इस अवैध खनन को रोकने की जिम्मेदारी है, इसके बावजूद अंकुश नदारद है.

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केवल खानापूर्ति वाली कार्रवाई

अवैध खनन का कोयला सीआईएसएफ की आंखों के सामने से निकलता है. कई चेकपोस्टों के पास से गुजरता है. कोल कम्पनी ने चोरी रोकने के लिए कई CCTV कैमरे भी लगा रखे हैं. फिर भी चोरी बदस्तूर जारी है. सीआईएसएफ को भी पता है कि बाइकों में कोयला ढुलाई का नियम नहीं है. इसके बावजूद कार्रवाई नहीं होती. किन एक्टिव, बंद या परित्यक्त खदानों से कोयले का खनन हो रहा है, यह सीआईएसएफ से भी छुपी नहीं है. खदानों के पास बोरियों में कोयले का स्टॉक होता है, यह भी संज्ञान में है, परंतु कार्रवाई खानापूर्ति ही दिखती है.

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अवैध कोयला सड़कों पर धड़ल्ले से ढोया जाता है, चाहे साइकिल हो, बाइक या फिर ट्रक. सड़कों पर पुलिस-प्रशासन की मशीनरी रहती है. इसके बावजूद पुलिस इनकी धरपकड़ नहीं करती है. गश्ती दल व चेक पोस्टों में इन वाहनों से वसूली कर आगे बढ़ने की इजाजत भी मिलती है. हालांकि जब कोई बड़ी घटना घटती है तो जिला प्रशासन इस पर मामले की लीपापोती करने के लिए करवाई जरूर करते है. लेकिन कभी भी अवैध धंधेबाजो पर कोई करवाई नहीं होती है. जिसके कारण यह धंधा रुकने के बजाय फलफुल रहा है और सरकार को करोड़ों का चुना लग रहा है.

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