"यह अचानक कैसे बढ़ गया?" मतदान आंकड़े में हुई बढ़ोतरी पर ममता बनर्जी ने उठाया सवाल

ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने दावा किया कि जिन क्षेत्रों में बीजेपी को उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस से कम वोट मिलने की संभावना है, वहां मतदान का आंकड़ा अचानक बढ़ गया है.

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कोलकाता:

बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने दूसरे चरण के मतदान के चार दिन बाद मंगलवार शाम को चुनाव आयोग द्वारा जारी किए गए मतदान के आंकड़ों में विसंगति पर चिंता जताई. उन्होंने दावा किया कि जिन क्षेत्रों में बीजेपी को उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस से कम वोट मिलने की संभावना है, वहां मतदान का आंकड़ा अचानक बढ़ गया है. उन्होंने कहा, "बीती रात 9.30 बजे मैंने अचानक सुना कि जिन इलाकों में बीजेपी को कम वोट मिले थे, वहां 5.75 प्रतिशत वोट पड़े. उन जगहों पर अचानक वोट बढ़ गए. चुनाव आयोग ने नोटिस जारी किया है."

ममता बनर्जी ने कहा, "ये आंकड़ा कैसे बढ़ गया? अचानक से आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं और करीब 19 लाख वोटिंग मशीनें लंबे समय से गायब हैं." उन्होंने कहा, "हम चुनाव आयोग को बताएंगे, लोगों की शंका को दूर करने के लिए कहेंगे. भाजपा आयोग बनने का कोई मतलब नहीं है. भारत की जनता आपको एक स्वतंत्र चुनाव आयोग के रूप में काम करते देखना चाहती है."

आयोग, जो मतदान के दिन देर शाम या अगली सुबह अंतिम मतदान आंकड़े भेजता है, ने कल शाम आंकड़ों का एक संशोधित सेट भेजा. इसमें बंगाल में पहले चरण के लिए अंतिम आंकड़ा 81.91 फीसदी और दूसरे चरण के लिए 76.58 फीसदी था. यह मतदान के दिन के आंकड़ों से अधिक है - 19 अप्रैल को पहले चरण के लिए 77.6 प्रतिशत और 26 अप्रैल को दूसरे चरण के लिए 71.8 प्रतिशत मतदान हुआ था. 

बंगाल की लंबी चुनाव प्रक्रिया में - राज्य में सभी सात चरणों में मतदान होगा - उत्तर बंगाल के कूच बिहार, अलीपुरद्वार और जलपाईगुड़ी में पहले चरण में और बालुरघाट, रायगंज और दार्जिलिंग में दूसरे चरण में मतदान हुआ. सुप्रीम कोर्ट द्वारा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों पर भारी विश्वास मत देने और मतपत्र की वापसी के लिए मुट्ठी भर अपीलों को खारिज करने के एक हफ्ते बाद आयोग ने इस ताज़ा आकंड़े को पेश किया है.

ईवीएम ने वोट डालने की दर को प्रति मिनट चार वोट तक सीमित करके बूथ कैप्चरिंग को समाप्त कर दिया है. अदालत ने कहा था कि उन्होंने अवैध वोटों को भी खत्म कर दिया है, जो कागजी मतपत्रों के साथ एक प्रमुख मुद्दा था और अक्सर गिनती प्रक्रिया के दौरान विवादों को जन्म देता था. 

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