ग्राउंड रिपोर्ट : झारखंड का वो स्कूल जहां से NEET-UG का पेपर हुआ लीक! जानें कैसे 'अभेद्य' सुरक्षा में लगी सेंध

पेपर लीक में इंटर स्टेट गैंग काम कर रहा था. बिहार की आर्थिक अपराध शाखा ने बड़ा खुलासा करते हुए बताया है कि नीट के पेपर 30 से 40 लाख रुपये में बेचे गए.

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नई दिल्ली:

नीट (NEET-UG) पेपर लीक मामले की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं. जांच का दायरा बिहार, झारखंड, यूपी, गुजरात, महाराष्ट्र सहित कई राज्यों तक फैल गया है. बिहार आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) अपनी जांच में झारखंड के हजारीबाग के उस स्कूल तक पहुंचा, जहां उस परीक्षा केंद्र को अलॉट किया गया, वो जला हुआ बुकलेट नंबर 6136488 बरामद हुआ.

जांच में ये बात सामने आयी है कि झारखंड के हजारीबाग के ओएसिस स्कूल से ही पेपर लीक हुआ था. हजारीबाग में परीक्षा के पांच केंद्र थे, इनमें से एक ओएसिस स्कूल भी था, जिसकी जांच ईओयू ने की थी.

ईओयू ने प्रश्नपत्र की पैकेजिंग में गड़बड़ी देखी, जो पैकेजिंग से छेड़छाड़ की पुष्टि कर रहे थे. प्रश्न पत्र सात परत वाली पैकेजिंग में भेजे जाते हैं. इसकी आखिरी यानी सातवीं परत में छेड़छाड़ देखने को मिली. ईओयू ने देखा कि कमजोर कड़ी, जहां संभवतः टेम्परिंग हो सकती थी, वो कूरियर सेवा है. कूरियर सेवा पैकेज को बहुत लापरवाही से संभालती है.

प्रश्न पत्र विक्रेता वाहन (नेटवर्क वाहन) पर रांची से हज़ारीबाग तक लाए गए थे और उस वाहन को केवल एक चालक चला रहा था, उसके साथ कोई अन्य व्यक्ति नहीं था. इसके बाद प्रश्नपत्र वाले बॉक्स को ब्लू डॉट कूरियर के हजारीबाग कार्यालय में फेंक दिया गया.

फिर प्रश्नपत्र परीक्षा से दो दिन पहले यानी 3 तारीख को ई-रिक्शा के माध्यम से बैंक भेजा गया, ये इतने महत्वपूर्ण दस्तावेज को ले जाने का बेहद असुरक्षित तरीका था.

ओएसिस स्कूल के प्रिंसिपल डॉ. एहसानुल हक ने दावा किया कि जांच एजेंसियां ​​एसओपी से संतुष्ट थीं, जिसके बाद बैंक और स्कूल आए और ये कूरियर एजेंसी है, जो जांच के दायरे में है.

शिक्षा माफिया का ये पूरा रैकेट झारखंड से लेकर बिहार तक फैला हुआ है. पेपर रांची से हजारीबाग के बीच लीक हुआ, फिर पटना गया और वहां बंटा. पेपर लीक में इंटर स्टेट गैंग काम कर रहा था. बिहार की आर्थिक अपराध शाखा ने बड़ा खुलासा करते हुए बताया है कि नीट के पेपर 30-40 लाख रुपये में बेचे गए. ये पेपर 34 दूसरे उम्‍मीदवारों को दिए गए.

पटना पुलिस को सबसे पहले 5 मई को इस गड़बड़ी की जानकारी मिली थी. पुलिस को झारखंड नंबर की डस्टर कार में सवार लोगों की जानकारी मिली थी, ये लोग परीक्षा केंद्र के आसपास मंडरा रहे थे. पुलिस नेकार को बेली रोड पर पकड़ा था और उससे तीन लोग सिकंदर यादवेंदु, अखिलेश कुमार और बिट्टू कुमार पकड़े गए थे. कार से चार उम्मीदवारों के एडमिट कार्ड भी मिले.

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इस मामले की 17 मई को EOU ने जांच शुरू की थी. EOU को नीट यूजी का एक अधजला पेपर भी मिला था और पेपर का बुकलेट नंबर 6136488 था. पुलिस को मिले बुकलेट में 68 सवाल दिख रहे थे और ये सभी 68 सवाल ऑरिजनल पेपर से मेल खा रहे थे. इस मामले में बिहार EOU ने शिक्षा मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपी है.

केंद्र ने पेपर लीक की जांच सीबीआई को सौंपी
पेपर लीक मामले में CBI ने भी FIR दर्ज कर ली है. सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार CBI ने विभिन्‍न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है. केंद्र सरकार ने नीट यूजी परीक्षा में धांधली के आरोपों को बेहद गंभीरता से लेते हुए इस मामले की जांच CBI को सौंप दी थी. वहीं सरकार ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के प्रमुख को भी पद से हटा दिया था. साथ ही नीट-पीजी प्रवेश परीक्षा के लिए होने वाले एग्‍जाम को भी स्‍थगित कर दिया गया.

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NEET-UG पेपर लीक की जांच में अब तक जिस तरीके से खुलासे हो रहे हैं और चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं, उससे तो अब ऐसा लगता है कि इस मामले में जैसे-जैसे खुलासे की ओर नजदीकियां बढ़ेंगी तो झारखंड के भी कई सफेदपोश इस काले करतूत में बेनकाब हो सकते हैं.

परीक्षाओं में गड़बड़ियों से छात्र और अभिभावकों पर प्रतिकूल प्रभाव
पेपर लीक और परीक्षाओं में लगातार गड़बड़ियां सामने आने से ना केवल विद्यार्थियों में बल्कि अभिभावकों में भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. नीट जैसी परीक्षा में भी अगर प्रश्न पत्र लीक जैसे मामले सामने आने लगे, तो सीधा असर छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी होगा. शिक्षा माफिया के जरिए पैसे वालों का बोलबाला हो जाएगा और अच्छी प्रतिभाओं को उनका स्थान नहीं मिल पाएगा, जो देश के हित में भी नुकसानदेह साबित होगा.

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