'स्वागत योग्य विचार...' : संसद में संविधान बहस पर पूर्व मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित

मुख्य न्यायाधीश ललित ने कहा कि कुछ संशोधन हैं जो मूल रूप से प्रक्रिया को परिष्कृत करने के लिए किए गए हैं. प्रक्रिया में जो कुछ कठिनाइयां थीं, उन्हें अब सुचारू कर दिया गया है और प्रक्रिया पूरी तरह से आसान हो गई है. इसलिए संशोधन हुए हैं.

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नई दिल्ली:

भारत के पूर्व चीफ जस्टिस यूयू ललित ने कहा है कि संसद में संविधान पर होने वाली प्रस्तावित बहस निश्चित रूप से अच्छे पहलुओं से भरपूर है. एनडीटीवी को दिए एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि समय-समय पर यह देखना अच्छा है कि संविधान की आकांक्षाएं और लक्ष्य क्या हैं और अब तक हमने क्या हासिल किया है. इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता.

पूर्व चीफ जस्टिस ललित ने कहा कि सांसद समय-समय पर यह समीक्षा करते रहते हैं कि हम कहां खड़े हैं, कितना आगे बढ़े हैं, क्या कोई प्रावधान हैं जिन्हें संशोधित करने की आवश्यकता है, या अब तक जो संशोधन किए गए हैं, क्या उन संशोधनों की दोबारा समीक्षा की आवश्यकता है. इस प्रकार का आत्मनिरीक्षण हमेशा स्वागत योग्य है. अगर सांसद संवैधानिक उपलब्धियों पर इस तरह का आत्मनिरीक्षण करना चाहते हैं, तो यह एक बहुत ही स्वागत योग्य विचार है.

मुख्य न्यायाधीश ललित ने कहा कि कुछ संशोधन हैं जो मूल रूप से प्रक्रिया को परिष्कृत करने के लिए किए गए हैं. प्रक्रिया में जो कुछ कठिनाइयां थीं, उन्हें अब सुचारू कर दिया गया है और प्रक्रिया पूरी तरह से आसान हो गई है. इसलिए संशोधन हुए हैं.

उन्होंने कहा कि हम 106 संशोधनों के स्तर पर आ गए हैं. संघ में चार नए क्षेत्र शामिल किए गए हैं, जैसे दादरा नगर हवेली, पांडिचेरी, ज्ञानम कराईकल, फिर गोवा, दमन और दीव तथा अंत में सिक्किम. इसलिए, इनमें से कुछ संशोधन कमोबेश प्रक्रियात्मक भाग हैं, कोई ठोस बात नहीं है.

मुख्य न्यायाधीश ललित ने कहा कि जहां तक ​​पूरी आबादी या आम लोगों का सवाल है, इससे कोई बदलाव नहीं आया है. लेकिन जीवन के अधिकार को भाग 3 में शामिल किए जाने से निश्चित रूप से इस देश के विकास के लिए एक जबरदस्त आयाम मिला है. अब अंतिम संशोधन, जो कि 106वां संशोधन है, महिलाओं को लोकसभा और प्रत्येक राज्य विधानसभा में एक तिहाई सीटें देता है. उन्होंने कहा कि हम हर मोर्चे पर समावेशी विचारों की ओर बढ़ रहे हैं.

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