ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह (Varun Singh), जिनकी तमिलनाडु चॉपर क्रैश में बुरी तरह से घायल होने के बाद आज मौत हो गई, को इसी वर्ष अगस्त में शौर्य चक्र से नवाजा गया था. 8 दिसंबर को तमिलनाडु के इस हेलीकॉप्टर हादसे में सीडीएस, जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी सहित 13 लोगों को जान गंवानी पड़ी थी. ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह को पिछले साल उड़ान के दौरान तेजस लड़ाकू विमान में तकनीकी खराबी के बावजूद इसे साहस के साथ 'संभालने' के लिए देश का तीसरा सर्वोच्च शांतिकालीन वीरता पुरस्कार प्रदान किया गया. उन्होंने कौशल का प्रदर्शन करते हुए तेजस (TEJAS)विमान को सुरक्षित लैंड कराया था.
NDTV द्वारा विशेष रूप से हासिल की गई तस्वीरों में ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह को इस संकट से सफलतापूर्वक 'पार' पाने के बाद तेजस को लैंड कराते देखा जा सकता है. वह हेलमेट पहने हैं जिसका प्रतीक चिन्ह (insignia)उन्होंने ही डिजाइन किया था, इसमें उनके 45 फ्लाइंग ड्रैगर्स स्क्वाड्रन को दर्शाया गया है.
वरुण उस समय विंग कमांडर थे और उन्हें 12 अक्टूबर 2020 को system check sortie को उड़ाने के लिए अधिकृत किया गया था. वायुसेना के अनुसार, कॉम्बेट एयरक्राफ्ट में परिष्कृत डिजिटल फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम (Sophisticated digital flight control system)है जिसके नाकाम होने की लगभग नहीं के बराबर आशंका थी. हालांकि इस उड़ान के दौरान कॉकपिट में बिना किसी चेतावनी के ऊंचाई पर हवा के दबाव कम हो गया.
जैसे ही विमान नीचे आना शुरू हुआ, फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम के चार में से तीन चैनल 17 हजार फीट की ऊंचाई पर खराब हो गए. इससे विमान पर से नियंत्रण पूरी खत्म हो गया. प्रशस्ति पत्र में बताया गया है कि ऐसी स्थिति में विमान तेजी से तेजी से नीचे गिरने लगा.
इसमें आगे कहा गया है कि हालात ऐसे थे कि विंग कमांडर ने अपनी जिंदगी को लेकर खतरा महसूस किया, ऐसी हालत में उननकी आंखे में स्थायी डैमेज की भी आशंका थी. इसके बावजूद उन्होंने (ग्रुप कैप्टन वरुणसिंह ने) संयम बनाए रखा और गजब की फ्लाइंग स्किल दिखाते हुए विमान पर फिर नियंत्रण हासिल कर लिया. लेकिन मुश्किलें अभी खत्म नहीं हुई थीं और विमान जब 10 हजार फीट तक आया तो इसने लगभग पूरा नियंत्रण खो दिया.
ऐसे हालात में पायलट को विमान को 'छोड़ने' की आजादी होती है लेकिन वह टिके रहे, उन्होंने स्थिति का मूल्यांकन किया और विमान को जमीन पर सुरक्षित लाने का फैसला किया ताकि यह पता लगाया जा सके कि खराबी क्या है और भविष्य में इसे किस तरह रोका जाए.प्रशस्ति पत्र में इस बात का जिक्र है, 'पायलट ने ड्यूटी के परे जाकर जोखिम उठाते हुए विमान को लैंड कराया. उच्च स्तर के पेशेवर अंदाज, संयम और तीव्र निर्णय क्षमता के बल पर उन्होंने न केवल कॉम्बेट एयरक्राफ्ट को नुकसान से बचाया बल्कि जानमाल के नुकसान को भी टाला. 'ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का चॉपर क्रैश के एक सप्ताह बाद, आज बेंगलुरु के मिलिट्री हॉस्पिटल में निधन हो गया. उनके पिता कर्नल केपी सिंह (रिटायर्ड) आर्मी एयर डिफेंस (AAD)में सेवा दे चुके हैं.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री मोदी सहित कई बड़े नेताओं ने ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह के निधन पर श्रद्धांजलि दी है. राष्ट्रपति कोविंद ने ट्विटर पर पोस्ट किया है कि यह जानकर दुख हुआ कि ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह ने जीवन के लिए एक बहादुरी भरी लड़ाई लड़ने के बाद अंतिम सांस ली. हेलिकॉप्टर दुर्घटना में बुरी तरह घायल होने के बावजूद उन्होंने वीरता और अदम्य साहस का परिचय दिया. राष्ट्र उनका आभारी है. उनके परिवार के प्रति मेरी संवेदनाएं. पीएम मोदी ने ट्वीट किया है कि ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह ने गर्व और वीरता के साथ देश की सेवा की. उनके निधन से बेहद आहत हूं. राष्ट्र के लिए उनकी सेवा को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा. उनके परिवार तथा मित्रों के लिए संवेदनाएं. ओम शांति.