हिमाचल में अब तक 105 मौतें, 35 लोग लापता और 800 करोड़ रुपये से ज्यादा का हुआ नुकसान

मानसून में मौतों में मंडी में सबसे अधिक 21 मौतें, कांगड़ा में 17, कुल्लू में 11, चंबा में 9, और हमीरपुर, बिलासपुर, ऊना में 8-8 मौतें दर्ज हुई हैं. अब तक 1046 मकान, 188 दुकानें और 798 गौशालाएं क्षतिग्रस्त हुई हैं. अकेले मंडी में 856 घर, 166 दुकानें और 644 गौशालाएं प्रभावित हुई हैं.

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  • हिमाचल प्रदेश में इस वर्ष मॉनसून के दौरान बारिश, भूस्खलन और बादल फटने की 20 से अधिक घटनाओं में 105 लोग मारे गए, 35 लापता और 184 घायल हुए हैं
  • राज्य सरकार के अनुसार, अब तक 800 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति का नुकसान हुआ है, जिसमें मकान, दुकानें और गौशालाएं शामिल हैं
  • मौसम विभाग ने 20 जुलाई तक भारी बारिश की चेतावनी जारी की है, जिसमें शिमला, सोलन, सिरमौर में ऑरेंज और अन्य जिलों में येलो अलर्ट है
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शिमला:

हिमाचल प्रदेश में इस वर्ष का मॉनसून तबाही लेकर आया है. अब तक बारिश, भूस्खलन और बादल फटने जैसी 20 से ज्यादा घटनाओं में 105 लोगों की जान जा चुकी है, 35 लोग लापता हैं और 184 लोग घायल हुए हैं. राज्य सरकार के अनुसार, अब तक 800 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति का नुकसान हो चुका है.

मौसम विभाग ने राहत की संभावनाएं भी लगभग खारिज कर दी हैं. 20 जुलाई 2025 तक भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है. इसके तहत अलग-अलग जिलों में ऑरेंज और येलो अलर्ट घोषित किया गया है. 15 जुलाई को शिमला, सोलन और सिरमौर जिलों में ऑरेंज अलर्ट, जबकि बिलासपुर, कांगड़ा, कुल्लू और मंडी में येलो अलर्ट रहेगा. 16 से 18 जुलाई तक भी कई जिलों में भारी बारिश की चेतावनी है, जिससे जनजीवन प्रभावित होने की आशंका है.

हिमाचल प्रदेश में भूस्खलन और भारी बारिश से सड़कों और सेवाओं पर व्यापक असर पड़ा है. राज्य आपातकालीन केंद्र के अनुसार, 199 सड़कें बंद, 65 ट्रांसफार्मर ठप और 745 पेयजल योजनाएं बाधित हैं. मंडी जिला सबसे ज्यादा प्रभावित है जहां अकेले 146 सड़कें बंद, 59 ट्रांसफार्मर ठप और 133 जल योजनाएं प्रभावित हुई हैं. कांगड़ा में 612 जल योजनाएं ठप हैं.

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मानसून में मौतों में मंडी में सबसे अधिक 21 मौतें, कांगड़ा में 17, कुल्लू में 11, चंबा में 9, और हमीरपुर, बिलासपुर, ऊना में 8-8 मौतें दर्ज हुई हैं. अब तक 1046 मकान, 188 दुकानें और 798 गौशालाएं क्षतिग्रस्त हुई हैं. अकेले मंडी में 856 घर, 166 दुकानें और 644 गौशालाएं प्रभावित हुई हैं.

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आपदा का असर कृषि और पशुपालन पर भी गहरा पड़ा है. 21,500 पोल्ट्री पक्षी और 954 अन्य पशु मारे गए हैं. अब तक 22 बादल फटने, 31 फ्लैश फ्लड और 18 भूस्खलन की घटनाएं सामने आ चुकी हैं. 30 जून की रात मंडी में एक ही रात 12 जगह बादल फटने की घटना ने आपदा की भयावहता को और बढ़ा दिया.

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विभागीय नुकसान की बात करें तो सबसे ज्यादा क्षति जल शक्ति विभाग को हुई है, जिसे 500 करोड़ रुपये की चपत लगी है. वहीं लोक निर्माण विभाग को 345 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. हिमाचल प्रदेश में 2023 में भारी बारिश व बादल फटने से आई आपदा से 509 लोगो की मौत हुई थी और  9700 करोड़ का नुक्सान हुआ था. तबाही से 2023 के पूरे मानसून में सीजन में लैंडस्लाइड की 169 घटनाएं और फ्लैश फ्लड की 72 घटनाएं घटी थीं. हिमाचल में आपदा से सबसे ज्यादा लोक निर्माण विभाग को ₹2949 करोड़ का नुकसान हुआ था.

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इसके अलावा जल शक्ति विभाग को ₹2419 करोड़, बिजली बोर्ड को ₹1917 करोड़ का नुकसान हुआ. पूरे मॉनसून सीजन में आसमानी आफत ने राज्य के 509 लोगों की जान ली थी. प्रदेश में आई आपदा में 12,304 घरों को नुकसान पहुंचा था. मृतकों में स्थानीय निवासी, प्रवासी मज़दूर, बच्चे और वरिष्ठ नागरिक शामिल थे. मृतकों के परिजनों को ₹1.5 लाख तक की राहत राशि दी गई. सबसे ज्यादा मौतें हिमाचल के शिमला, मंडी, कुल्लू और चंबा में पेश आई थी. वहीं, 2944 घर पूरी तरह से ध्वस्त हो गए थे. इसके अलावा राज्य में कई नेशनल हाईवे सहित सैकड़ों सड़कें और मार्ग बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए थे. 300 से अधिक सड़कें और 50 से पुल बह गए थे. 

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