Kisan Aandolan: नए कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ किसान आंदोलन के समाधान की दिशा में पहल करते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अन्नदाताओं की शंकाओं-शिकायतों के निवारण के लिए एक चार सदस्यीय समिति का गठन किया थी. कमेटी के सदस्यों में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान (Bhupinder Singh Mann) भी थे लेकिन उन्होंने समिति से अपना नाम वापस ले लिया है.मान के समिति से 'हटने' के फैसले को संयुक्त किसान मोर्चा (Sanyukt Kisan Morcha) ने अपनी छोटी जीत बताया है. संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य राजिंदर सिंह दीपसिंहवाला (Rajinder Singh Deepsinghwala) ने इस घटनाक्रम पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा, 'हम इसे अपनी छोटी जीत के तौर पर देख रहे हैं.' उन्होंने कहा कि भूपिंदर सिंह मान के इस्तीफे ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति की प्रतिष्ठा कम कर दी है. मान ने अपने पद का राजनीतिक प्रतिष्ठा के लिए इस्तेमाल किया.
राजिंदर सिंह दीपसिंहवाला ने आगे कहा, 'हम समिति को कोई महत्व नहीं देना चाहिए. हम किसान संगठनों के नेताओं के साथ कल सरकार के साथ होने वाली बैठक में जाएंगे. समिति पूरी तरह से सरकार का समर्थन करने वाली (pro government) है. हम चाहते हैं कि यह कृषि कानून संसदीय प्रक्रिया के अंतगर्त निरस्त किया जाए.' कमेटी में भूपिंदर मान के नाम पर शुरुआत से ही बवाल हो रहा था. किसान नेताओं का कहना था कि मान पहले ही तीनों नए कृषि कानूनों का समर्थन कर चुके हैं.
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भूपिंदर सिंह मान ने एक पत्र लिखकर समिति से खुद को अलग करने के फैसले की जानकारी दी. मान ने इस कमेटी में उन्हें शामिल करने के लिए शीर्ष अदालत का आभार जताया. पत्र में उन्होंने लिखा है कि वे हमेशा पंजाब और किसानों के साथ खड़े हैं. एक किसान और संगठन का नेता होने के नाते वह किसानों की भावना जानते हैं. वह किसानों और पंजाब के प्रति वफादार हैं. किसानों के हितों से कभी कोई समझौता नहीं कर सकता. वह इसके लिए कितने भी बड़े पद या सम्मान की बलि दे सकते हैं. मान ने पत्र में लिखा कि वह कोर्ट की ओर से दी गई जिम्मेदारी नहीं निभा सकते, अतः वह खुद को इस कमेटी से अलग करते हैं.
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