विधायी शक्ति बनाम अदालत की राय का मामला...; चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट

याचिकाकर्ता गैर-सरकारी संगठन (NGO) की ओर से  जस्टिस सूर्य कांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ को सूचित किया गया कि मौजूदा मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार 18 फरवरी को रिटायर होने वाले हैं और अगर अदालत ने हस्तक्षेप नहीं किया तो नये कानून के तहत एक नया CEC नियुक्त किया जाएगा.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने 2023 के कानून के तहत मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की. इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि यह मामला कानून बनाने की विधायी शक्ति बनाम अदालत की राय होगा. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई चार फरवरी तक टाल दी. याचिकाकर्ता गैर-सरकारी संगठन (NGO) की ओर से  जस्टिस सूर्य कांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ को सूचित किया गया कि मौजूदा मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार 18 फरवरी को रिटायर होने वाले हैं और अगर अदालत ने हस्तक्षेप नहीं किया तो नये कानून के तहत एक नया CEC नियुक्त किया जाएगा.

अदालत में वकील ने क्या कुछ कहा

वकील ने कहा कि अदालत ने दो मार्च 2023 के अपने फैसले में CEC और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और भारत के मुख्य न्यायाधीश को शामिल करते हुए एक पैनल का गठन किया था. लेकिन नए कानून के तहत चयन समिति में प्रधानमंत्री, एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, नेता प्रतिपक्ष या लोकसभा में सबसे बड़े विरोधी दल के नेता शामिल होंगे. उन्होंने मुख्य न्यायाधीश को चयन समिति से हटा दिया है. पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए चार फरवरी की तारीख तय करते हुए कहा कि वह देखेगी कि किसकी राय सर्वोच्च है. पीठ ने कहा कि यह अनुच्छेद-141 के तहत अदालत की राय बनाम कानून बनाने की विधायी शक्ति होगा.

याचिकाकर्ता के वकील की क्या दलील

प्रशांत भूषण ने कहा कि सरकार चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को नियंत्रित नहीं कर सकती क्योंकि यह लोकतंत्र के लिए खतरा होगा. उन्होंने कहा कि हमारा विचार है कि सरकार मुख्य न्यायाधीश को उस चयन समिति से नहीं हटा सकती, जिसके गठन का निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने दो मार्च 2023 को दिया था. याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि सरकार ने दो मार्च 2023 के फैसले का आधार नहीं बदला है और एक नया कानून बनाया है. शंकरनारायणन ने कहा कि केंद्र के पास फैसले से बचने का एकमात्र तरीका संविधान में संशोधन करना और कानून पर अमल नहीं करना था. सुप्रीम कोर्ट ने 15 मार्च 2024 को 2023 के उस कानून के तहत नए चुनाव आयुक्तों की नियुक्तियों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था.

Advertisement
Featured Video Of The Day
Top Headlines of the Day: Air India पर भड़के Shivraj Singh Chouhan | Champions Trophy में IND vs PAK