सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ को दी बड़ी राहत, काफी बहस के बाद दी जमानत

तीस्ता की ओर से कपिल सिब्बल ने कहा, सभी मामलों में उन्होंने मुझे निशाना बनाया, मैं राज्य की नंबर 1 दुश्मन हूं और वे कहते हैं कि मैं एक शक्तिशाली व्यक्ति हूं, मैं राज्य से शक्तिशाली कैसे हो सकती हूं?

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सुप्रीम कोर्ट में तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका पर सुनवाई की गई (फाइल फोटो).

नई दिल्ली:

तीस्ता को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी. तीन जजों की बेंच ने फैसला किया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, याचिकाकर्ता एक महिला है जो दो महीने से हिरासत में है. जो मामला है वो 2002-2010 के बीच के दस्तावेज का है. जांच मशीनरी को सात दिनों तक उससे हिरासत में पूछताछ का मौका मिला होगा. रिकॉर्ड में मौजूद परिस्थितियों को देखते हुए हमारा विचार है कि हाईकोर्ट को मामले के लंबित रहते समय अंतरिम जमानत पर विचार करना चाहिए था.

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में तीस्ता सीतलवाड़ (Teesta Setalvad) की जमानत याचिका (Bail Plea) पर सुनवाई हुई. CJI यूयू ललित, जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस सुधांशु भट की बेंच ने सुनवाई की. गुजरात सरकार (Gujarat Government) की ओर से SG तुषार ने कहा कि कल सुप्रीम कोर्ट ने सही तौर पर मामला उठाया कि हाईकोर्ट ने इतना समय क्यों लगाया. मैंने सरकारी वकील से विस्तार से बात की. हाईकोर्ट ने इस मामले में वही किया जो आम तौर पर मामलों में करता है. उन्होंने कहा कि तीन अगस्त को हाईकोर्ट के पास 168 केस लगे थे. 

तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले से एक हफ्ते पहले 124 मामले थे. इस आदेश की तारीख को 168 मामले थे. गुजरात हाईकोर्ट के CJ ने ऑटो लिस्ट पद्धति शुरू की है, जहां जमानत आवेदनों में कुछ दस्तावेज आदि दायर किए जाते हैं. जेल में बंद व्यक्ति को पता नहीं होता है इसलिए ऑटो सूची मदद करती है. 

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तुषार मेहता ने ऐसे उदाहरण दिए जब हाईकोर्ट ने सितंबर से लेकर अक्टूबर तक की तारीख दी. तुषार ने कहा, तीस्ता ने 2002 से लेकर अभी तक राज्य सरकार से लेकर न्याय पालिका समेत सभी संस्थानों की छवि धूमिल की है. हमें केस से जुड़ी बातों पर ही ध्यान देना चाहिए.

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CJI ने कहा कि, आपने जो दिया उसमें मुझे एक भी महिला से जुड़ा मामला नहीं मिला. तुषार ने कहा,  तीस्ता के लिए मेरे पास कम से कम 28 मामलों की सूची है जहां इसी जज ने दो दिनों के भीतर जमानत दे दी. याचिकाकर्ता ने पूरे राज्य को राज्य के हर गणमान्य व्यक्ति को बदनाम किया है. उसके लिए कोई भी भरोसेमंद नहीं है. बदनामी अंतहीन रूप से चली आ रही  है. अब वो उस जज पर भी बोल रही है. 

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CJI ने कहा कि इस समय इस अदालत के समक्ष खुद को तथ्यों तक सीमित रखें. तुषार मेहता ने कहा, मुझे यह कहने का निर्देश है कि जज ने 30-40 मामलों का निपटारा किया है. यही सिस्टम है, अपवाद न बनाएं. अदालत का सवाल यह था कि अदालती फैसले के अलावा एफआईआर में और कुछ नहीं है. दोनों प्रदर्शित करते हैं कि यह सच नहीं है. कुछ मकसद था, कुछ साजिश. हमारे पास दिखाने के लिए कुछ सामग्री है. एसआईटी की एक रिपोर्ट में, एसआईटी ने बताया कि 21 मामलों में वे कहते हैं कि हम जांच करना चाहते हैं.

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सुप्रीम कोर्ट ने मजिस्ट्रेट के सामने गवाह के बयान रखने पर गुजरात सरकार पर सवाल उठाया और कहा कि ये बयान सीलकवर में होते हैं. ये मजिस्ट्रेट के पास होने चाहिए. आपको ये बयान कैसे मिले. ये मजिस्ट्रेट कोर्ट की कस्टडी में होने चाहिए. ये कोर्ट से कोर्ट आने चाहिए.

तुषार मेहता ने कहा, हमने कोर्ट से आग्रह किया था और इसके बाद कोर्ट ने जांच अफसर को दिए हैं, ताकि सुप्रीम कोर्ट में रखे जा सकें. एसजी ने कहा कि एसआईटी की रिपोर्ट से भी साफ है कि सबूत के नाम पर तीस्ता ने जो कुछ भी दिया उसमें से काफी मनगढ़ंत था. ये गलत बयानी भूल वश नहीं बल्कि सोची समझी साजिश थी. ये कोर्ट से बाहर तैयार कराया गया था.

तुषार मेहता ने कहा कि, याचिकाकर्ता द्वारा कुल 8 करोड़ जमा किए गए जिसमें से शराब, दुबई की दुकानों से खरीदारी हुई. ऐसा नहीं है कि यह बिना सबूत का मामला है, यह सबूत का मामला है. लेकिन सवाल यह है कि क्या सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में दखल देना चाहिए. 

CJI ने कहा कि, आपको तीस्ता से हिरासत में पूछताछ में क्या मिला? तुषार मेहता ने कहा, वो इंटलीजेंट हैं शायद कुछ बताया नहीं होगा. CJI ने कहा, कितने दिन की पुलिस हिरासत थी. तुषार ने कहा, सात दिन की. वो काफी चतुर महिला है. उसने किसी सवाल का सीधा जवाब नहीं दिया. कोर्ट ने पूछा- तो उसने क्या जवाब दिया? इस पर एसजी ने कहा- उसने कोई सहयोग नहीं किया. अगर सुप्रीम कोर्ट दखल देता है तो ये गलत मिसाल होगी, हाईकोर्ट को तय करने दें.

CJI ने कहा कि, अभी जो गवाह सामने आए हैं, उनसे पहले पूछताछ हो चुकी है. जिस क्षण एक आदमी को कठघरे में खड़ा किया जाता है और ट्रायल में शपथ पर गवाही दी जाती है. एसआईटी ने शपथ पर सवाल नहीं किया है. उस समय क्या कोई आरोप था कि इस महिला ने गवाहों पर दबाव डाला? एसजी ने कहा- हम अभी भी जांच कर रहे हैं. कोई शिकायत नहीं थी.

तीस्ता सीतलवाड की ओर से कपिल सिब्बल ने कहा कि, 124 लोगों को उम्रकैद हुई है. ये कैसे कह सकते हैं कि गुजरात में कुछ नहीं हुआ. ये सब एक उद्देश्य के लिए है. ये चाहते हैं कि तीस्ता ताउम्र जेल से बाहर ना आए. सिब्बल ने कहा कि, 20 साल से सरकार क्या करती रही. ये हलफनामे 2002-2003 के हैं. तो ये जालसाजी कैसे हो गए? ये हलफनामे इस केस में दाखिल नहीं किए गए. ये पहले के केसों में फाइल किए गए थे.

कपिल सिब्बल ने कहा कि, मैंने जज, न्यायपालिका पर आरोप नहीं लगाया है. मैं कुछ भी नहीं कर रहा हूं. मुझे कानून अधिकारी से इसकी उम्मीद नहीं है. यह सब प्रेरित है. अगर वे टाइप किए हुए भी हैं, तो इसमें जालसाजी कैसे आ सकती है? यदि जालसाजी आती है तो जालसाजी की शिकायत करने वाले व्यक्ति को न्यायालय अवश्य आना चाहिए. लेकिन राज्य यहां आकर कह रहा है. यह दुर्भावनापूर्ण है, प्रेरित है और मैंने जो किया वह जनता के बड़े हित में है. इस वजह से मेरी गिरफ्तारी हुई है. ये हलफनामे कुछ अन्य मामलों में दायर किए गए हैं. यह कुछ अन्य मामलों में NHRC के समर्थन में SC के समक्ष दायर हलफनामे हैं. तो क्या NHRC प्रेरित था, मैं प्रेरित.  यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. मामला इस अदालत के सामने आया और अदालत ने मुझे कुछ राहत दी.

सिब्बल ने कहा, सभी मामलों में उन्होंने मुझे निशाना बनाया है. मैं राज्य की नंबर 1 दुश्मन हूं. और वो कहते हैं कि मैं एक शक्तिशाली व्यक्ति हूं. मैं राज्य से शक्तिशाली कैसे हो सकती हूं. वह 60 साल की है, वह क्या कर सकती है? सिब्बल ने कहा- ये अभियोजन नहीं अत्याचार है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तीस्ता 25 जून 2022 को गिरफ्तार की गई थीं और अब तक हिरासत में हैं.  FIR में सुप्रीम कोर्ट के 24 जून के फैसले समेत कई कार्रवाइयों का जिक्र है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फिर उसने जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट में अर्जी लगाई. अर्जी खारिज कर दी. ऐसी ही जमानत अर्जी आरबी श्रीकुमार ने भी दाखिल की. ट्रायल कोर्ट ने 13 जुलाई को दोनों जमानत अर्जी खारिज कर दीं. फिर तीस्ता ने गुजरात हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की. 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, हाईकोर्ट ने तीन अगस्त को नोटिस जारी किया और सुनवाई 19 सितंबर को तय की. तीस्ता की अंतरिम जमानत की मांग नहीं मानी गई. दोनों फैसलों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की. 

सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ को जमानत देते हुए कहा कि तीस्ता को जल्द से जल्द संबंधित ट्रायल कोर्ट में पेश किया जाए. ट्रायल कोर्ट जमानत की शर्तें तय कर जमानत दे. तीस्ता को पासपोर्ट सरेंडर करने का आदेश दिया और कहा कि तीस्ता जांच में सहयोग करेंगी.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, हमने सिर्फ अंतरिम बेल पर मामले में विचार किया है. हमने मेरिट पर कोई राय नहीं दी है. हाईकोर्ट मेरिट पर स्वतंत्रता से विचार करेगा. वो सुप्रीम कोर्ट की टिप्पिणियों से प्रभावित नहीं होगा. ये फैसला मामले के इस तथ्य कि वो एक महिला है, इसका असर मामले के दूसरे आरोपियों पर नहीं पड़ेगा. कोर्ट ने कहा कि, ये ट्रायल कोर्ट के लिए खुला होगा कि वो जमानत के लिए बॉन्ड के लिए कैश पर विचार करे, लोकल श्योरटी पर जोर ना दे. 

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