अगर डल्लेवाल को जबरन... किसानों की सरकार को चेतावनी; वीडियो जारी कर लोगों से खनौरी बॉर्डर पहुंचने की अपील

एसकेएम (गैर-राजनीतिक) नेता काका सिंह ने कहा कि सरकार डल्लेवाल को धरना स्थल से हटाने की कोशिश कर सकती है और उनकी यूनियन पंजाबियों से अधिक से अधिक संख्या में खनौरी पहुंचने की अपील कर रही है.

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नई दिल्ली:

किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल 34 दिनों से दिल्ली के खनौरी बॉर्डर पर अनिश्चितकालीन अनशन पर हैं. रविवार रात को उन्होंने एक वीडियो बनाकर लोगों से बड़ी संख्या में खनौरी बॉर्डर पहुंचने की अपील की. उनके साथ मौजूद लोगों ने अंदेशा जताया कि बड़ी संख्या में हरियाणा पुलिस धरनास्थल के पास पहुंच गई है और किसी भी वक्त जगजीत सिंह डल्लेवाल को वहां से जबरदस्ती उठाया जा सकता है. वहां मौजूद वॉलंटियर्स ने डल्लेवाल के सुरक्षा घेरे को और बढ़ा दिया है. साथ ही तमाम किसान नेता सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से लोगों से ज्यादा से ज्यादा संख्या में खनौरी बॉर्डर पहुंचने की अपील कर रहे हैं.

किसान नेताओं का कहना है कि गांधीवादी तरीके से वो अपना विरोध जारी रखे हुए हैं और ये सरकार पर है कि क्या वह उनके वरिष्ठ नेता (डल्लेवाल) को हटाने के लिए बल प्रयोग करना चाहती है. किसान नेताओं का ये बयान डल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती न कराये जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा पंजाब सरकार की कड़ी आलोचना किए जाने के बीच आया है.

किसान फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित कई मांगों को लेकर केंद्र पर दबाव बनाने के लिए पंजाब-हरियाणा सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

हाल ही में, पंजाब सरकार के अधिकारियों की एक उच्च स्तरीय टीम ने डल्लेवाल से मुलाकात की और उनसे अनुरोध किया कि अगर वह अपना अनशन जारी रखना चाहते हैं तो भी चिकित्सा उपचार कराएं. डल्लेवाल ने अभी तक इलाज कराने से इनकार कर दिया है.

खनौरी सीमा विरोध स्थल पर किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा, "हम यह साफ करना चाहते हैं कि केंद्र पहले दिन से ही हमारे आंदोलन को बदनाम करने और दबाने की कोशिश कर रहा है. इस तरह की कहानी गढ़ी जा रही है कि किसान जिद्दी हैं. जबकि केंद्र ही ऐसा (जिद्दी) रवैया अपना रहा है, हमारी बात नहीं सुन रहा है और किसानों की मांगों पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है."

किसान नेता ने कहा, "हम गांधीवादी सिद्धांतों को अपनाकर अपना आंदोलन जारी रखे हुए हैं. हमारे आंदोलन ने साबित कर दिया है कि सरकार के अत्याचारों के कारण इतना कुछ सहने के बावजूद हम गांधीवादी तरीके से विरोध करना जारी रखे हुए हैं. हम इन सिद्धांतों का पालन कर रहे हैं. अब यह सरकार और संवैधानिक संस्थानों पर निर्भर है कि क्या वे डल्लेवाल जी को हटाने के लिए बल प्रयोग करना चाहते हैं."

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उन्होंने कहा कि किसान यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि जो भी स्थिति उत्पन्न होगी, उसकी जिम्मेदारी केंद्र और संवैधानिक संस्थाओं की होगी. हम देश के लोगों से यह भी अपील करना चाहते हैं कि एमएसपी की गारंटी की मांग करने वाला आंदोलन निर्णायक चरण में पहुंच गया है. हम जीत की ओर हैं. हमें कड़ा रुख अपनाना ही चाहिए. डल्लेवाल ने अपनी जान तक दांव पर लगा दी है. कोहाड़ ने कहा कि ये देश के लोगों पर निर्भर करता है कि वे घर ही बैठे रहे या डल्लेवाल के समर्थन में खनौरी बॉर्डर पर बड़ी संख्या में पहुंचें.

वहीं एसकेएम (गैर-राजनीतिक) नेता काका सिंह ने कहा कि सरकार डल्लेवाल को धरना स्थल से हटाने की कोशिश कर सकती है और उनकी यूनियन पंजाबियों से अधिक से अधिक संख्या में खनौरी पहुंचने की अपील कर रही है. उन्होंने यह भी कहा कि डल्लेवाल ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह इस देश के किसानों की खातिर अपनी जान कुर्बान करने के लिए तैयार हैं.

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इस बीच, किसानों ने चार जनवरी को खनौरी विरोध स्थल पर 'किसान महापंचायत' का आह्वान किया है. साथ ही संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने भी सोमवार को पंजाब बंद का आह्वान किया है और दावा किया है कि उनके बंद के आह्वान को ट्रांसपोर्टर, कर्मचारियों, व्यापारियों और समाज के अन्य वर्गों से मजबूत समर्थन मिला है.

किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि सोमवार को पूर्ण बंद रहेगा, लेकिन आपातकालीन सेवाएं चालू रहेंगी. उन्होंने कहा कि केंद्र किसानों की मांगों को सुनने के लिए तैयार नहीं है. बंद सुबह सात बजे से शाम चार बजे तक रहेगा. हालांकि, आपातकालीन सेवाएं चालू रहेंगी. इसके अलावा, उड़ान पकड़ने के लिए हवाई अड्डे जाने वाले या नौकरी के लिए साक्षात्कार देने वाले या शादी समारोह में शामिल होने वाले सभी लोगों को बंद के आह्वान से बाहर रखा गया है.

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इस बीच, पंजाब सरकार के अधिकारियों की एक उच्च स्तरीय टीम ने रविवार को खनौरी सीमा स्थल पर डल्लेवाल से मुलाकात की. इस टीम में पुलिस उप महानिरीक्षक मंदीप सिंह सिद्धू और सेवानिवृत्त अतिरिक्त डीजीपी जसकरण सिंह शामिल थे.

बाद में, किसान नेताओं ने कहा कि डल्लेवाल ने कोई भी चिकित्सा सहायता लेने से इनकार कर दिया है. एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि अगर टीम कोई अन्य प्रस्ताव लेकर आती है तो वे प्रस्ताव को देखेंगे.

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शनिवार को पंजाब सरकार पर नाखुशी जाहिर करते हुए उच्चतम न्यायालय ने यह संभावना भी जतायी कि संभवत: डल्लेवाल को अन्य किसान नेताओं ने अस्पताल नहीं ले जाने दिया होगा.

इसके जवाब में डल्लेवाल ने उसी दिन एक वीडियो संदेश में कहा, "मैं अनशन पर बैठा हूं. उच्चतम न्यायालय को यह रिपोर्ट किसने दी और यह भ्रांति किसने फैलाई कि मुझे बंधक बनाकर रखा गया है? ऐसी बात कहां से आई? इस देश में सात लाख किसान कर्ज के कारण आत्महत्या कर चुके हैं. किसानों को बचाना जरूरी है, इसलिए मैं यहां बैठा हूं. मैं किसी के दबाव में नहीं हूं."

डल्लेवाल ने पहले कहा था कि जब तक सरकार किसानों की मांगों पर सहमत नहीं हो जाती, तब तक वह अपना अनशन नहीं तोड़ेंगे. उच्चतम न्यायालय ने पंजाब सरकार को डल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए 31 दिसंबर तक का समय दिया है, साथ ही राज्य को जरूरत पड़ने पर केंद्र से सहायता लेने के लिए कहा है.

इसके जवाब में पंजाब सरकार ने अदालत में कहा कि उसे प्रदर्शनकारी किसानों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है, जिन्होंने डल्लेवाल को घेर लिया है और उन्हें अस्पताल ले जाने से रोक रहे हैं.

डल्लेवाल ने उपचार से इनकार कर दिया है और राज्य सरकार ने उनके स्वास्थ्य की चौबीसों घंटे निगरानी के लिए चिकित्सकों की एक टीम बनाई है.

सुरक्षाबलों द्वारा दिल्ली में प्रवेश से रोके जाने के बाद से किसान संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू तथा खनौरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं.

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