महिलाओं से जुड़े मुद्दे पर आधी आबादी की राय को कितनी अहमियत दी जाती है, इसका अंदाजा लड़कियों के विवाह की उम्र बढ़ाने वाले विधेयक पर विचार करने वाली समिति में शामिल सदस्यों से लग जाता है. हैरान कर देने वाली बात है कि इस समिति में सिर्फ एक महिला है, जबकि 30 पुरुष सदस्य हैं. संसदीय समिति के 31 सांसदों में से सिर्फ एक महिला होने से तमाम सवाल उठ खड़े हुए हैं. इस संसदीय समिति को लड़कियों की शादी की न्यूनतम कानूनी आयु को बढ़ाकर 21 साल करने का प्रस्ताव पर विचार करने की जिम्मेदारी दी गई है.
बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक का समाज, विशेषकर महिलाओं पर व्यापक प्रभाव होगा. इस विधेयक को संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में पेश किया गया था और इसे शिक्षा, महिला, बच्चों, युवा और खेल पर संसद की स्थायी समिति को भेज दिया गया था. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा लाए गए इस विधेयक में विवाह की कानूनी उम्र 18 से बढ़ाकर 21 करने का प्रस्ताव है. बीजेपी के वरिष्ठ नेता विनय सहस्रबुद्धे की अगुवाई वाली संसदीय स्थायी समिति के सदस्यों की सूची राज्यसभा की वेबसाइट पर है.
समिति के 31 सदस्यों में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद सुष्मिता देव अकेली महिला हैं. देव ने कहा कि समिति में और महिला सांसद होती तो बेहतर होता. लेकिन हम यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी हितधारक समूहों की बात सुनी जाए. एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने भी इसी तरह की भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि समिति में अधिक महिला सांसद होनी चाहिए जो महिलाओं से संबंधित मुद्दों पर सही तरीके से राय रख सकेंगी. हालांकि चेयरमैन के पास व्यक्तियों को समिति में आमंत्रित करने का अधिकार है. इसलिए अधिक समावेशी और व्यापक चर्चा के लिए वह अन्य महिला सांसदों को आमंत्रित किया जा सकता है.
तमाम विभागों से संबंधित स्थायी समितियां स्थायी होती हैं, जबकि विभिन्न मंत्रालयों के विधेयकों और संबंधित विषयों के लिए संयुक्त और प्रवर समितियों का गठन किया जाता है. इन समितियों का गठन लोकसभा और राज्यसभा दोनों द्वारा किया जाता है. शिक्षा, महिला, बच्चे, युवा और खेल संबंधी संसद की स्थायी समिति राज्यसभा की एक समिति है.
लोकसभा की गठित समितियों में निचले सदन से अधिक सदस्य होते हैं, जबकि राज्यसभा द्वारा गठित समिति में उच्च सदन से अधिक प्रतिनिधित्व होता है. पार्टियां सदन में अपने सदस्यों के संख्या बल के आधार पर सदस्यों को मनोनीत करती हैं. नया कानून देश के सभी समुदायों पर लागू होगा और एक बार लागू होने के बाद यह मौजूदा विवाह और पर्सनल लॉ का स्थान लेगा.
जून 2020 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा गठित जया जेटली समिति की सिफारिशों पर केंद्र द्वारा महिलाओं के लिए विवाह की कानूनी उम्र बढ़ाई जा रही है.विधेयक को पेश किये जाने का कुछ सदस्यों ने विरोध किया और मांग की कि इसे अधिक जांच पड़ताल के लिए संसद की समिति को भेजा जाए. विधेयक में महिलाओं के विवाह के लिए कानूनी उम्र को बढ़ाकर 21 साल करने का प्रावधान है, जैसा कि पुरुषों के लिए है.