मॉलीवुड की 'डर्टी पिक्टर' : चमकीली दुनिया के पीछे की कालिख को सामने लाने वाली रिपोर्ट की कहानी

हेमा कमेटी की रिपोर्ट जारी होते ही मलयालम फिल्म उद्योग में हड़कंप मच गया. इसमें मलयाली फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के साथ यौन शोषण, यौन दुर्व्यवहार, रेप, काम से जुड़े शोषण की एक से एक कहानियां हैं.

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नई दिल्ली:

आजादी के 75 साल के बाद भी हमारे देश की आधी आबादी आजादी का इंतजार कर रही है. आजादी घिनौनी सोच से, आजादी महिलाओं को सजावटी वस्तु के तौर पर देखने से, आजादी पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं को केवल एक मनोरंजन के साधन के तौर पर समझने से, बीते कुछ हफ्तों से देशभर से ऐसी ही खबरें आ रही हैं. तभी हम ये कहने पर मजबूर हुए हैं कि अपने देश में न महिला डॉक्टर सुरक्षित हैं, न स्कूल-कॉलेज जाने वालीं बच्चियां, न ऊंची उड़ान भरने वाली एयर होस्टेस और न ही फिल्मों में काम करने वाली अभिनेत्री. कई बार तो लगता है कि महिलाओं के खिलाफ अपराध करने वालों को जैसे कोई डर है ही नहीं, ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कानून का जलाल खत्म हो चुका है?

ये बात भारत के किसी एक इलाके तक सीमित नहीं है. उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक महिलाओं के अधिकारों को छीनना जैसे बहुत आसान हो गया है.

केरल में मलयालम फिल्म इंडस्ट्री यानी मॉलीवुड को लेकर जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट सामने आने के बाद से वहां हंगामा मचा हुआ है. महिलाओं के साथ यौन शोषण की शिकायतों के मामले में एक के बाद एक कई बड़े चेहरों से नकाब उतर रहे हैं. बड़े-बड़े अभिनेताओं और फिल्मकारों के खिलाफ यौन शोषण और दुर्व्यवहार की शिकायतों को लेकर कई महिला कलाकार सामने आ गई हैं. कुछ वैसा ही माहौल है जैसा MeToo अभियान के दौरान दिखा था.

केरल की गिनती देश के सबसे शिक्षित राज्यों में होती है, लेकिन मॉलीवुड यानी केरल फिल्म उद्योग में काम करने वाली महिलाओं और अभिनेत्रियों की स्थिति पर आई एक ताजा रिपोर्ट ने वहां का समाज, खासकर फिल्मों में काम करने वाले लोग कितने पिछड़े हैं, कितने अनपढ़ हैं, ये उजागर करके रख दिया है.

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हेमा कमेटी की रिपोर्ट ने कई दिग्गज अभिनेताओं को अर्श से फर्श पर ला दिया

समाज को नैतिकता का पाठ पढ़ाने में मलयाली फिल्में बहुत आगे रही हैं, लेकिन जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट बताती है कि ये नैतिकता दिखावे की है. मलयालम फिल्म उद्योग में महिला कलाकार, चाहे वो बड़ी आर्टिस्ट हों या छोटी, उनके साथ बड़े-बड़े और जाने-माने लोग ऐसा व्यव्हार करते हैं जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती. जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट जैसे ही सामने आई है, मलयालम फिल्मों के ऐसे-ऐसे चेहरे बेनकाब होते दिख रहे हैं, जिन्हें लोग पूजने लग गए थे. दक्षिण भारत में फिल्मी कलाकारों को लेकर जनता में जुनून वैसे भी कम नहीं होता. कलाकारों के मंदिर बनना, फैन क्लब बनना, रिलीज के दिन तड़के से ही टिकट खिड़की पर भीड़ का उमड़ना, साउथ के लिए आम बात है. ऐसे में हेमा कमेटी के आरोप, अब ऐसे कई दिग्गज अभिनेताओं को अर्श से फर्श पर लाते दिख रहे हैं.

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सिर्फ दक्षिण भारतीय भाषाओं के अख़बार ही नहीं, देश में लगभग हर भाषा के अख़बारों में ये ख़बर सुर्ख़ियों में है. मलयालम फिल्म इंडस्ट्री यौन शोषण के आरोपों से दहली हुई है. मलयालम फिल्म उद्योग की बड़ी-बड़ी हस्तियां जैसे रंजीत, सिद्दीक़ी, बाबूराज और साजन बाबू जैसे नामों पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं.

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बीते तीन दिन में ही यौन शोषण और रेप से जुड़े 18 केस अब तक दर्ज हो चुके हैं. जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट सामने आने के बाद सोमवार को सबसे पहले एक बंगाली अभिनेत्री श्रीलेखा सामने आईं, जिन्होंने 2009 में एक फिल्म की शूटिंग के दौरान फिल्मकार रंजीत बालाकृष्णन पर यौन दुर्व्यवहार के आरोप लगाया. इसके बाद केरल पुलिस ने फिल्मकार रंजीत के ख़िलाफ़ ग़ैर ज़मानती धाराओं में केस दर्ज कराया. इसी कड़ी में ताज़ा नाम सोनिया मल्हार का है, जिन्होंने केरल के डीजीपी को एक शिकायत दर्ज कराई. हालांकि इस मामले में आरोपी अभिनेता का नाम अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है.

मंगलवार को एक और अभिनेत्री मीनू मुनीर ने जाने माने अभिनेता जयसूर्या पर जब यौन शोषण का आरोप लगाया, तो सोनिया से जुड़े आरोप भी सोशल मीडिया पर चलने लगे. हालांकि सोनिया ने इन रिपोर्टों के बाद कहा कि उनके आरोप जयसूर्या के ख़िलाफ़ नहीं हैं, लेकिन अभी ये स्पष्ट नहीं है कि उन्होंने जो शिकायत दी है, उसमें आरोपी के तौर पर अभिनेता जयसूर्या हैं या कोई और, मीनू मुनीर ने सात अभिनेताओं के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज कराई है. इनमें मुकेश, जयसूर्या, एम. राजू और ई. बाबू शामिल हैं.

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Association of Malayalam Movie Artists की गई भंग

केरल सरकार की बनाई स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने इस मामले में बुधवार को कोच्चि में मीनू मुनीर के घर पहुंचकर उनके बयान दर्ज किए. बुधवार को ही एक और अभिनेत्री ने अभिनेता सिद्दीक़ी के ख़िलाफ़ भी रेप का एक केस दर्ज कराया. इस अभिनेत्री के आरोप के बाद ही सिद्दीक़ी को Association of Malayalam Movie Artists के महासचिव पद से हटने को मजबूर होना पड़ा. इसके अलावा Association of Malayalam Movie Artists के अध्यक्ष मोहनलाल समेत सभी पदाधिकारियों को इस्तीफ़ा देना पड़ा है. वैसे इन शिकायतों के बाद कई अभिनेताओं का पक्ष भी सामने आया. उन्होंने कहा कि उन्हें ब्लैकमेल करने की कोशिश की गई, वो जब ब्लैकमेल नहीं हुए तो उन्हें इस तरह से फंसाने की कोशिश की जा रही है.

केरल में लेफ्ट फ्रंट की सरकार है. लेफ्ट फ्रंट से जुड़ी महिला नेताओं का कहना है कि इस पूरे मामले को बहुत ही गंभीरता से लिया जा रहा है. वहीं केरल सरकार का कहना है कि हर एक शिकायत के लिए एक अलग कमेटी बनाई जाएगी. रविवार को पिनाराई विजयन सरकार ने रिपोर्ट के बाद आई शिकायतों की बाढ़ की जांच के लिए सात वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की एक टीम बना दी थी.

दरअसल ये तमाम आरोप तीन सदस्यों की उस जांच कमेटी की रिपोर्ट के बाद तेज़ हुए हैं जिसका गठन 2017 में किया गया. ये है जस्टिस हेमा कमेटी, जिसने दिसंबर 2019 में अपनी रिपोर्ट केरल सरकार को सौंप दी थी, लेकिन इसे जारी किया गया 19 अगस्त, 2024 को. जारी किए जाने से पहले भी इस रिपोर्ट को कई बार अदालतों में चुनौती दी गई, लेकिन धीरे-धीरे ये सभी चुनौतियां ध्वस्त होती गईं.

इस कमेटी की रिपोर्ट जारी होते ही मलयालम फिल्म उद्योग में हड़कंप मच गया. रिपोर्ट में मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं के साथ यौन शोषण, यौन दुर्व्यवहार, रेप, काम से जुड़े शोषण की एक से एक कहानियां हैं.

इस कमेटी में हाइकोर्ट की रिटायर्ड जज जस्टिस के हेमा, पूर्व अभिनेत्री शारदा और रिटायर्ड आईएएस अधिकारी केबी वलसला कुमारी शामिल थीं. ये रिपोर्ट 2017 में केरल की एक संस्था Women in Cinema Collective's (WCC) की एक याचिका के बाद बनी, जिसमें मलयालम फिल्म उद्योग में यौन शोषण और लिंगभेद से जुड़े मामलों के अध्ययन की मांग की गई थी.

हेमा कमेटी की रिपोर्ट में 80 महिलाओं की शिकायतें रिकॉर्ड

Women in Cinema Collective's संस्था भी तब बनी, जब मलयालम फिल्मों की एक महिला अभिनेत्री ने अपने ऊपर यौन हमले और अपहरण का आरोप लगाया. केरल पुलिस द्वारा उस मामले की जांच में आंच मलयालम फिल्मों के अभिनेता दिलीप पर आई. जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट 296 पन्नों की है, जिसमें कम से कम 80 महिलाओं की शिकायतें रिकॉर्ड की गईं हैं. इनमें कई जानी मानी महिलाओं से लेकर जूनियर आर्टिस्ट तक शामिल हैं. इस रिपोर्ट में वाकये दर वाकये एक से एक फिल्मी हस्तियों की शख़्सियत टुकड़ा-टुकड़ा होने लगी.

हेमा कमेटी रिपोर्ट ने Malayalam Movie Artists, Film Employees Federation of Kerala और Women in Cinema Collective जैसी फिल्म उद्योग से जुड़ी कई संस्थाओं के सदस्यों से भी बात की, लेकिन हेमा कमेटी की रिपोर्ट तैयार होने में भी मुश्किलें कम नहीं आईं. इस कमेटी को सबसे पहले जिस बाधा का सामना करना पड़ा वो थी शिकायत दर्ज कराने में महिलाओं की हिचकिचाहट. कई महिला कलाकारों को ये डर था कि अगर वो शिकायत दर्ज कराएंगी, तो मलयालम फिल्मों में पुरुषों का वर्चस्व उन्हें जीने नहीं देगा, उनसे बदला लिया जाएगा. यहां तक कि उन्हें फिल्म कलाकारों की यूनियनों पर भी यकीन नहीं था.

हेमा कमेटी रिपोर्ट के मुताबिक महिला कलाकारों को शूटिंग की जगहों पर शौचालय और चेंजिंग रूम जैसी मूल सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं कराई जाती थीं. महिला कलाकार इसी कारण पानी पीने से बचती थीं कि कहीं उन्हें शौचालय न जाना पड़ जाए. इससे उनके स्वास्थ्य पर ख़राब असर पड़ा. इसके बावजूद सिर्फ़ डर की वजह से कई महिलाएं शिकायतें करने से बच रही थीं और इन्हीं हालात में काम करने को मजबूर थीं.

जस्टिस हेमा कमेटी रिपोर्ट में यौन शौषण के मामलों की विस्तार से पड़ताल की गई है. रिपोर्ट के मुताबिक कई महिलाओं को कहा जाता था कि उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में उतरने के लिए ‘adjustments' और ‘compromise'” करने होंगे. अब ये किस तरह के ‘adjustments' और ‘compromise' की बात रही होगी, आप ख़ुद ही सोच सकते हैं. 

महिला कलाकारों से की जाती थी सेक्स की मांग

रिपोर्ट के मुताबिक कई महिला कलाकारों से ये उम्मीद की जाती थी कि वो ख़ुद को सेक्स के लिए उपलब्ध करें. इसे रिपोर्ट में sex on demand कहा गया है. मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में माहौल ऐसा हो गया था कि महिला कलाकारों की छवि को ख़राब करना बड़ा ही आसान हो गया था. कई महिला कलाकारों को ये यकीन सा हो गया था कि बिना यौन शोषण के वो फिल्म उद्योग में टिक ही नहीं पाएंगी. ये भी माना जाने लगा था कि अगर कोई महिला कलाकार किसी फिल्म के इंटिमेट सीन्स करती है तो वो सेक्स के लिए सहज उपलब्ध है. कई शिकायतकर्ताओं ने अपनी ऐसी शिकायतों से जुड़े ऑडियो, वीडियो क्लिप और व्हाट्स ऐप मैसेज भी जस्टिस हेमा कमेटी को सौंपे.

रिपोर्ट के मुताबिक आउटडोर शूटिंग के दौरान कई बार महिला कलाकारों के कमरों में रात के वक्त जबरन घुसने की कोशिश की जाती थी. दरवाज़ों पर ज़बरदस्ती नॉक किया जाता था. कई महिला कलाकारों को लगता था कि अगर उनके साथ परिवार का कोई सदस्य नहीं होगा, तो वो उनके साथ कुछ अनहोनी हो ही जाएगी.

कमेटी की जांच में सामने आया कि कई महिला कलाकारों को सोशल मीडिया और अपने प्रशंसकों के बीच अपनी छवि ख़राब होने के डर से शिकायतों के लिए सामने आने से बचती थीं. अगर कभी किसी महिला ने शिकायत की कोशिश की तो उसे सोशल मीडिया में पुरुष  अभिनेताओं के ताकतवर फैन क्लब्स की तरफ़ से निशाना बनाया गया, बदनाम किया गया, यहां तक कि उन पर हमले भी हुए.

मलयालम फिल्म उद्योग में अभिनेताओं और फिल्मकारों की लॉबी

जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट में ये सामने आया कि मलयालम फिल्मों में कुछ अभिनेताओं और फिल्मकारों की लॉबी इतनी मज़बूत हो गई है कि वो माफ़िया की तरह काम करती है. जो कलाकारों पर न सिर्फ़ पाबंदी लगा सकती है बल्कि उन पर जुर्माना भी कर सकती है. इस माफ़िया में 10 से 15 ताक़तवर लोग थे, जिन्में प्रोड्यूसर, डिस्ट्रिब्यूटर, डायरेक्टर और कुछ अभिनेता भी थे. उनके ख़िलाफ़ बोलने की हिम्मत बहुत ही कम अभिनेत्रियों की हो पाई. यहां तक कि कई पुरुष कलाकार भी अपनी महिला सहकर्मियों की शिकायतें उठाने में डरते थे. यही वजह है कि इंटरनल कम्प्लेंट कमेटियों का कोई मतलब नहीं था. ताक़तवर लोगों के आगे वो कोई कार्रवाई करने में सक्षम नहीं थी. यही नहीं ये लॉबी उन महिलाओं के ख़िलाफ़ भी गैंगअप हो गई जो 2017 में महिलाओं की संस्था Women in Cinema Collective की सदस्य बनीं. इस संस्था में शामिल हुई महिलाओं को फिल्मों से हटाया जाने लगा.

रिपोर्ट के मुताबिक जूनियर आर्टिस्टों को एक तो मान्यता ही नहीं मिलती थी और दूसरा ये आर्टिस्ट एजेंटों के ज़रिए फिल्मों में आते थे, तो उनका यौन शोषण करना और आसान हो जाता था. रिपोर्ट में ऐसी ही एक घटना का ज़िक्र है, जिसमें दिल की बीमारी से ग्रस्त एक जूनियर आर्टिस्ट काम से थककर कुर्सी पर क्या बैठ गया कि उसे तुरंत उठा दिया गया और बाद में प्रोडक्शन से बाहर कर दिया गया.

जूनियर कलाकारों को यात्रा भत्ता नहीं दिया जाता था. कई बार तो उन्हें सेट पर खाना और पानी तक नहीं पूछा जाता था. साल 2000 तक मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में कोई लिखित समझौता नहीं था. अगर समझौता होता भी था तो वो प्रोड्यूसर और बड़े अभिनेताओं के बीच होता था. बाकी क्रू उससे बाहर रहता था. इसका मतलब था कि उन्हें कितना पैसा मिलेगा इसका कोई क़ायदा नहीं था. कॉन्ट्रैक्ट नहीं था तो जूनियर आर्टिस्ट कोई शिकायत भी नहीं कर पाते थे.

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