समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के दो टूक बयान के बाद अब माना जा रहा है कि केंद्र सरकार इस पर जल्दी ही आगे बढ़ेगी. राजनीतिक दलों में इसे लेकर हलचल तेज हो गई है. विधि आयोग (Law Commission) को अब तक साढ़े आठ लाख से अधिक सुझाव मिल चुके हैं. सवाल है कि क्या सरकार राज्य सभा में समान नागरिक संहिता के बिल को पारित करा सकती है, जहां उसे बहुमत नहीं है. दूसरा सवाल यह भी है कि दिल्ली में अफसरों की ट्रांसफर पोस्टिंग पर लाए अध्यादेश का राज्य सभा में क्या होगा? दिलचस्प बात यह है कि इन दोनों ही बिलों में सबसे अहम भूमिका आम आदमी पार्टी (AAP) की रहेगी.
पहले बात समान नागरिक संहिता की. राज्यसभा में बहुमत नहीं होने के बावजूद सरकार ने तीन तलाक और अनुच्छेद 370 के खात्मे करने जैसे महत्वपूर्ण और विवादास्पद बिल पारित कराए हैं. इसलिए यह समझना आसान है कि सरकार अगर चाहे तो वह राज्यसभा में समान नागरिक संहिता बिल भी पारित करा सकती है.
क्या है राज्यसभा का गणित?
- 245 सदस्यों की राज्य सभा में अभी 237 सदस्य हैं.
- आठ स्थान खाली हैं, जिनमें दो मनोनीत सांसदों की सीट भी शामिल.
- बहुमत का आंकड़ा फिलहाल 119 है.
- बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के पास अभी 109 सांसद हैं.
- इनमें बीजेपी के 92, एआईएडीएमके 4 सांसद हैं.
- एजीपी, एनपीपी, एसडीएफ, आरपीआई, एमएनएफ, टीएमसीएम और पीएमके के एक- एक सांसद मिला कर 7 सांसद
- और पांच मनोनीत और एक निर्दलीय सांसद का समर्थन हासिल है.
- इसके बावजूद एनडीए बहुमत के आंकड़े से 10 की दूरी पर रह जाती है.
- राज्यसभा में आम आदमी पार्टी के 10 सांसद हैं. इनमें से 3 दिल्ली से और 7 पंजाब से हैं. अगर आप यूसीसी पर बीजेपी को समर्थन दे देती है, तो बीजेपी बहुमत के आंकड़े को पार कर जाएगी.
24 जुलाई को राज्यसभा की 10 सीटों पर चुनाव
वैसे 24 जुलाई को राज्यसभा की दस सीटों पर चुनाव होना है. साथ ही एक सीट पर उपचुनाव भी होगा. बीजेपी के राज्य सभा में 93 सांसद थे, हरद्वार दुबे की सोमवार को मौत के बाद अब 92 सांसद बच गए. मनोनीत सांसदों में दो स्थान रिक्त हैं. 24 जुलाई को होने वाले राज्यसभा की 10 सीटों चुनाव में गुजरात से 3 और गोवा से एक सीट बीजेपी को मिलना तय है. पश्चिम बंगाल से पहली बार बीजेपी को राज्य सभा की एक सीट मिलेगी. हालांकि, इसके बावजूद एनडीए बहुमत से दूर रहेगा.
UCC पास कराने में मोदी सरकार को नहीं करनी पड़ेगी मशक्कत
बहुमत से दूर होने के बावजूद भी समान नागरिक संहिता का बिल राज्यसभा में पारित कराने के लिए सरकार को ज्यादा मशक्कत करने की जरूरत नहीं होगी. बीजेपी को बीजेडी, बीआरएस, वायएसआरसीपी और AAP का समर्थन चाहिए. AAP के 10, बीजेडी के 9, वायएसआरसीपी के 9 और बीआरएस के 7 सांसद राज्यसभा में हैं. बीजेडी समर्थन का ऐलान कर चुकी है, वहीं आम आदमी पार्टी भी सैद्धांतिक तौर पर पक्ष में है. BRS बिल देख कर फैसला करेगी. हालांकि, YSRCP विरोध कर सकती है. ऐसे में AAP और बीजेडी को मिलाकर यह आंकड़ा बहुमत के पार जा सकता है.
17 जुलाई से शुरू हो सकता है संसद का मॉनसून सत्र
सूत्रों के मुताबिक, संसद का मॉनसून सत्र 17 जुलाई से शुरू होकर 10-12 अगस्त तक चलने की संभावना है. लेकिन माना जा रहा है कि इस सत्र में दिल्ली में ट्रांसफर-पोस्टिंग वाले अध्यादेश का मुद्दा छाया रहेगा. सरकार कई अन्य बिलों को भी पास कराने की कोशिश करेगी. इनमें कोस्टल ऐक्वाकल्चर अथॉरिटी संशोधन बिल, वन संरक्षण संशोधन बिल, इंटर सर्विसेज़ ऑर्गेनाइजेशन कमांड, कंट्रोल और डिसिप्लीन बिल शामिल हैं.
ट्रांसफ़र-पोस्टिंग वाले अध्यादेश पर क्या है गणित?
राज्यसभा में इस बिल को पारित कराने के लिए बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस पर दारोमदार रहेगा. केंद्र सरकार इन दोनों पार्टियों पर निर्भर रहेगी. बिल को लेकर कांग्रेस ने अभी तक अपना रुख साफ नहीं किया है. इसी बात को लेकर आम आदमी पार्टी कांग्रेस से नाराज भी है. अगर कांग्रेस अध्यादेश के खिलाफ गई तो सरकार को बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस की जरूरत पड़ेगी.
सारा दारोमदार बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस पर
ऐसे में सारा दारोमदार बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस पर आकर टिक जाता है. बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस के 9-9 सांसद राज्यसभा में हैं. अध्यादेश का भविष्य ये 18 सांसद तय कर सकते हैं. केजरीवाल को अब तक इन दोनों दलों का समर्थन नहीं मिला है. ये दोनों दल पहले भी कई विवादास्पद बिलों पर सरकार की मदद कर चुके हैं. तीन तलाक और अनुच्छेद 370 हटाने पर भी सरकार का समर्थन किया था.
AAP के पास सरकार से सौदेबाजी का अच्छा मौका
गणित यह भी बता रहा है कि अरविंद केजरीवाल के पास सरकार से सौदेबाजी करने का एक अच्छा मौका है. समान नागरिक संहिता पर अपने समर्थन के बदले केंद्र से दिल्ली अध्यादेश पर झुकने को कह सकते हैं.
ये भी पढ़ें:-
आखिर BJP लोकसभा चुनाव 2024 से पहले यूनिफॉर्म सिविल कोड पर क्यों दे रही है जोर?
AAP का यूनिफॉर्म सिविल कोड को "समर्थन" 2024 के लिए विपक्षी एकता को झटका?