हिमाचल में आपदा के बीच कुत्ते ने बचाई 67 लोगों की जान, वो खौफनाक रात भुला नहीं पा रहे सियाठी गांव के लोग

सियाठी गांव के सभी लोग ने त्रियंबला गांव में बने नैना देवी के मंदिर में शरण ले रखी है. गांव हिमाचल प्रदेश की स्वास्थ्य विभाग की टीम भी मौजूद है. स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि ज्यादातर बुजुर्ग, महिला और बच्चे यहां मौजूद हैं. महिलाओं और बुजुर्ग को त्रासदी की वजह बीपी और डिप्रेशन की शिकायत हो रही है.

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पहाड़ का बड़ा टुकड़ा बारिश के वजहस से गांव पर गिर गया. जिसके कारण दर्जन भर मकान उसमें दब गए.
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  • हिमाचल के मंडी के सियाठी गांव में बाढ़ से भारी तबाही हुई है. इस गांव के 20 परिवारों के 67 लोगों ने मंदिर में शरण ली हुई है.
  • गांव के लोगों के अनुसार 30 जून रात 12 बजे आई बाढ़ ने उनका सब कुछ तबाह कर दिया. देखते ही देखते घर मलबे में बदल गया.
  • गांव में अब महज चार से पांच मकान ही बचे हैं. बाकी मलबे में दब गए हैं. गांव के लोगों ने पास के नैना देवी मंदिर में शरण ली है.
  • मंदिर में ये लोग सात दिनों से रह रहे हैं. आसपास के गांव के लोग इनकी मदद को आगे आए हैं.
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मंडी:

हिमाचल प्रदेश के मंडी में अचानक आई बाढ़ के कारण धर्मपुर इलाके का सियाठी गांव पूरी तरह तबाह हो चुका है. इस गांव के लोगों ने मंदिर में पनाह ली है. 20 परिवारों के 67 लोगों सात दिनों से मंदिर में हैं. वो खौफनाक रात याद करते हुए गांव के लोगों ने बताया कि रात 12 से 1 बजे तबाही मची. पूरा गांव तबाह हो गया. गांव का अगर एक कुत्ता भौंकता नहीं तो कोई नहीं बचता. गांव के निवासी नरेंद्र ने कहा, 30 जून की वो रात भूल नहीं सकता. लगातार मूसलाधार बारिश हो रही थी. लेकिन रात 12 बजे के आसपास उनके घर की दूसरी मंजिल पर सोया कुत्ता अचानक तेज भौंकने लगा और फिर रोने लगा.

नरेंद्र ने आगे कहा लगातार कुत्ते के रोने की आवाज सुनकर नींद टूट गई. मैं जब कुत्ते के पास पहुंचा तो देख घर में एक बड़ी सी दरार आ चुकी थी. पानी तेज़ी से भरने लगा. कुत्ते को लेकर नीचे भागा और परिवार के सभी लोगों को जगाया.

साथ ही गांव के दूसरे लोगों को भी नींद से जगाकर सुरक्षित स्थानों पर भागने को कहा. इन्होंने ऊपर त्रियंबला गांव के लोगों को फोन किया और आपदा की जानकारी दी. बारिश इतनी तेज थी सियाठी गांव के पुरुष और महिलाएं नंगे पैर भागे पड़े. उसी दौरान पहाड़ का बड़ा टुकड़ा गांव पर गिर गया. दर्जन भर मकान उसमें दब गए. अब गांव में चार से पांच मकान दिख रहे हैं. बाकी पत्थर और मलबा के नीचे दब चुके हैं.

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नैना देवी के मंदिर ली शरण

सियाठी गांव नीचे बसा था, अब यहां के सभी लोग ने त्रियंबला गांव में बने नैना देवी के मंदिर में सात दिनों से शरण ले रखी है. गांव में मौजूद हिमाचल की स्वास्थ्य विभाग की टीम ने बताया कि इनमें बुजुर्ग, महिला और बच्चे हैं. महिलाओं और बुजुर्ग में त्रासदी की वजह बीपी और डिप्रेशन की शिकायत बहुत सामने आ रही है.

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ग्रामीणों ने पेश की मिसाल

NDTV की टीम जब आपदा पीड़ित लोगों से बात ही कर रही थी तभी पास के दारपा गांव के लोग पहुंच गए. राशन और पानी की बोतल के साथ दारपा गांव के लोगों ने आपस में 21 हज़ार रुपये इकट्ठा करके सियाठी गांव के लोगों की मदद को दिए. त्रियंबला गांव के पंचायत सदस्य सुरेंद्र ने हमें मंदिर में रखा दान पात्र दिखाते कहा कि सियाठी गांव में सभी अनुसूचित भाई रहते थे. मुख्य काम पशु पालन और मकानों के निर्माण सामग्री पहुंचाना था.

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उन्होंने कहा इस दान पात्र में आसपास के गांव के लोगों ने लाखों रुपए मदद के लिए दान दिया है. सरकार अगर इनको जमीन मुहैय्या करा दे तो मकान इनका दान के पैसे से बन जाएगा .सोचिए सरकार ने दस हज़ार की मदद दी और दारपा गांव के ग्रामीणों ने 21000 की. आपदा में आपसी सहयोग और सामंजस्य की यही मिसाल ऐसे कठिन समय में उम्मीद पैदा करती है.

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त्रियंबला गांव से ज़ेवियर के साथ रवीश रंजन शुक्ला की रिपोर्ट

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