पाकिस्तानी नागरिकों को वापस भेजने से रोक लगाने वाली याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने पाकिस्तानी नागरिकों को वापस भेजने से रोक लगाने की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई का भरोसा दिया है.

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फाइल फोटो
नई दिल्ली:

पहलगाम हमले पर जवाबी कार्रवाई करते हुए मोदी सरकार ने सभी पाकिस्तानियों को देश से बाहर निकालने का फैसला लिया था. इस फैसले के बाद से भारत में रह रहे पाकिस्तानी नागरिक वापस जा रहे हैं. इन पाकिस्तानी नागरिकों को वापस जाने से रोकने के लिए अब सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. अब सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पाकिस्तानी नागरिकों को वापस भेजने से रोक लगाने की याचिका पर सुनवाई का भरोसा दिया है.

पिता पाकिस्तान में जन्मे जबकि मां हिन्दुस्तान में 

 जस्टिस सूर्यकांत की अदालत के समक्ष याचिकाकर्ताओं ने शीघ्र सुनवाई की गुहार लगाई है. इन याचिकाओं में एक याचिका अहमद तारिक बट्ट है. अहमद तारिक बट्ट का पिता तारिक मशकूर बट्ट पाक अधिकृत कश्मीर के मीरपुर का निवासी है. वहीं उसकी मां नुसरत बट्ट भारत के श्रीनगर की जन्मी हैं. याचिका के मुताबिक- तारिक बट्ट 1997 तक पाक अधिकृत कश्मीर के मीरपुर में रहा. फिर 2000 में पूरा परिवार सरहद पार कर श्रीनगर आ गया. तारिक बट्ट कई सालों तक कश्मीर घाटी में रहा. फिलहाल वह बंगलुरु में रहता है. इस बीच उसने केरल के कोझिकोड में स्थित भारतीय प्रबंधन संस्थान यानी आईआईएम से स्नातक की डिग्री ली. कुछ वर्षों से वो बंगलुरू में एक IT कंपनी में कार्यरत है.

पासपोर्ट और आधार कार्ड भारतीय 

याचिकाकर्ता अहमद तारिक बट्ट ने अपनी अर्जी में लिखा है कि उसके और उसके परिवार के पास भारतीय पासपोर्ट और आधार कार्ड है. परिवार में उसकी बहन आयशा तारिक,  भाई अबुबकर तारिक और उमर तारिक बट्ट हैं. याचिका के मुताबिक तारिक बट्ट मीरपुर में रहते थे. लेकिन पासपोर्ट में जन्म स्थान श्रीनगर है. परिवार 2000 में श्रीनगर में आया लेकिन सबका जन्म स्थान श्रीनगर है. अब अहमद तारिक बट्ट भारत का निवासी है या नहीं यह जवाब सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान ही मिल सकता है. 

गृह मंत्रालय ने लिया था एक्शन 

पहलगाम हमले के बाद भारतीय गृह मंत्री अमित शाह लगातार फैसले ले रहे हैं. गृहमंत्री ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को फोन करके सुनिश्चित करने को कहा था कि वह अपने क्षेत्र से सभी पाकिस्तानी नागरिकों को पहचाने और देश से बाहर निकालें. इसी फैसले के बाद से कई याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई हैं, जिस पर सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई करने की बात कही है. 

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