केंद्रीय गृह मंत्रालय (Union Home Ministry) ने विदेशी अंशदान विनियमन कानून (एफसीआरए) के तहत गैर सरकारी संगठनों (NGOs) को जारी पंजीकरण प्रमाणपत्रों की वैधता अगले साल मार्च तक बढ़ा दी है. केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी एक नोटिस के मुताबिक, ‘‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी'' (Missionaries of Charity) जैसे संगठनों को हालांकि इसका फायदा नहीं मिलेगा क्योंकि एफसीआरए कानून (FCRA Laws) के तहत नवीनीकरण के उनके आवेदन पहले ही खारिज किए जा चुके हैं. नोटिस में कहा गया कि जन हित में केंद्र ने गैर सरकारी संगठनों (NGOs) को जारी पंजीकरण प्रमाणपत्रों की वैधता को 31 मार्च 2022 तक या उनके नवीनीकरण संबंधी आवेदन के निपटान की तारीख तक बढ़ाने का फैसला किया है.
इसका फायदा ऐसे एनजीओ को होगा जिनके पंजीकरण की मान्यता 29 सितंबर 2020 और 31 मार्च 2022 के बीच खत्म हो रही है और जिन्होंने प्रमाणपत्रों की वैधता समाप्त होने से पहले नवीनीकरण के लिए एफसीआरए पोर्टल पर आवेदन दिए हैं. एनजीओ को विदेशी रकम हासिल करने के लिए एफसीआरए के तहत पंजीकरण कराना अनिवार्य है. एफसीआरए के तहत कुल 22,762 गैर सरकारी संगठन पंजीकृत हैं और इनमें से अब तक 6500 के नवीनीकरण के लिए आवेदन को आगे बढ़ाया गया है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 25 दिसंबर को एफसीआरए पंजीकरण के नवीनीकरण के लिए मदर टेरेसा द्वारा कोलकाता में स्थापित ‘‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी'' के आवेदन को पात्रता शर्तों को पूरा नहीं करने के कारण खारिज कर दिया था. गृह मंत्रालय ने एक बयान में यह भी बताया था कि उसने मिशनरीज ऑफ चैरिटी के किसी खाते से लेनदेन को नहीं रोका है, बल्कि भारतीय स्टेट बैंक ने सूचित किया है कि संस्था ने खुद बैंक को खातों पर रोक लगाने का अनुरोध किया है.
गृह मंत्रालय के इस बयान से पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सहित कई नेताओं ने दावा किया था कि केंद्र सरकार ने मदर टेरेसा द्वारा स्थापित संस्था के सभी बैंक खातों से लेन-देन पर रोक लगा दी है. एफसीआरए के तहत मिशनरीज ऑफ चैरिटी का पंजीकरण 31 अक्टूबर, 2021 तक वैध था. गृह मंत्रालय ने कहा कि वैधता को 31 दिसंबर, 2021 तक बढ़ाया गया था. मिशनरीज ऑफ चैरिटी एक कैथोलिक धार्मिक संस्था है जिसकी स्थापना मदर टेरेसा ने 1950 में की थी.
केंद्र के इस फैसले के मद्देनजर ओड़िशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने सभी जिलाधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे कि राज्य में कार्यरत ‘‘मिशनरीज आफ चैरिटी'' की किसी भी इकाई को काम करने में दिक्कत ना हो और कोष का संकट ना हो. उन्होंने कहा था कि जरूरत पड़े तो उन्होंने मुख्यमंत्री राहत कोष का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.