"दिमाग का बिल्कुल इस्तेमाल नहीं..." : HC ने पूर्व सैनिक को विदेशी घोषित करने का आदेश किया रद्द

उच्च न्यायालय ने कहा कि सेवानिवृत्त सैनिक के इस मामले में मतदाता पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) द्वारा एफटी के पास इस विषय को भेज जाना ‘दिमाग का बिल्कुल इस्तेमाल नहीं करने का’ परिणाम लगता है.

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अदालत ने ईआरओ पर 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया. (फाइल)
गुवाहाटी:

गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने असम के एक सेवानिवृत्त सैनिक को ‘अवैध प्रवासी' ठहराने के विदेशी न्यायाधिकरण (एफटी) के आदेश को रद्द कर दिया है. विदेशी न्यायाधिकरण अर्द्ध न्यायिक निकाय हैं जो असम में रहने वाले उन लोगों की नागरिकता की स्थिति पर फैसला करते हैं जिन पर विदेशी होने का संदेह होता है. उच्च न्यायालय ने कहा कि सेवानिवृत्त सैनिक के इस मामले में मतदाता पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) द्वारा एफटी के पास इस विषय को भेज जाना ‘दिमाग का बिल्कुल इस्तेमाल नहीं करने का' परिणाम लगता है. अदालत ने ईआरओ पर 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया. 

उच्च न्यायालय के मुताबिक जुर्माना राशि याचिकाकर्ता को उसे हुई असुविधा के लिए दी जाएगी. 

ईआरओ ने स्थान सत्यापन के दौरान पूर्व सैन्यकर्मी जगत बहादुर चेत्री (85) का मामला कामरुप (मेट्रो) के एफटी के पास भेज दिया था. न्यायाधिकरण ने 10 जनवरी, 2012 को एकपक्षीय फैसला सुनाते हुए चेत्री को एक व्यवस्था के आधार पर विदेशी घोषित कर दिया था. 

असम समझौते के तहत 25 मार्च,1971 के बाद राज्य में आने वाले लोग अवैध प्रवासी समझे जाते हैं. 

चेत्री ने ईआरओ द्वारा उनका विषय न्यायाधिकरण में भेजे जाने और न्यायाधिकरण द्वारा सुनाये गये फैसले के विरूद्ध उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर की थी. 

न्यायमूर्ति अचिंत्या मल्ला बुजोर बरुआ और न्यायमूर्ति रोबिन फूकन की पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘हमारा यह मत है कि 52 दिसपुर विधानसभा क्षेत्र के ईआरओ ने दिमाग बिल्कुल बिना लगाये यह राय मांगने के लिए मामला विदेशी न्यायाधिकरण के पास भेज दिया कि जगत बहादुर चेत्री विदेशी हैं या नहीं, जो 25 मार्च, 1971 के बाद राज्य में आए थे.''

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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