देश में चल रहे तमाम NGO के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर सकारात्मक प्रतिक्रया आयी है. एनजीओ को विदेशों से मिलने वाले चंदे को लेकर केंद्र सरकार की 2020 में लागू नीति पर आपत्ति जताने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि आप एनजीओ को हतोत्साहित कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रवि कुमार की पीठ ने कहा कि सरकार ने 2020 में विदेशी मुद्रा नियमन कानून में संशोधन कर एनजीओ के विदेशी मदद स्वीकार करने पर कई तरह की बंदिशें लगा दी थीं. नोएल हार्पर और जीवन ज्योति चैरिटेबल ट्रस्ट की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से ये भी पूछा कि एक एनजीओ से दूसरे के खाते में धन ट्रांसफर करने पर भी रोक है.
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याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में कहा कि सरकार की संशोधित नीति ने उनकी ओर से किए जा रहे जन सेवा और जन उपयोगी कार्यों पर बुरा असर पड़ रहा है. एक अन्य याचिकाकर्ता विनय विनायक जोशी ने भी कोर्ट से कहा था कि फेरा के नए कानून के पालन को लेकर दी गई समय सीमा को चुनौती दी गयी थी.
वहीं सरकार ने कहा कि संशोधन सही नियमन और विदेशों से आने वाले धन और खर्च पर सही निगरानी के लिए किया गया है. किसी के बुनियादी अधिकारों का कोई हैं नहीं है. बता दें कि इस मामले पर 9 नवंबर को सुनवाई जारी रहेगी.
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