बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न से सम्मानित करने पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि कर्पूरी ठाकुर को दिया गया सम्मान गरीबों और पिछड़ों को भी दिया गया सम्मान है. केंद्रीय गृह मंत्री ने ये बातें विज्ञान भवन में कर्पूरी ठाकुर की जयंती के मौके पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए कही
भाजपा ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने को एक मास्टरस्ट्रोक बता रही है. हालांकि विपक्षी दल सरकार के इस कदम को गैर-यादव ओबीसी मतदाताओं से अपील करने की बीजेपी की चाल के रूप में देखा रहा है. इसे चुनाव से पहले जाति की राजनीति को मुद्दा बनाने की विपक्ष की कोशिश को कुंद करने के प्रयास के रूप में भी देखा गया है.
"कर्पूरी ठाकुर ने राज्य की शराब-निषेध नीति की शुरुआत की"
अमित शाह ने कटाक्ष करते हुए कहा कि जो लोग (कर्पूरी ठाकुर के लिए) पहचान चाहते थे, वे सत्ता में आने पर उनके बारे में भूल गये थे. ये वही कर्पूरी ठाकुर ने राज्य की शराब-निषेध नीति की शुरुआत की, और नीतीश कुमार के साथ-साथ अपने लंबे समय के प्रतिद्वंद्वी व मित्र और पूर्व मुख्यमंत्री, लालू प्रसाद यादव का मार्गदर्शन भी किया. वैसे नीतीश कुमार और लालू यादव दोनों कहते है कि उन्होंने कर्पूरी ठाकुर को सम्मान दिलाने के लिए अभियान चलाया था।
बता दें कि कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की टाइमिंग को लेकर भी सवाल खड़े होने लगे हैं. कांग्रेस ने भी भारत रत्न की टाइमिंग पर भी सवाल उठाया है. राहुल गांधी ने कहा कि उस व्यक्ति को "सच्ची श्रद्धांजलि" जिसे अभी भी 'जननायक' या 'जनता के नेता' के रूप में याद किया जाता है, जाति जनगणना का आदेश देना होगा.
"पिछड़ा वर्ग पर कही ये बड़ी बात"
कांग्रेस के नेतृत्व वाले INDIA जिसमें नीतीश कुमार की जेडीयू और लालू यादव की राजद शामिल हैं, ने इस प्रैक्टिस की वकालत की है. साथ ही यह तर्क दिया है कि इससे हाशिए पर रहने वाले समुदायों की आबादी की पहचान करने में मदद मिलेगी. हालांकि, भाजपा इस प्रैक्टिस को लेकर दुविधा में है. भाजपा के रिकॉर्ड पर सवाल उठाने वाले आलोचकों पर पलटवार करते हुए अमित शाह ने बताया कि ओबीसी या अन्य पिछड़ा वर्ग से 27 केंद्रीय मंत्री थे. उन्होंने घोषणा की कि वह खुद उस जाति से हैं.
कर्पूरी ठाकुर की विरासत को पीएम मोदी से जोड़ने की कोशिश करते हुए, अमित शाह ने कहा कि यह कर्पूरी ठाकुर ही थे जिन्होंने सबसे पहले हिंदी को बढ़ावा दिया. बाद में पीएम ने क्षेत्रीय भाषाओं को भी बढ़ावा दिया. अमित शाह ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर ने पांच दशक पहले हिंदी भाषा को मजबूत करने का फैसला लिया था. और पीएम ने सभी स्थानीय भाषाओं के साथ-साथ सभी स्थानीय भाषाओं को मजबूत कर अगली पीढ़ी को अपनी भाषा में शिक्षित करने का काम किया है.