हरियाणा: 'सरकारी कर्मी पहनेंगे स्मार्ट घड़ी, ताकि हो सके निगरानी'; CM मनोहरलाल खट्टर का एलान

सुप्रीम कोर्ट के फैसले की तामील करने में अपनी असमर्थता जताते हुए खट्टर सरकार ने कहा कि वन भूमि से संरचनाओं को गिराने के शीर्ष अदालत के जुलाई के आदेश को लागू करना 'हमारी क्षमता से परे है' क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के 2018 के फैसले की शर्तों के अनुरूप राज्य में लगभग 40% भूमि वन भूमि माना जाता है.

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हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा है कि राज्य के सभी अधिकारी स्मार्ट घड़ी पहनेंगे.
गुरुग्राम:

हरियाणा (Haryana) के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (CM Manohar Lal Khattar) ने कहा है कि राज्य के सभी अधिकारी स्मार्ट घड़ी पहनेंगे. ताकि ऑफिस टाइम में उनकी निगरानी की जा सके कि वो कहां पर हैं? और कितने बजे आ-जा रहे हैं. शनिवार को गुरुग्राम जिले के सोहना इलाके के सरमथला गांव में एक 'विकास' रैली को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, "राज्य के सभी सरकारी अधिकारी स्मार्टवॉच पहनेंगे जो कार्यालय समय के दौरान उनकी गतिविधियों को ट्रैक करेगा और साथ ही उनकी उपस्थिति को भी चिह्नित करने के लिए एक उपकरण के रूप में काम करेगा." 

मुख्यमंत्री ने फॉरेस्ट लैंड से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहा कि वन अधिनियम के तहत अधिसूचित क्षेत्र और पीएलपीए (पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम) के तहत अधिसूचित भूमि दोनों अलग-अलग हैं लेकिन कुछ गलतियों के कारण दोनों भूमि को एक मान लिया गया है. उन्होंने कहा कि इस पैमाने से हरियाणा का 40% क्षेत्र पीएलपीए के अंतर्गत आता है. इसलिए राज्य सरकार ने 2018 के कांत एन्क्लेव मामले में सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट सौंपा है.

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उन्होंने कहा कि पीएलपीए मिट्टी के क्षरण को बचाने और बहाल करने के उद्देश्य से था, और केवल एक सीमित अवधि के लिए लागू था. सीएम ने कहा कि जैसा फॉरेस्ट लैंड को परिभाषित किया गया है, उसी पर अगर अमल किया जाता है तब तो गुरुग्राम और फरीदाबाद में कई इमारतों को गिराना होगा.

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इससे एक दिन पहले ही राज्य सरकार ने शुक्रवार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर अधिकारियों ने 2018 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार "वन भूमि" से सभी संरचनाओं को हटाया तो गुरुग्राम और फरीदाबाद सहित हरियाणा के 11 जिलों में सभी इमारतों को ध्वस्त करना होगा. इसके साथ ही सरकार ने चेतावनी दी है कि इस तरह की कवायद "गंभीर और अभूतपूर्व कानून-व्यवस्था की समस्या" पैदा कर सकती है.

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सुप्रीम कोर्ट के फैसले की तामील करने में अपनी असमर्थता जताते हुए खट्टर सरकार ने गुरुवार को अदालत में एफेडेविट सौंपा है और कहा है कि वन भूमि से संरचनाओं को गिराने के शीर्ष अदालत के जुलाई के आदेश को लागू करना 'हमारी क्षमता से परे है' क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के 2018 के फैसले की शर्तों के अनुरूप राज्य में लगभग 40% भूमि वन भूमि माना जाता है. 

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