जीएम सरसों खतरनाक, इसे कभी भी बोने की इजाजत न दे सरकार : स्वदेशी जागरण मंच

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने केंद्र सरकार के जीएम सरसों के पर्यावरणीय परीक्षण के कदम को खतरनाक करार दिया

विज्ञापन
Read Time: 21 mins
प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:

स्वदेशी जागरण मंच (SJM) ने शुक्रवार को एक नियामक निकाय की उस सिफारिश का विरोध किया जिसमें आनुवंशिक रूप से संवर्धित (GM) सरसों को पर्यावरणीय परीक्षण के लिए जारी करने के लिए कहा गया है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े इस संगठन ने इस कदम को ‘खतरनाक' करार देते हुए केंद्र सरकार से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया कि इस फसल के बीज को कभी भी बोने की अनुमति नहीं दी जाए.

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को लिखे पत्र में एसजेएम ने आरोप लगाया कि जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रेजल समिति (GEAC) ‘गैर-जिम्मेददाराना' तरीके से काम कर रही है. एसजेएम ने कहा कि जीएम सरसों के समर्थन में किए गए दावे ‘पूरी तरह असत्य, अप्रमाणित और गल तरीके से पेश' किए गए हैं.

स्वदेशी जागरण मंच के सह-समन्वयक अश्वनी महाजन ने पत्र में कहा, ‘‘एसजेएम इस खतरनाक और अवांछित जीएम सरसों को पिछले रास्ते से लाने का हमेशा विरोध करता रहा है.''

गौरतलब है कि स्वदेशी जागरण मंच द्वारा अपनी चिंताएं जाहिर करने के बाद जीएम सरसों के लिए नियामकीय मंजूरी को पर्यावरण मंत्रालय ने रोक दिया था, ताकि इसकी समीक्षा की जा सके.

महाजन ने आरोप लगाया कि जीईएसी ने जैसा कि पूर्वानुमान था, ‘अपनी प्रतिष्ठा' के अनुरूप कोई समीक्षा नहीं की. उन्होंने पत्र में लिखा है, ‘‘नियामकों ने जीएम फसल का विकास करने वालों से हाथ मिला लिया है और वे बार-बार नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं, जो एक गंभीर मुद्दा है.''

महाजन ने कहा, ‘‘हमें भरोसा है कि जीएम फसलों के प्रतिकूल असर का सतर्कतापूर्ण अध्ययन करने वाले और पूर्व में समय-समय पर अपने विचारों को प्रकट करने वाले एक व्यक्ति के रूप में आप इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि जीएम सरसों के बीज कभी न बोए जाएं.''

Advertisement

महाजन ने उस दावे को पूरी तरह गलत बताया कि जीएम सरसों स्वदेशी है और इसे भारत में विकसित किया गया है. महाजन ने पर्यावरण मंत्री को दिए गए पत्र में लिखा, ‘‘हम आपके संज्ञान में लाना चाहते हैं कि वर्ष 2002 में प्रोएग्रो सीड कंपनी(बेयर की आनुषंगी कंपनी) ने इस तरह के बीज को लेकर वाणिज्यिक मंजूरी के लिए आवेदन किया था जिसे प्रोफेसर पेंटल और उनकी टीम अब एचटी सरसों डीएमएच 11 के रूप में प्रचारित कर रही है.''

महाजन ने वैज्ञानिक दीपक पेंटल के संदर्भ में यह बात कही जिनकी जीएम तकनीक को जीईएसी से मंजूरी मिली है. महाजन ने रेखांकित किया कि बेयर के आवेदन को तब स्वीकार नहीं किया गया था क्योंकि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने कहा था कि खेत में परीक्षण के दौरान अधिक उपज होने का प्रमाण नहीं मिला.

Advertisement

उन्होंने कहा कि यह सभी जानते हैं कि जीएम सरसों दो जीन (बारनासे और बारस्टार) के मेल से बना है जिन्हें मिट्टी के बैक्टीरिया बैसिलस एमाइलोलिक्वेफेसिएंस कहा जाता है.

महाजन ने कहा कि बार-बारस्टार-बारनासे तकनीक पर बेयर क्रॉप साइंस का पेटेंट अधिकार है जो स्वदेशी कंपनी नहीं है, उन्होंने पूछा कि यह जीएम सरसों स्वदेशी कैसे हो सकती है. उन्होंने कहा कि इस बात को छिपाया गया कि प्रोफेसर दीपक ने जीएम सरसों तैयार करने में जिस जीन का इस्तेमाल किया है उस पर पेटेंट अधिकार बेयर कंपनी का है.

Advertisement

जीएम मस्टर्ड के विरोध पर स्वदेशी जागरण मंच के नेता अश्विनी महाजन

Featured Video Of The Day
Top 25 Headlines: Allu Arjun के घर फेंके टमाटर, की तोड़फोड़, अब क्यों मचा बवाल? | Pushpa 2 | NDTV
Topics mentioned in this article