पूर्व मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, सीबीआई-ईडी की शक्तियों और अधिकारों को दी चुनौती

भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल के खिलाफ 2161 करोड़ के कथित शराब घोटाले के मामले में जांच चल रही है. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के यहां सीबीआई की टीम ने भारी पुलिस बल के साथ दबिश दी थी.

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  • पूर्व CM भूपेश बघेल और उनके बेटे ने सुप्रीम कोर्ट में CBI-ED की शक्तियों और अधिकारों को चुनौती दी है.
  • भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल के खिलाफ 2161 करोड़ के कथित शराब घोटाले की जांच चल रही है.
  • आरोप है कि 2019 से 2022 के बीच राज्य के खजाने से करीब 2161 करोड़ रुपये की हेराफेरी की गई थी.
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नई दिल्‍ली :

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं. उन्‍होंने अदालत में सीबीआई/ईडी की जांच करने की शक्तियों और अधिकार क्षेत्र को चुनौती दी है. अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा. भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल के खिलाफ 2161 करोड़ के कथित शराब घोटाले के मामले में जांच चल रही है. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के यहां सीबीआई की टीम ने भारी पुलिस बल के साथ दबिश दी थी. इन सभी के तार महादेव सट्टा से जुड़े होना बताया जा रहा है. फिलहाल सीबीआई और ईडी दोनों एजेंसियों की जांच चल रही है.

छापेमारी के दौरान भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल से जुड़े परिसर से कई इलेक्ट्रॉनिक गैजेट और डॉक्यूमेंट जब्त किए गए थे. ईडी ने चैतन्य बघेल के ठिकानों की तलाशी और एक्शन इकट्ठा किए गए साक्ष्यों और कुछ बयानों के आधार पर ली है. दावे के मुताबिक, शराब घोटाले के मामले में चैतन्य भी एक 'की प्लेयर' है.

2161 करोड़ की हेराफेरी का आरोप

कथित शराब घोटाले को लेकर आरोप है कि इसमें 2019 और 2022 के बीच राज्य के खजाने से करीब 2,161 करोड़ रुपए की हेराफेरी की गई.

सूत्रों के मुताबिक 2017 में शराब की खरीद और बिक्री के लिए एक कंपनी CSMCL बनाई गई थी. बाद में राज्य में सरकार बदलने के साथ ही ये सिंडिकेट के हाथ का एक टूल बन गई.

अवैश शराब की बिक्री और 'बड़ा कमीशन'!

आरोप है कि CSMCL से जुड़े कामों के लिए सारे कॉन्ट्रैक्ट इस सिंडिकेट से जुड़े लोगों को ही दिए जा रहे थे. ED का दावा है कि सिंडिकेट ने अवैध शराब की बिक्री से 'बड़ा कमीशन' कमाया. ये रकम अनवर ढेबर को दी गई. फिर उसने इसे राजनीतिक पार्टी तक साझा किया.

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