नए कानून के तहत CEC और EC की नियुक्ति के खिलाफ दायर याचिकाओं पर 12 फरवरी को सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने 15 मार्च 2024 को 2023 के उस कानून के तहत नए चुनाव आयुक्तों की नियुक्तियों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था

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नई दिल्ली:

 उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को 2023 के कानून के तहत मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) और चुनाव आयुक्तों (ईसी) की नियुक्ति के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 12 फरवरी की तारीख तय की. न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि वह इस मुद्दे पर गुण-दोष के आधार पर और अंतिम रूप से फैसला करेगी.

‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स' नामक एनजीओ की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि मामला चार फरवरी को सूचीबद्ध किया गया था लेकिन अन्य मामलों के कारण इस पर सुनवाई होने की संभावना नहीं है.

भूषण ने 18 फरवरी को मौजूदा मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार की सेवानिवृत्ति का हवाला देते हुए कहा कि इस मामले पर तत्काल सुनवाई की आवश्यकता है क्योंकि यह संविधान पीठ के 2023 के फैसले के अंतर्गत आता है.

उन्होंने कहा कि 2023 के फैसले में कहा गया है कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति केवल सरकार द्वारा नहीं बल्कि प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और भारत के प्रधान न्यायाधीश वाली एक स्वतंत्र समिति द्वारा की जाए, अन्यथा यह चुनावी लोकतंत्र के लिए खतरा होगा.

भूषण ने कहा, 'वे एक अधिनियम लेकर आए हैं जिसके तहत उन्होंने प्रधान न्यायाधीश को समिति से हटा दिया है और दूसरे मंत्री को ले आए हैं, जिससे प्रभावी रूप से आयुक्तों की नियुक्ति केवल सरकार की इच्छा पर निर्भर हो गई है. संविधान पीठ ने ठीक यही कहा है कि यह समान अवसर और हमारे चुनावी लोकतंत्र के खिलाफ है. चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए आपको एक स्वतंत्र समिति की आवश्यकता है.'

याचिकाकर्ता कांग्रेस की जया ठाकुर की ओर से पेश हुए अधिवक्ता वरुण ठाकुर ने कहा कि उन्होंने केंद्र को यह निर्देश देने के लिए याचिका दायर की है कि मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति संविधान पीठ के दो मार्च, 2023 के फैसले के अनुसार की जानी चाहिए.

उच्चतम न्यायालय के दो मार्च, 2023 के फैसले में कहा गया था कि चुनाव आयुक्तों और मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति कार्यपालिका के हाथों में छोड़ना देश के लोकतंत्र के स्वास्थ्य, और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए हानिकारक होगा.

केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भूषण की दलील और अंतरिम आदेश के उनके अनुरोध का विरोध किया. मेहता ने कहा कि न्यायालय की एक अन्य पीठ ने अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया है.उन्होंने कहा कि केंद्र इस मामले में बहस के लिए तैयार है और अदालत इस मामले की अंतिम सुनवाई तय कर सकती है.

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