कर्नाटक के CM सिद्धारमैया के खिलाफ दर्ज हुई FIR, MUDA की जमीन को धोखे से हासिल करने का आरोप

MUDA Case: मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) के जमीन घोटाले में कर्नाटक के CM सिद्धारमैया, उनकी पत्नी, साले और कुछ अधिकारियों के खिलाफ शिकायत की गई है. कर्नाटक के राज्यपाल ने सिद्धारमैया के खिलाफ केस चलाने की परमिशन दी थी.

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राज्यपाल के आदेश को CM सिद्धारमैया ने 19 अगस्त को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.
मैसुरु:

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (Siddaramaiah) के खिलाफ जमीन घोटाले का केस दर्ज हुआ है. कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) ने इस मंगलवार को राज्यपाल थावरचंद गहलोत के आदेश को बरकरार रखते हुए सिद्धारमैया की याचिका खारिज कर दी थी. जस्टिस एम. नागप्रसन्ना ने कहा, "याचिका में जिन बातों का जिक्र है, उसकी जांच जरूरी है. जमीन घोटाला केस (MUDA Land Scam Case) में CM का परिवार शामिल है, इसलिए उनकी याचिका खारिज की जाती है." इसके बाद शुक्रवार को सिद्धारमैया के खिलाफ मैसुरु लोकायुक्त ने FIR दर्ज की. लोकायुक्त FIR की कॉपी भी कोर्ट में दाखिल करेंगे. 

दरअसल, कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने 16 अगस्त को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 17A और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS)2023 की धारा 218 के तहत सिद्धारमैया के खिलाफ केस चलाने की परमिशन दी थी. राज्यपाल के आदेश को CM सिद्धारमैया ने 19 अगस्त को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. जिसे हाईकोर्ट ने मंगलवार को ही खारिज किया था.

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क्या था मामला?
मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) के जमीन घोटाले में कर्नाटक के CM सिद्धारमैया, उनकी पत्नी, साले और कुछ अधिकारियों के खिलाफ शिकायत की गई है. एक्टिविस्ट टी. जे. अब्राहम, प्रदीप और स्नेहमयी कृष्णा ने इस मामले में याचिका दायर की थी. उनका आरोप है कि CM सिद्धारमैया ने MUDA अधिकारियों के साथ मिलकर महंगी साइट्स को धोखाधड़ी से हासिल किया.

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सिद्धारमैया ने कहा था गिफ्ट में मिली थी जमीन
सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती के पास मैसुरु जिले के केसारे गांव में 3 एकड़ जमीन थी. ये जमीन पार्वती के भाई मल्लिकार्जुन ने उन्हें 2010 में गिफ्ट में दी थी. MUDA ने इस जमीन को अधिग्रहण किए बिना ही देवनूर स्टेज 3 लेआउट विकास किया था. दरअसल, साल 1992 में अर्बन डेवलपमेंट संस्थान मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MUDA) ने किसानों से कुछ जमीन रिहायशी इलाके में डेवलप करने के लिए ली थी. इसके बदले MUDA की इंसेंटिव 50:50 स्कीम के तहत अधिग्रहीत भूमि मालिकों को विकसित भूमि में 50% साइट या एक वैकल्पिक साइट दी गई. इस बीच 1992 में MUDA ने इस जमीन को डीनोटिफाई कर कृषि भूमि से अलग कर दिया.

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इसके बाद 1998 में अधिगृहीत भूमि का एक हिस्सा MUDA ने किसानों को डीनोटिफाई कर वापस कर दिया. यानी एक बार फिर ये जमीन कृषि की जमीन बन गई. मामला 3 एकड़ जमीन को लेकर फंस गया.

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BJP ने मांगा था सिद्धारमैया का इस्तीफा
इस बीच कर्नाटक में विपक्ष में बैठी BJP ने सिद्धारमैया से CM पद से इस्तीफा देने की मांग की है. केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने हाईकोर्ट के फैसले को कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर करारा तमाचा बताया है. जोशी ने कहा, "कर्नाटक हाईकोर्ट ने उठाए गए सभी सवालों का जवाब दे दिया है. अब सिद्धारमैया को इस्तीफा दे देना चाहिए, ताकि CBI इस मामले में निष्पक्ष जांच कर सके..."

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कानून और संविधान में है मेरा विश्वास
जबकि कांग्रेस ने सिद्धारमैया का बचाव किया था. वहीं, सिद्धारमैया ने कहा था, "मैं कानून और संविधान में विश्वास करता हूं. अंत में सत्य सामने आएगा. सच की ही जीत होगी." 

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