उद्धव बनाम शिंदे गुट के बीच विधायकों की अयोग्यता मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी

सीजेआई ने पूछा कि क्या आयोग को इस मामले पर आगे नहीं आना चाहिए था. सिब्बल ने कहा, बिल्कुल क्योंकि मामला सुप्रीम कोर्ट में था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया कि आयोग की सुनवाई पर रोक नहीं है.

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उद्धव बनाम शिंदे गुट के बीच के विवाद पर सुनवाई
नई दिल्ली:

उद्धव बनाम शिंदे गुट के बीच विधायकों की अयोग्यता का मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है. इस मामले की सुनवाई CJI  डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में 5 जजों के संविधान पीठ कर रही है. उद्धव ठाकरे गुट की तरफ से कपिल सिब्बल ने कहा कि जिन विधायकों के खिलाफ अयोग्यता का मामला सदन में लंबित हो. क्या उन्हें राज्यपाल शपथ दिला सकते है? यह एक ऐसा सवाल है जिस पर विचार किया जाना चाहिए. क्यों  शिंदे गुट ये दावा कर सकते हैं कि वो स्वतंत्र  गुट के लोग हैं?
इस मामले में व्हिप की भूमिका की कोर्ट व्याख्या करे.

नियम के मुताबिक कोई विधेयक सदन में पेश हो तो उससे पहले पूरा संसदीय दल बैठकर उस पर अपनी कार्यवाही की दिशा तय करता है. इसके लिए व्हिप जारी किया जाता है. व्हिप सदन के भीतर की व्यवस्था के लिए जारी होता है. ऐसी स्थिति में सदन के स्पीकर संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत प्रदत्त अधिकारों के अनुसार  निर्णय लेते हैं. जबकि इस मामले में बिल्कुल विपरीत हुआ‌. जबकि यह ध्यान रखा जाना चाहिए था कि पार्टी में दो फाड़ हो गए हैं और ऐसे में चुनाव आयोग के पास  चुनाव चिन्ह का मामला भेजना सही नहीं था.क्योंकि जबतक संवैधानिक मामला, जो सदन का है वो नहीं सुलझ नही जाता, कैसे आयोग आगे कदम बढ़ा सकता है.

सीजेआई ने पूछा कि क्या आयोग को इस मामले पर आगे नहीं आना चाहिए था. सिब्बल ने कहा, बिल्कुल क्योंकि मामला सुप्रीम कोर्ट में था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया कि आयोग की सुनवाई पर रोक नहीं है. सिब्बल ने नए मुख्यमंत्री की नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक सुबह राज्यपाल ने किसी को सीएम बनाना तय कर लिया और शपथ भी दिला दी. मेरी निजी राय ये है कि  राज्यपालों ने अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी और अधिकार क्षेत्र की मर्यादा से कहीं आगे बढ़कर काम किया है. यह हाल के दिनों में देखा गया है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्यपाल देश की राजनीति में सक्रिय रूप से शामिल हैं.

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