भारत में हाईस्पीड इंटरनेट के लिए सरकार का बड़ा कदम, स्टारलिंक को आशय पत्र जारी

स्टारलिंक सेटेलाइट तकनीक का इस्तेमाल करके दुनिया भर में हाई स्पीड वाली तेज ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवा मुहैया कराती है. कुछ दिन दूरसंचार राज्यमंत्री चंद्रशेखर पेम्मासानी ने कहा था कि स्टारलिंक को मंजूरी देना एक जटिल मुद्दा है.

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नई दिल्ली: भारत सरकार ने उपग्रह संचार सेवाओं के लिए एलन मस्क के नेतृत्व वाली अमेरिकी कंपनी स्टारलिंक को आशय पत्र जारी कर दिया है. स्टारलिंक एक उपग्रह आधारित इंटरनेट सेवा प्रदाता है, जिसे एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने स्थापित किया है. यह सेटेलाइट तकनीक का इस्तेमाल करके दुनिया भर में हाई स्पीड वाली तेज ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवा मुहैया कराती है. सूत्रों के मुताबिक, दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने स्टारलिंक को आशय पत्र जारी कर दिया है.

इससे पहले, सरकार ने यूटेलसैट वनवेब और जियो सैटेलाइट कम्युनिकेशंस को भी लाइसेंस जारी किए थे. पारंपरिक उपग्रह सेवाओं के विपरीत स्टारलिंक इंटरनेट सेवा देने के लिए पृथ्वी की सबसे निचली कक्षा (पृथ्वी से 550 किमी ऊपर) में मौजूद उपग्रहों का उपयोग करती है. 

स्टारलिंक दुनिया की सबसे बड़ी लो अर्थ ऑर्बिट या LEO तारामंडल (पृथ्वी से 550 किमी ऊपर) का उपयोग करता है. LEO उपग्रहों का यह तारामंडल और इसका जाल स्ट्रीमिंग, ऑनलाइन गेमिंग और वीडियो कॉल का समर्थन करने में सक्षम ब्रॉडबैंड इंटरनेट प्रदान करता है.

इससे पहले 6 मई को केंद्रीय दूरसंचार राज्यमंत्री चंद्रशेखर पेम्मासानी ने कहा था कि स्टारलिंक को मंजूरी देना एक जटिल मुद्दा है, लेकिन यह अंतिम चरण में है. उन्होंने कहा था कि स्टारलिंक या अन्य, मैं चाहता था कि आप समझें कि पूरी दुनिया में स्टारलिंक के ग्राहकों की संख्या 50 लाख से कम है. यह बहुत ज्यादा नहीं है. अगर आप स्पीड और अन्य चीजों को देखें तो यह पारंपरिक नेटवर्क की तुलना में बहुत धीमी है. 

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