भारतीय फुटबॉल टीम (Indian football team) के पूर्व कप्तान बाइचुंग भूटिया ने अपनी अर्जी में कहा है कि प्रशासनिक समिति (coa) की ओर से तैयार किए गए संविधान को ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (All India Football Federation) के नए विधान के रूप में स्वीकार कर लिया जाना चाहिए. क्योंकि नया संविधान न केवल आज के दौर में आए बदलाव के मुताबिक है, बल्कि सेवारत और पूर्व खिलाड़ियों के बारे में ज्यादा संवेदनशील भी है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में आज इस मामले में सुनवाई होनी है.
ये संविधान का प्रारूप दशकों से कुछ खिलाड़ियों और नेताओं के जकड़न भरे वर्चस्व से मुक्ति भी दिलाएगा. लिहाजा सुप्रीम कोर्ट तीन अगस्त को दिए गए अपने आदेश को पूर्ण रूप से लागू कर दे, क्योंकि उस आदेश में नामचीन और प्रमुख फुटबॉल खिलाड़ियों की 36 सदस्यों वाली कमेटी ही आम सभा के तौर पर काम करेगी.
ये ही कार्य समिति का चुनाव करने वाले मतदाता मंडल का हिस्सा होंगे. स्वस्थ लोकतांत्रिक, तार्किक और एक समान वोट अधिकार की वजह से व्यवहारिक व्यवस्था भारतीय फुटबॉल की सुनहरी परंपरा को और मजबूती देगी. ये समिति समुचित सुधार, बदलाव और आधुनिक जरूरतों के मुताबिक कदम उठाएगी. भूटिया ने अपनी याचिका में कोर्ट से समुचित आदेश देने की गुहार लगाई है, ताकि कथित स्वार्थी तत्वों के एकाधिकार वाली मौजूदा व्यवस्था से फुटबॉल फेडरेशन को हमेशा के लिए मुक्त किया जा सके.
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