"सिस्टम कैसे काम करेगा..." - जजों की नियुक्ति ना करने के मामले में SC की केंद्र को खरी-खरी

जस्टिस एस के कौल ने कहा कि इतने केस पेंडिंग हैं. अच्छे लोगों को बेंच में शामिल होना चाहिए और समय सीमा का पालन करना चाहिए जब तक कि कोई अपवाद न हो.

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(फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

कॉलेजियम की सिफारिश के बावजूद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति ना करने के मामले में सोमवार को सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि  ऐसा लगता है कि सरकार NJAC के रद्द किए जाने से नाखुश है. केंद्र सरकार जजों की नियुक्ति को लेकर बैठी रहेगी तो सिस्टम कैसे काम करेगा. पिछले 2 महीने से सब कुछ ठप है, इसका समाधान करें. 

कोर्ट ने कहा कि हमें न्यायिक पक्ष पर फैसला करने को विवश ना करें. वहीं, एजी और एसजी को कहा कि वे सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए सलाह दें कि देश के कानून का पालन किया जाए. अब इस मामले में 8 दिसंबर को अगली सुनवाई होगी. 

सुनवाई के दौरान जस्टिस एस के कौल ने कहा कि आप लंबे समय तक नाम लेकर बैठे नहीं रख सकते. आप अपनी आपत्तियों को बताएं बिना नामों को रख नहीं ले सकते. कई नाम 1.5 साल से लंबित हैं. नियुक्ति के तरीके को आप निराश कर रहे हैं. एक बार नाम दोहराए जाने के बाद  इस तरह नाम होल्ड नहीं हो सकते. आप वरिष्ठता को पूरी तरह से भंग कर देते हैं. पहली पीढ़ी के वकील मिलना बहुत कठिन स्थिति है. समयसीमा निर्धारित की गई है, इसका पालन करना होगा. 

जस्टिस एस के कौल ने कहा कि इतने केस पेंडिंग हैं. अच्छे लोगों को बेंच में शामिल होना चाहिए और समय सीमा का पालन करना चाहिए जब तक कि कोई अपवाद न हो. अनुशंसित अधिकांश नाम 4 महीने की सीमा पार कर चुके हैं. हमें कोई जानकारी नहीं. कभी-कभी जब आप नियुक्ति करते हैं, तो आप सूची से एक नाम चुनते हैं और दूसरों का नहीं. आप जो करते हैं वह वरिष्ठता को प्रभावी ढंग से बाधित करता है. 

उन्होंने कहा, " जब कॉलेजियम कोई निर्णय लेता है, तो यह वरिष्ठता सहित विभिन्न कारकों को ध्यान में रखता है. जमीनी हकीकत यह है कि नामों को मंजूरी नहीं दी जा रही है. सुप्रीम कोर्ट ने कानून मंत्री किरेन रिजीजू के कॉलेजियम पर दिए बयानों पर भी नाराजगी जाहिर की. 

एक समिट में कानून मंत्री के कॉलेजियम को लेकर बयानों पर जस्टिस संजय किशन कौल ने निराशा जताई और कहा कि ये नहीं हो ना चाहिए था. ये कोई प्रेस रिपोर्ट नहीं है, बल्कि उच्च पद पर बैठने वाले का बयान है. ऐसा नहीं होना चाहिए था. 

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दरअसल, इस आरोप का जवाब देते हुए कि सरकार सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की विभिन्न सिफारिशों पर 'बैठती' है, कानून मंत्री रिजिजू ने कहा था  यह कभी नहीं कहना चाहिए कि सरकार फाइलों पर बैठी है. कभी मत कहिए कि सरकार फाइलों पर बैठी है, फिर फाइलें सरकार को मत भेजिए, आप खुद ही नियुक्त करिए. आप खुद ही  शो चलाइए.

उन्होंने कहा था कि सिस्टम उस तरह काम नहीं करता है. कार्यपालिका और न्यायपालिका  को काम करते हुए उन्हें देश की सेवा करनी होगी. 11 नवंबर को हुई पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केंद्र द्वारा नामों को लंबित रखना मंजूर नहीं है. सरकार न तो नामों की नियुक्ति करती है और न ही अपनी आपत्ति के बारे में बताती है. सरकार के पास 10 नाम भी लंबित हैं, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने दोहराया है.

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