राष्ट्रीय जनता दल (RJD) का दो दिवसीय सम्मेलन दिल्ली में सोमवार को संपन्न हो गया. इस सम्मेलन को इसलिए भी याद किया जाएगा कि राजद अध्यक्ष लालू यादव ने पहले दिन ही साफ़ कर दिया कि पार्टी के नीतिगत और महत्वपूर्ण मामलों में तेजस्वी यादव ही बोलेंगे. दूसरी ओर पार्टी ने एक प्रस्ताव पारित कर लालू यादव और तेजस्वी यादव को इस बात के लिए भी अधिकृत किया कि वो भविष्य में पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न से सम्बंधित कोई भी फ़ैसला लेने के लिए अधिकृत हैं. इसका साफ़ अर्थ फ़िलहाल तो यही लगाया जा रहा है कि भविष्य में अगर जनता दल यूनाइटेड के साथ पार्टी के विलय की बात चले तो उस समय पार्टी नेताओं की मुहर लगाने की प्रक्रिया के बिना फ़ौरन लालू यादव या तेजस्वी यादव इस पर कोई फ़ैसला ले सकें.
इस सम्मेलन, जिसका बहिष्कार खुद बिहार राजद के अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने किया, में तेजस्वी यादव के लहजे से यह साफ़ दिखा कि फ़िलहाल नीतीश कुमार पर बयान देने वाले या सरकार के ख़िलाफ़ बयानबाज़ी करने वाले उनके पसंदीदा नहीं हो सकते. तेजस्वी ने दोनो दिन साफ़ किया कि अपनी मनमर्ज़ी से बयान देने वाले दरअसल भाजपा को मज़बूत कर रहे हैं. मंत्री बेटे सुधाकर सिंह के इस्तीफा देने से नाराज चल रहे जगदानंद सिंह को भी मनाने की उन्होंने कोई पहल नहीं की.
एक तरफ जहां जगदानंद सिंह को तेजस्वी या लालू यादव ने मनाने की कोशिश नहीं की, तो दूसरी तरफ तेज प्रताप यादव ने पूर्व मंत्री श्याम रजक के ख़िलाफ़ मंच और मीडिया के जरिए हमला बोला तो अगले ही दिन लालू यादव ने श्याम रजक की नाराज़गी भाँपते हुए उन्हें मनाया और पार्टी की बैठक में सोमवार को उनकी उपस्थिति सुनिश्चत की. वहीं तेजप्रताप यादव को पार्टी बैठक के बजाय सैफ़ाई जाने का निर्देश दिया गया. पार्टी सूत्रों के अनुसार तेज प्रताप के तेवर से ना तो लालू और ना ही तेजस्वी सहज थे.
पार्टी की इस दो दिवसीय बैठक की सबसे ख़ास बात ये रही कि जहां लालू यादव ने अपने भाषण में केंद्रीय एजेन्सियों के छापे से ना घबराने की अपील कार्यकर्ताओं से की, वहीं तेजस्वी यादव ने नेताओं और कार्यकर्ताओं से समाज में वंचित समाज (वो चाहे दलित हो या अति पिछड़ा वर्ग) के लोगों के सामने झुक कर रहने की सलाह दी, जो निश्चित रूप से जनता दल यूनाइटेड के वोटरों को साथ रखने की अपील के रूप में देखा जा रहा है.